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जाने कहां और कैसे संचालित हो रहा है बलिया का L1कोविड-19 हॉस्पिटल ?




बलिया ।। कोरोना का नाम सुनते ही जहां आपसी खून के रिश्ते भी लगभग टूट जा रहे है, चक्कर खा कर ही गिरने वाले को कोई सहायता नही कर रहा है, ऐसी संवेदनहीनता पैदा हो गयी है कि लोग सड़क पर घायलों को तड़पता हुआ तो देख रहे है, पर सहयोग नही कर रहे है, ऐसे में अगर वास्तव में कोई अपनी जिम्मेदारियों को यह जानते हुए भी कि यह कोरोना ग्रसित रोगी है,का इलाज पूरे मनोयोग से कर रहे है तो वो है कोविड-19 के लिये बने L1 सुविधा वाले बसंतपुर सीएचसी पर तैनात डॉ केशव व इनकी टीम के अन्य 24 सदस्य । अगर इन सभी 25 लोगो को अगर धरती का भगवान कहा जाय तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी ।
 जब देशभर के नामचीन चिकित्सक व निजी अस्पताल इस कोरोना के डर से बन्द हो गये हो ,जिन नामचीन प्राइवेट चिकित्सको को मरीजो को देखने मे डर लग रहा हो, ऐसे में अगर लोगो की कोविड-19 महामारी से पहले के तथाकथित बेकार समझे जाने वाले चिकित्सक ही लोगो की जान बचा रहे है तो लोगो को समझना चाहिये कि बेकार कौन है ? इलाज के नाम पर सिर्फ आर्थिक शोषण करने वाले व महामारी के समय घरों में छुपने वाले नामचीन चिकित्सक या हमेशा जनमानस द्वारा तिरस्कृत नजरो से देखे जाने के बावजूद अपनी चिंता छोड़कर कोरोना के मरीज को जीवन देने के लिये प्रयासरत सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक व अन्य स्वास्थ्यकर्मी गण ।

पहली महामारी जिसमे प्राइवेट चिकित्सक व अस्पताल पड़े है बन्द
 अपने 5 दशकों की उम्र में मैं पहली बार देख रहा हूँ कि कोरोना महामारी में लोगो को स्वस्थ करने के लिये कोई जद्दोजहद कर रहा है, दिनरात काम करते हुए अपने परिवार से दूर रहते हुए भी अगर ईमानदारी से कार्य कर रहा है तो वो है सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर्स व अन्य कर्मी । इस महामारी में प्राइवेट डॉक्टरों की बड़ी बड़ी संस्थाएं व चिकित्सको का कही अता पता नही है । पहले जो विभीषिकाएँ आती थी ,उसमें प्राइवेट चिकित्सको की संस्थायें और चिकित्सक अपनी सेवाएं देने के लिये सरकार व जिला प्रशासन से अनुरोध करते थे,कार्य भी करते थे क्योंकि उस समय रोग चिन्हित था,रोग की दवा उपलब्ध थी । लेकिन इस बार जब रोग के वायरस अदृश्य है,कोई भी संक्रमित हो सकता है, किसी की भी जान जा सकती है, तो प्राइवेट चिकित्सको को इस बार इसी जान के डर ने घरों में कैद रहने को मजबूर कर दिया है और एक डॉक्टर बनने की डिग्री लेते समय ली गयी शपथ को भी त्यागने पर मजबूर कर दिया है । अब एक बात समझ मे साफ आ रही है कि ये नामचीन चिकित्सक ,चिकित्सक के नाम पर मरीजो का मानसिक व आर्थिक शोषण करने वाले लालची लोमड़ी जैसे ही है । अगर नही होते तो चिकित्सको की कमी की समस्याओं से जूझ रही सरकारों को ये लोग सहर्ष अपनी सेवाएं देकर अबतक कई जिंदगियों को खत्म होने से बचाने में सहयोग करते दिखते ।



