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कोरोना संक्रमित क्षेत्र में एक मौलाना के साथ चौकी प्रभारी कसया का जाना बना चर्चा का विषय,क्या इन पर होगी आपदा प्रबंधन एक्ट के अनुसार कार्यवाही ?

 कोरोना संक्रमित क्षेत्र में एक मौलाना के साथ चौकी प्रभारी कसया का जाना बना चर्चा का विषय,क्या इन पर होगी आपदा प्रबंधन एक्ट के अनुसार कार्यवाही ?
ए कुमार

कुशीनगर 4 मई 2020 ।। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने लॉकडाउन के नियमों का पालन न करने वालों के खिलाफ आपदा प्रबंधन एक्ट 2005 के तहत कार्रवाई करने का आदेश जारी किया हुआ है। हालांकि ये एक्ट पूरे देश में 24 अप्रैल 2020 रात 12 बजे से ही लागू हो चुका है। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन घोषित किया था, उसके बावजूद भी चौकी प्रभारी का संक्रमित क्षेत्र में जाना और उनके खिलाफ कार्रवाई न होना चर्चा में है।
        आपदाओं को आमतौर पर प्राकृतिक आपदा के रूप में समझा जाता है। आपदा प्रबंधन एक्ट की धारा 2 (डी) में आपदा का अर्थ बताया गया है कि 'किसी क्षेत्र में प्राकृतिक या मानवकृत कारणों या उपेक्षा से पनपने वाली कोई महाविपत्ति। कोरोनावायरस महामारी के मामले में केंद्र सरकार ने इसे गंभीर चिकित्सा स्थिति / महामारी के तौर पर 'अधिसूचित आपदा' के रूप में शामिल किया है। अब सबसे बड़ा सवाल हैं कि क्या यह एक्ट आमजन पर ही लागू होगा, जबकि जैसी चर्चा है कि कसया चौकी प्रभारी बिना अनुमति ही संक्रमित क्षेत्र को निकलकर एक्ट का खुला उल्लंघन कर रहे हैं,लोगो की नजर इस ओर टिकी हुई हैं कि चौकी प्रभारी के खिलाफ भी आपदा प्रबन्धन एक्ट के तहत कार्रवाई होती हैं। *वैसे कस्बा चौकी प्रभारी का एक मौलबी के साथ जाना भी खूब सुर्खियां बटोर रहा हैं।* अब वास्तविक हकीकत क्या है यह तो जांच के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा। इस एक्ट में आपदाओं से निपटने के लिए कई प्रावधान किए गए हैं।

 धारा 51 - बाधा डालना

अगर कोई व्यक्ति किसी सरकारी कर्मचारी को आपदा के दौरान उनके कर्तव्यों को पूरा करने से रोकता है, उनके काम में बाधा डालता है, सरकारों द्वारा दिए निर्देशों को मानने से इनकार करता है, तो उसपर कार्रवाई की जा सकती है। इस धारा के तहत ऐसे व्यक्ति को एक साल की कैद और जुर्माना लगाकर दंडित किया जा सकता है। लेकिन अगर उस व्यक्ति के कारण किसी को क्षति पहुंचती है तो ये सजा दो साल तक कैद और जुर्माने में बदल सकती है।

 धारा 52 - मिथक / झूठे दावे

अगर कोई व्यक्ति पीड़ितों या किसी निश्चित वर्ग के लिए दी जाने वाली राहत सामग्री, सहायता या अन्य फायदे लेने के लिए गलत दावे करता है (पीड़ित वर्ग में न होकर भी उसके लिए दी जाने वाली मदद पर हक जताना), तो उस पर ये धारा लगाई जा सकती है। इसके तहत दोषी साबित होने पर दो साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है।

 धारा 53 - धन या सामग्री का दुरुपयोग

अगर कोई व्यक्ति पीड़ितों या किसी निश्चित वर्ग के लिए दी जाने वाली राहत सामग्री, सहायता या अन्य फायदे लेने के लिए गलत दावे करता है (पीड़ित वर्ग में न होकर भी उसके लिए दी जाने वाली मदद पर हक जताना), तो उस पर ये धारा लगाई जा सकती है। इसके तहत दोषी साबित होने पर दो साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है।

 धारा 54 - गलत चेतावनी

अगर किसी आपदा की परिस्थति में कोई झूठी चेतावनी या खबर फैलाता है, जिससे लोगों के बीच घबराहट फैले, पैनिक हो, तो इस धारा के तहत उस पर कार्रवाई की जा सकती है। ऐसा करने की कोशिश करने वालों को भी दंडित किया जा सकता है। इसकी सजा एक साल तक जेल और जुर्माना है। धारा 55 सरकारी विभागों द्वारा होने वाले अपराधों से संबंधित है।

 धारा 56 - कर्तव्य पूरा न करना 

अगर कोई सरकारी अधिकारी, कर्मचारी लॉकडाउन के दौरान सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों / कर्तव्यों का पालन नहीं करता है, तो इस धारा के तहत दोषी करार दिया जा सकता है। इसके लिए कानूनी तौर पर उसे एक साल की जेल और जुर्माने की सजा दी जा सकती है।

 धारा 57 - आदेश का उल्लंघन

आपदा प्रबंधन एक्ट 2005 की धारा 65 के तहत प्रावधान है कि राष्ट्रीय, राज्य या जिला कार्यकारिणी समिति आपदा की स्थिति में जरूरत होने पर किसी वाहन, भवन या अन्य संसाधन की मांग जनता/संस्थानों से कर सकता है। अगर इस संबंध में जारी आदेश का कोई पालन नहीं करता है, तो उस पर आपदा प्रबंधन एक्ट 2005 की धारा 57 के तहत दोषी करार दिया जा सकता है। इसके लिए उसे एक साल की कैद और जुर्माने की सजा दी जा सकती है।

 धारा 58, 59 व 60

आपदा प्रबंधन एक्ट 2005 की ये धाराएं निजी कंपनियों (धारा 58), न्यायलयों (धारा - 60) द्वारा हुए अपराध के संज्ञान के संबंध में हैं। धारा 59 किसी अभियोजन के लिए पूर्व मंजूरी (धारा 55 व 56 के मामलों में / सरकारी विभागों के लिए) के संबंध में है।


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