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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में कही ये बड़ी बात ? जानते है आप



ए कुमार
नईदिल्ली ।। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना के प्रभाव से मन की बात भी अछूती नहीं रही. जब मैंने पिछली बार मन की बात की थी तो बहुत कुछ बंद थी लेकिन अब धीरे-धीरे चीजें खुल रही हैं. अब अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा खुल चुका है.
मास्क लगाना, जरूरत होने पर ही बाहर निकलना और सावधानी अब भी बरतनी होगी. प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के मुकाबले भारत में कोरोना वायरस का असर कम रहा और हमारे यहां मृत्यु दर भी कम रही ।

कोरोना के खिलाफ लड़ाई का रास्ता लंबा है। एक ऐसी आपदा जिसका पूरी दुनिया के पास कोई इलाज ही नहीं है, जिसका पहले का अनुभव ही नहींं है, तो ऐसे में नई-नई चुनौतियां और उसके कारण परेशानियां हम अनुभव कर रहे हैं।

 देश में, सबके सामूहिक प्रयासों से कोरोना के खिलाफ लड़ाई बहुत मजबूती से लड़ी जा रही है. जब हम दुनिया की तरफ देखते हैं, तो, हमें अनुभव होता है कि वास्तव में भारतवासियों की उपलब्धि कितनी बड़ी है. हमारी जनसंख्या ज्यादातर देशों से कई गुना ज्यादा है. हमारे देश में चुनौतियाँ भी भिन्न प्रकार की हैं, लेकिन, फिर भी हमारे देश में कोरोना उतनी तेजी से नहीं फैल पाया, जितना दुनिया के अन्य देशों में फैला ।

कोरोना के प्रभाव से हमारी 'मन की बात' भी अछूती नहीं रही है. जब मैंने पिछली बार आपसे मन की बात' की थी, तब, passenger ट्रेनें बंद थीं, बसें बंद थीं, हवाई सेवा बंद थी. इस बार, बहुत कुछ खुल चुका है, श्रमिक special ट्रेनें चल रही हैं, अन्य special ट्रेनें भी शुरू हो गई हैं ।

तमाम सावधानियों के साथ, हवाई जहाज उड़ने लगे हैं, धीरे-धीरे उद्योग भी चलना शुरू हुआ है, यानी, अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा अब चल पड़ा है, खुल गया है. ऐसे में, हमें और ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है. दो गज की दूरी का नियम हो, मुँह पर मास्क लगाने की बात हो, हो सके वहाँ तक, घर में रहना हो, ये सारी बातों का पालन, उसमें जरा भी ढिलाई नहीं बरतनी चाहिए।

कोरोना से होने वाली मृत्यु दर भी हमारे देश में काफी कम है. जो नुकसान हुआ है, उसका दुःख हम सबको है. लेकिन जो कुछ भी हम बचा पाएं हैं, वो निश्चित तौर पर, देश की सामूहिक संकल्प शक्ति का ही परिणाम है. इतने बड़े देश में, हर-एक देशवासी ने, खुद, इस लड़ाई को लड़ने की ठानी है, ये पूरी मुहिम people driven है ।

देशवासियों की संकल्प शक्ति के साथ, एक और शक्ति इस लड़ाई में हमारी सबसे बड़ी ताकत है - वो है - देशवासियों की सेवा शक्ति . वास्तव में, इस महामारी के समय, हम भारतवासियों ने दिखा है कि  सेवा और त्याग का हमारा विचार, केवल हमारा आदर्श नहीं है, बल्कि, भारत की जीवनपद्धति है, और, हमारे यहाँ तो कहा गया है सेवा परमो धर्मः सेवा स्वयं में सुख है, सेवा में ही संतोष है ।

हमारे डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, सफाईकर्मी, पुलिसकर्मी, मीडिया के साथी, ये सब, जो सेवा कर रहे हैं, उसकी चर्चा मैंने कई बार की है. मन की बात में भी मैंने उसका जिक्र किया है. सेवा में अपना सब कुछ समर्पित कर देने वाले लोगों की संख्या अनगिनत है ।

देश के सभी इलाकों से women self help group के परिश्रम की भी अनगिनत कहानियाँ इन दिनों हमारे सामने आ रही हैं. गांवों में, छोटे कस्बों में, हमारी बहनें-बेटियाँ, हर दिन हजारों की संख्या में mask बना रही हैं. तमाम सामाजिक संस्थाएं भी इस काम में इनका सहयोग कर रही हैं।
एक और बात, जो, मेरे मन को छू गई है, वो है, संकट की इस घड़ी में innovation
 तमाम देशवासी गाँवों से लेकर शहरों तक, हमारे छोटे व्यापारियों से लेकर startup तक, हमारी labs कोरोना के खिलाफ लड़ाई में, नए-नए तरीके इजाद कर रहे हैं, नए-नए innovation कर रहे हैं ।

नासिक के राजेन्द्र यादव का उदाहरण बहुत दिलचस्प है. राजेन्द्र जी नासिक में सतना गाँव के किसान हैं. अपने गाँव को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए, उन्होंने, tractor से जोड़कर एक sanitation अपने मशीन बना ली है, और ये innovative मशीन बहुत प्रभावी तरीके से काम कर रही है.