कैसे होती है L1कोविड-19 हॉस्पिटल की सुबह की शुरुआत व रात
 L1 कोविड-19 हॉस्पिटल का जब नाम जेहन में आता है तो रूह तक अज्ञात शत्रु के भय से कांप जाती है । एक तरफ जहां कोरोना संदिग्ध का नाम आते ही चाहे पुलिस प्रशासन के लोग हो, जिला प्रशासन के लोग हो, या घर के ही सदस्य क्यो न हो, तुरंत 10 से 20 फीट की दूरी बना ले रहे है । ऐसे में अगर यह कह दिया जाय कि अमुक व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव है तो जैसे हवा के तीव्र झोंके से बादल फट जाते है उसी तरह आसपास से लोग गायब हो जाते है । ऐसे में जरा सोचिये उन लोगो के सम्बंध में जिनको यह पता होता है कि उनका यह मरीज कोरोना पॉजिटिव है और थोड़ी सी भी चूक से वे भी कोरोना से ग्रसित हो जाएंगे , फिर भी इलाज करने में कोई कोताही नही बरतते है ।
 L1 कोविड19 हॉस्पिटल जो बलिया में बसंतपुर सीएचसी को बनाया गया है, में इस समय 11 कोरोना ग्रसित मरीजों का इलाज चल रहा है ।  बलिया में कोरोना पेशेंट्स का इलाज करने वाली पहली टीम होने का श्रेय डॉ केशव की टीम को है । डॉ केशव के नेतृत्व में कुल 6 चिकित्सक व अन्य पैरा मेडिकल स्टाफ दिनरात लगा हुआ है । इस टीम के सभी 25 लोग 14 दिनों तक यही दिनरात रहते हुए मरीजो का इलाज कर रहे है । सुबह की शुरुआत इन लोगो की मरीजो के पास जाकर उनका स्वास्थ्य परीक्षण करना, किसी भी प्रकार की दिक्कत या परेशानी को नोट करना, जरूरी आवश्यक दवाओं और अन्य सामानों की सूची तैयार करना और सभी को सुबह के नाश्ते के लिये पौष्टिक आहार उपलब्ध कराना है ।
 फिर दिन का खाना खिलाना,जरूरी दवाओं को देना है । रोगी अपने आप को अकेला या अलग थलग न समझे , इस लिये इनके मनोरंजन के लिये टीवी लगाया गया है । डॉ केशव के अनुसार हॉस्पिटल में भर्ती सभी 11 मरीज बहुत ही शांत स्वभाव के है और एक तरफ जहां हम लोगो द्वारा दिये गये दिशा निर्देशों का पालन कर रहे है तो वही आपस मे बातचीत करते समय स्वयं ही सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन कर रहे है ।
  रात में एक बार फिर सभी मरीजो का चेकअप किया जाता है , भोजन कराया जाता है और भरपूर नींद में सोने की सलाह दी जाती है । इलाज में इन लोगो को प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों व दवाओं को दिया जा रहा है । बलिया में भर्ती सभी 11 कोरोना पेशेंट स्वस्थ है और 14 दिनों बाद इनके पूर्ण स्वस्थ होकर घर जाने की पूरी उम्मीद करते है ।

L1 कोविड-19 हॉस्पिटल बसंतपुर में कार्यरत टीम 1 के सदस्य
 1 .डॉ केशव प्रसाद चिकित्सा अधिकारी टीम लीडर
 2. डॉ शशि प्रकाश चिकित्सा अधिकारी
 3.स्टाफ नर्स नीतू ओझा
 4.स्टाफ नर्स पूनम वर्मा
 5.एलटी मोहम्मद इसहाक
 6.वार्ड बॉय राजकुमार
 7.स्वीपर नरेंद्र रावत
 8.स्वीपर शंकर पाल रावत
 9.चिकित्सा अधिकारी डॉ सीपी पांडेय
10.चिकित्सा अधिकारी डॉ राकिफ़ अख्तर
11.स्टाफ नर्स सत्य प्रकाश राय
12.स्टाफ नर्स कुमारी स्कूम
13.फार्मासिस्ट सतीश कुमार वर्मा
14.वार्ड बाय भानु सिंह
 15.स्वीपर विनोद कुमार
 16.स्वीपर श्यामसुंदर रावत
 17.चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर वरुण ज्ञानेश्वर
 18.चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर राजेश कुमार
 19.स्टाफ नर्स पल्लवी सिंह
 20.स्टाफ नर्स गिरजा
 21.फार्मासिस्ट धर्मेंद्र सिंह
 22.एलटी मुन्ना यादव
23.वार्ड बॉय वंशदेव सिंह
 24.स्वीपर शिवकुमार
 25.स्वीपर वीरेंद्र कुमार रावत

कैसा मिल रहा है चिकित्सकीय टीम व मरीजो को भोजन
 स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी शासनादेश के अनुसार कोविड-19 के मरीजो के इलाज में लगी चिकित्सकीय टीम को उत्कृष्ट तरह की रहने की व्यवस्था के साथ ही खाने के लिये प्रत्येक सदस्य को रुपये 500 प्रतिदिन के हिसाब से मिल रहा है । इसमें इनको सुबह का नाश्ता ,लंच व डिनर तीनों शामिल है ।




पर मरीजो के लिये सिर्फ 100 रुपये प्रतिदिन
एक तरफ सरकार जहां चिकित्सकीय टीम को हर तरह की उच्च स्तरीय सुविधा दे रही है जो बहुत ही अच्छी बात है लेकिन दूसरी तरफ कोरोना मरीजो के मद में प्रति मरीज प्रतिदिन मात्र 100 रुपये देना कही से भी उचित नही है । अगर मरीजो को जल्द से जल्द ठीक करना है तो इनके मद में भी बढ़ोत्तरी होनी चाहिये जिससे इनको ज्यादे से ज्यादे प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली वस्तुओं को इनके डाइट में समिश्रण किया जा सके ।

रिपोर्ट मधुसूदन सिंह