मैं social media में कई तस्वीरें देख रहा था. कई दुकानदारों ने, दो गज की दूरी के लिए, दुकान में, बड़े pipeline लगा लिए हैं, जिसमें, एक छोर से वो ऊपर से सामान डालते हैं, और दूसरी छोर से, ग्राहक, अपना सामान ले लेते हैं. इस दौरान पढ़ाई के क्षेत्र में भी कई अलग-अलग innovation शिक्षकों और छात्रों ने मिलकर किए हैं. online classes, video classes, उसको भी, अलग-अलग तरीकों से innovate किया जा रहा है.

कोरोना के खिलाफ लड़ाई का यह रास्ता लंबा है. एक ऐसी आपदा जिसका पूरी दुनिया के पास कोई इलाज ही नहीं है, जिसका, कोई पहले का अनुभव ही नहीं है, तो ऐसे में, नयी-नयी चुनौतियाँ और उसके कारण परेशानियाँ हम अनुभव भी कर रहें हैं. ये दुनिया के हर कोरोना प्रभावित देश में हो रहा है और इसलिए भारत भी इससे अछूता नहीं है.

हमारे देश में भी कोई वर्ग ऐसा नहीं है जो कठिनाई में न हो, परेशानी में न हो, और इस संकट की सबसे बड़ी चोट, अगर किसी पर पड़ी है, तो, हमारे गरीब, मजदूर, श्रमिक वर्ग पर पड़ी है. उनकी तकलीफ, उनका दर्द, उनकी पीड़ा, शब्दों में नहीं कही जा सकती. हम में से कौन ऐसा होगा जो उनकी और उनके परिवार की तकलीफों को अनुभव न कर रहा हो. हम सब मिलकर इस तकलीफ को, इस पीड़ा को, बांटने का प्रयास कर रहे हैं, पूरा देश प्रयास कर रहा है.

हमारे रेलवे के साथी दिन-रात लगे हुए हैं. केंद्र हो, राज्य हो, - स्थानीय स्वराज की संस्थाएं हो - हर कोई, दिन-रात मेहनत कर रहें हैं. जिस प्रकार रेलवे के कर्मचारी आज जुटे हुए हैं, थे भी एक प्रकार से अग्रिम पंक्ति में खड़े कोरोना वॉरियर्स ही हैं. लाखों श्रमिकों को, ट्रेनों से, और बसों से, सुरक्षित ले जाना, उनके खाने-पाने की चिंता करना, हर जिले में Quarantine केन्द्रों की व्यवस्था करना, सभी की Testing, Check-up, उपचार की व्यवस्था करना, ये सब काम लगातार चल रहे हैं, 3 और, बहुत बड़ी मात्रा में चल रहे हैं.

जो दृश्य आज हम देख रहे हैं, इससे देश को अतीत में जो कुछ हुआ, उसके अवलोकन और भविष्य के लिए सीखने का अवसर भी मिला है. आज, हमारे श्रमिकों की पीड़ा में, हम, देश के पूर्वी हिस्से की पीड़ा को देख सकते हैं. जिस पूर्वी हिस्से में, देश का growth engine बनने की क्षमता है, जिसके श्रमिकों के बाहुबल में, देश को, नई ऊँचाई पर ले जाने का सामर्थ्य है, उस पूर्वी हिस्से का विकास बहुत आवश्यक है.

पूर्वी भारत के विकास से ही, देश का संतुलित आर्थिक विकास संभव है. देश ने, जब, मुझे सेवा का अवसर दिया, तभी से, हमने पूर्वी भारत के विकास को प्राथमिकता दी है. मुझे संतोष है कि बीते वर्षों में, इस दिशा में, बहुत कुछ हुआ है, और, अब प्रवासी मजदूरों को देखते हुए बहुत कुछ नए कदम उठाना भी आवश्यक हो गया है, और, हम लगातार उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.
कहीं श्रमिकों की skill mapping का काम हो रहा है, कहीं start-ups इस काम में जुटे हैं, कहीं migration commission बनाने की बात हो रही है. इसके अलावा, केंद्र सरकार ने अभी जो फैसले लिए हैं, उससे भी गाँवों में रोजगार, स्वरोजगार, लघु उद्योगों से जुड़ी विशाल संभावनाएँ खुली हैं. ये फैसले, इन स्थितियों के समाधान के लिए हैं, आत्मनिर्भर भारत के लिए हैं, अगर, हमारे गाँव, आत्मनिर्भर होते, हमारे कस्बे, हमारे जिले, हमारे राज्य, आत्मनिर्भर होते, तो, अनेक समस्याओं ने, वो रूप नहीं लिया होता, जिस रूप में वो आज हमारे सामने खड़ी हैं
बहुत से लोगों ने तो ये भी बताया है, कि, उन्होंने जो-जो सामान, उनके इलाके में बनाए जाते हैं, उनकी, एक पूरी लिस्ट बना ली है. ये लोग, अब, इन local products को ही खरीद रहे हैं, और Vocal for Local को promote भी कर रहे हैं. Make in India को बढ़ावा मिले, इसके लिए, सब कोई, अपना-अपना संकल्प जता रहा है
कोरोना संकट के इस दौर में, मेरी, विश्व के अनेक नेताओं से बातचीत हुई है, लेकिन, मैं एक secret जरुर आज बताना चाहूंगा - विश्व के अनेक नेताओं की जब बातचीत होती है, तो मैंने देखा, इन दिनों, उनकी, बहुत ज्यादा दिलचस्पी 'योग' और 'आयुर्वेद' के सम्बन्ध में होती है . कुछ नेताओं ने मुझसे पूछा कि कोरोना के इस काल में, ये, 'योग' और 'आयुर्वेद' कैसे मदद कर सकते हैं!
हर जगह लोगों ने 'योग' और उसके साथ-साथ आयुर्वेद के बारे में, और ज्यादा, जानना चाहा है, उसे, अपनाना चाहा है. कितने ही लोग, जिन्होंने, कभी योग नहीं किया, वे भी, या तो online योग class से जुड़ गए हैं या फिर online video के माध्यम से भी योग सीख रहे हैं. सही में, 'योग'- community, immunity और unity सबके लिए अच्छा है
कोरोना संकट के इस समय में 'योग' - आज, इसलिए भी ज्यादा अहम है, क्योंकि, ये virus, हमारे respiratory system को सबसे अधिक प्रभावित करता है. 'योग' में तो Respiratory system को मजबूत करने वाले कई तरह के प्राणायाम हैं, जिनका असर हम लम्बे समय से देखते आ रहे हैं. ये time tested techniques हैं, जिसका, अपना अलग महत्व है. 'कपालभाती' और 'अनुलोम-विलोम', 'प्राणायाम' से अधिकतर लोग परिचित होंगे. लेकिन 'भस्त्रिका', 'शीतली', 'भ्रामरी' जैसे प्राणायाम के प्रकार हैं, इसके, अनेक लाभ भी हैं :

आपके जीवन में योग को बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय ने भी इस बार एक अनोखा प्रयोग किया है. आयुष मंत्रालय ने 'My Life, My Yoga' नाम से अंतर्राष्ट्रीय Video Blog उसकी प्रतियोगिता शुरू की है. भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के लोग, इस प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकते हैं.
इसमें हिस्सा लेने के लिए आपको अपना तीन मिनट का एक वीडियो बना करके upload करना होगा. इस video में आप, जो योग, या आसन करते हों, वो करते हुए दिखाना है, और, योग से, आपके जीवन में जो बदलाव आया है, उसके बारे में भी बताना है. मेरा, आपसे अनुरोध है, आप सभी, इस प्रतियोगिता में अवश्य भाग लें, और इस नए तरीके से, अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस में, आप हिस्सेदार बनिए.

हमारे देश में, करोडों-करोड़ गरीब, दशकों से, एक बहुत बड़ी चिंता में रहते आए हैं - अगर, बीमार पड़ गए तो क्या होगा ? अपना इलाज कराएं, या फिर, परिवार के लिए रोटी की चिंता करें. इस तकलीफ को समझते हुए, इस चिंता को दूर करने के लिए ही, करीब डेढ़ साल पहले 'आयुष्मान भारत' योजना शुरू की गई थी. कुछ ही दिन पहले, 'आयुष्मान भारत' के लाभार्थियों की संख्या एक करोड़ के पार हो गई है. एक करोड़ से ज्यादा मरीज, मतलब, देश के एक करोड़ से अधिक परिवारों की सेवा हुई है.

अगर, गरीबों को अस्पताल में भर्ती होने के बाद इलाज के लिए पैसे देने पड़ते, इनका मुफ्त इलाज नहीं हुआ होता, तो, उन्हें एक मोटा-मोटा अंदाज है, करीब-करीब 14 हजार करोड़ रूपए से भी ज्यादा, अपनी जेब से, खर्च करने पड़ते. 'आयुष्मान भारत' योजना ने गरीबों के पैसे खर्च होने से बचाए है. मैं, 'आयुष्मान भारत के सभी लाभार्थियों के साथ-साथ मरीजों का उपचार करने वाले सभी डॉक्टरों, nurses और मेडिकल स्टाफ को भी बधाई देता हूँ. 

प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के मुकाबले भारत में कोरोना वायरस का असर कम रहा और हमारे यहां मृत्यु दर भी कम रही.
''एक तरफ हम महामारी से लड़ रहे हैं, तो दूसरी तरफ हमें हाल में पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में प्राकृतिक आपदा का भी सामना करना पड़ा है।
हालात का जायजा लेने के लिए मैं ओडिशा और पश्चिम बंगाल गया था।
संकट की इस घड़ी में देश भी, हर तरह से वहां के लोगों के साथ खड़ा है।''
एक तरफ हम महामारी से लड़ रहे हैं, तो दूसरी तरफ, हमें, हाल में पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में, प्राकृतिक आपदा का भी सामना करना पड़ा है. पिछले कुछ हफ़्तों के दौरान हमने पश्चिम बंगाल और ओडिशा में Super Cyclone अम्फान का कहर देखा. तूफान से अनेकों घर तबाह हो गए. किसानों को भी भारी नुकसान हुआ. हालात का जायजा लेने के लिए मैं पिछले हफ्ते ओडिशा और पश्चिम बंगाल गया था. पश्चिम बंगाल और ओडिशा के लोगों ने जिस हिम्मत और बहादुरी के साथ हालात का सामना किया है - वह   है. संकट की इस घड़ी में, देश भी, हर तरह से वहाँ के लोगों के साथ खड़ा है

एक तरफ जहाँ पूर्वी भारत तूफान से आयी आपदा का सामना कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ, देश के कई हिस्से टिड्डियों या locust के हमले से प्रभावित हुए हैं. इन हमलों ने फिर हमें याद दिलाया है कि ये छोटा सा जीव कितना नुकसान करता है. टिड्डी दल का हमला कई दिनों तक चलता है, बहुत बड़े क्षेत्र पर इसका प्रभाव पड़ता है.
भारत सरकार हो, राज्य सरकार हो, कृषि विभाग हो, प्रशासन भी इस संकट के नुकसान से बचने के लिए, किसानों की मदद करने के लिए, आधुनिक संसाधनों का भी उपयोग कर रहा है. नए-नए आविष्कार की तरफ भी ध्यान दे रहा है, और मुझे विश्वास है कि हम सब मिलकर के हमारे कृषि क्षेत्र पर जो ये संकट आया है, उससे भी लोहा लेंगे, बहुत कुछ बचा लेंगे :
कुछ दिन बाद ही 5 जून को पूरी दुनिया 'विश्व पर्यावरण दिवस' मनाएगी. 'विश्व पर्यावरण दिवस' पर इस साल की theme है - Bio Diversity यानी जैव-विविधता. वर्तमान परिस्थितियों में यह theme विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. Lockdown के दौरान पिछले कुछ हफ़्तों में जीवन की रफ़्तार थोड़ी धीमी जरुर हुई है, लेकिन इससे हमें अपने आसपास, प्रकृति की समृद्ध विविधता को, जैवविविधता को, करीब से देखने का अवसर भी मिला है

आज कितने ही ऐसे पक्षी जो प्रदूषण और शोर-शराबे में ओझल हो गए थे, सालों बाद उनकी आवाज को लोग अपने घरों में सुन रहे हैं. अनेक जगहों से, जानवरों के उन्मुक्त विचरण की खबरें भी आ रही हैं. मेरी तरह आपने भी social media में जरूर इन बातों को देखा होगा, पढ़ा होगा.

बहुत लोग कह रहे हैं, लिख रहे हैं, तस्वीरें साझा कर रहे हैं, कि, वह अपने घर से दूर-दूर पहाड़ियां देख पा रहे हैं, दूर-दूर जलती हुई रोशनी देख रहे हैं. इन तस्वीरों को देखकर, कई लोगों के मन में ये संकल्प उठा होगा क्या हम उन दृश्यों को ऐसे ही बनाए रख सकते हैं. इन तस्वीरों ने लोगों को प्रकृति के लिए कुछ करने की प्रेरणा भी दी है कि नदियां सदा स्वच्छ रहें, पशु-पक्षियों को भी खुलकर जीने का हक मिले, आसमान भी साफ-सुथरा हो, इसके लिए हम प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीवन जीने की प्रेरणा ले सकते हैं.
स्वच्छ पर्यावरण सीधे हमारे जीवन, हमारे बच्चों के भविष्य का विषय है. इसलिए, हमें व्यक्तिगत स्तर पर भी इसकी चिंता करनी होगी. मेरा आपसे अनुरोध है कि इस 'पर्यावरण दिवस' पर, कुछ पेड़ अवश्य लगाएँ और प्रकृति की सेवा के लिए कुछ ऐसा संकल्प अवश्य लें जिससे प्रकृति के साथ आपका हर दिन का रिश्ता बना रहे कहाँ! गर्मी बढ़ रही है, इसलिए, पक्षियों के लिए पानी का इंतजाम करना मत भूलियेगा
हम बार-बार सुनते हैं जल है तो जीवन है - जल है तो कल है', लेकिन, जल के साथ हमारी जिम्मेवारी भी है. वर्षा का पानी, बारिश का पानी - ये हमें बचाना है, एक-एक बूंद को बचाना है. गाँव-गाँव वर्षा के पानी को हम कैसे बचाएँ ? परंपरागत बहुत सरल उपाय हैं, उन सरल उपाय से भी हम पानी को रोक सकते हैं. दिन - सात दिन भी अगर पानी रुका रहेगा तो धरती माँ की प्यास बुझाएगा, पानी फिर जमीन में जायेगा, वह जल, जीवन की शक्ति बन जायेगा और इसलिए, इस वर्षा ऋतु में, हम सब का प्रयास रहना चाहिए कि हम पानी को बचाएँ, पानी को संरक्षित करें
हम सबको ये भी ध्यान रखना होगा कि इतनी कठिन तपस्या के बाद, इतनी कठिनाइयों के बाद, देश ने, जिस तरह हालात संभाला है, उसे बिगड़ने नहीं देना है कहमें इस लड़ाई को कमजोर नहीं होने देना है कहम लापरवाह हो जाएँ, सावधानी छोड़ दें, ये कोई विकल्प नहीं है कोरोना के खिलाफ लड़ाई अब भी उतनी ही गंभीर है.

आपको, आपके परिवार को, कोरोना से अभी भी उतना ही गंभीर खतरा हो सकता है. हमें, हर इंसान की जिन्दगी को बचाना है, इसलिए, दो गज की दूरी, चेहरे पर मास्क, हाथों को धोना, इन सब सावधानियों का वैसे ही पालन करते रहना है जैसे अभी तक करते आए हैं. मुझे पूरा विश्वास है, कि आप अपने लिए, अपनों के लिए, अपने देश के लिए, ये सावधानी जरूर रखेंगे
'आयुष्मान भारत' योजना के साथ एक बहुत बड़ी विशेषता portability की सुविधा भी है. Portability ने, देश को, एकता के रंग में रंगने में भी मदद की है, यानी, बिहार का कोई गरीब अगर चाहे तो, उसे, कर्नाटक में भी यह सुविधा मिलेगी, जो उसे, अपने राज्य में मिलती. इसी तरह, महाराष्ट्र का कोई गरीब चाहे तो, उसे, इलाज की वह सुविधा, तमिलनाडु में मिलती. इस योजना के कारण, किसी क्षेत्र में, जहाँ, स्वास्थ्य की व्यवस्था कमजोर है, वहाँ के गरीब को, देश के किसी भी कोने में उत्तम इलाज कराने की सहूलियत मिलती है

आप ये जानकर हैरान रह जायेंगे कि एक करोड़ लाभार्थियों में से 80 प्रतिशत लाभार्थी देश के ग्रामीण इलाकों के हैं. इनमें भी करीब-करीब 50 प्रतिशत लाभार्थी, हमारी, माताएँ-बहने और बेटियाँ हैं. इन लाभार्थियों में ज्यादातर लोग ऐसी बीमारियों से पीड़ित थे जिनका इलाज सामान्य दवाओं से संभव नहीं था. इनमें से 70 प्रतिशत लोगों की Surgery की गई है. आप अनुमान लगा सकते हैं कि कितनी बड़ी तकलीफों से इन लोगों को मुक्ति मिली है: