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स्ववित्तपोषित शिक्षक कोरोना काल में भुखमरी की कगार पर :पूरे वर्ष की फीस जमा करा चुके महाविद्यालय 6माह से नही दिये है मानदेय,सरकारी आदेश से भी नही डरते प्रबंधक....डॉ विवेक पाण्डेय



डॉ सुनील कुमार ओझा 
जौनपुर ।। प्रदेश के समस्त विश्वविद्यालयों से सम्बद्ध महाविद्यालयों के स्ववित्तपोषित शिक्षको की स्थिति इस कोरोना काल मे बेहद ही खराब हो गयी है क्योकि अभी तक अधिसंख्य कालेज के प्रबंधकों ने शासन  की बातों को नजरअंदाज कर लगभग 6 माह से मानदेय नही दिया है। इन प्रबंधकों को सरकारी आदेश व सरकार से भी लगता है कोई डर नही है । आलम यह है कि शिक्षक अपने जिंदगी के उस क्षण को कोस रहे है जिस क्षण उन्होंने स्ववित्त पोषित योजना के तहत शिक्षक बनने का निर्णय लिया था। प्रबंधकों द्वारा इस कोरोना काल मे भी किये जा रहे इस अमानवीय कृत्य को देखते हुए पूर्ण स्ववित्तपोषित महाविद्यालय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ विवेक पाण्डेय ने वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कुलसचिव को  स्ववित्तपोषित महाविद्यालयो में कार्यरत शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को अप्रैल  माह से जुलाई माह तक महाविद्यालयो द्वारा वेतन भुगतान न करने की शिकायत करते हुए विश्व विद्यालय से सम्बद्ध समस्त महाविद्यालयो की जाँच एवं आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित कराने की माँग की है । संघ के अध्यक्ष ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों को अवगत कराते हुए बताया कि विश्वविद्यालय से सम्बद्ध 800से ज्यादा महाविद्यालय स्ववित्तपोषित योजनान्तर्गत संचालित हो रहे है जिनमे 10 हजार से ज्यादा शिक्षक एवं 5 हजार के लगभग तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी कार्यरत है ,जो जीविकोपार्जन हेतु  महाविद्यालयो पर ही निर्भर है ।किंतु  विश्वविद्यालय से सम्बद्ध लगभग 80/प्रतिशत महाविद्यालय अर्थात 500 से 600 महाविद्यालयों द्वारा अपने महाविद्यालय में कार्यरत शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को वैश्विक महामारी कोविड 19  की आड़ में आर्थिक समस्या का हवाला देते हुए अप्रैल माह से जुलाई माह तक का वेतन भुगतान नही किया  है जबकि महाविद्यालयों द्वारा  छात्र एवं छात्राओं से वैश्विक महामारी कोविड 19(कोरोना) शुरू होने के पहले ही पिछले वर्ष अर्थात वर्ष 2019 जुलाई में ही प्रवेश के समय एवं फरवरी 2020  में  विश्वविद्यालय की वार्षिक परीक्षा शुरू होने के पहले ही  पूरे सत्र 2019-2020 की फीस एक या दो क़िस्त में ले ली गयी है किंतु  उन महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को पूरे सत्र का नियमित भुगतान नही किया गया। इस सन्दर्भ में उत्तर प्रदेश शासन द्वारा प्रदेश के समस्त क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों एवं प्रदेश के समस्त राज्य विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों  को पत्र निर्गत कर समस्त महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के वेतन भुगतान सुनिश्चित कराने का आदेश दिया  गया था  जिस पर  विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा शासन के पत्र की जानकारी समस्त  महाविद्यालयों को उपलब्ध कराई गयी  थी और वेतन सम्बन्धी आख्या विश्विद्यालय में प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था किंतु  केवल 20 प्रतिशत महाविद्यालयों ने ही वेतन सम्बंधित अपनी आख्या विश्वविद्यालय को उपलब्ध करायी है ,शेष महाविद्यालयों ने विश्वविद्यालय के आदेश की अनदेखी करते हुए अपने कर्मचारियों को वेतन का भुगतान नही किया और न ही कोई आख्या विश्विद्यालय उपलब्ध करायी है  जिस पर  विश्वविद्यालय द्वारा इन महाविद्यालयों पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नही की गई । विश्वविद्यालय की इस कमजोर व्यवस्था का लाभ उठाते हुए महाविद्यालयों द्वारा अपने शिक्षकों एवं कर्मचारियों का  जबरदस्त रूप से मानसिक एवं आर्थिक शोषण किया जा रहा है।
        डॉ पांडेय ने विश्वविद्यालय से सम्बद्ध समस्त महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों एवं कर्मचारियों का अप्रैल माह से जुलाई माह का  वेतन भुगतान शीघ्रातिशीघ्र प्रदान कराने का वीसी वीवीएस पूर्वांचल विश्वविद्यालय से अनुरोध किया है ।  जिससे कि सभी शिक्षक एवं कर्मचारी  वैश्विक महामारी कोविड 19 के कारण उत्पन्न इस  गम्भीर आर्थिक संकट के समय मे अपने पाल्यो का सुचारू रूप से पालन पोषण कर सके। इस संदर्भ में संघ द्वारा मुख्यमंत्री, राज्यपाल, और क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी वाराणसी को भी पत्र ई मेल किया गया है। अब देखना है कि  क्या इसका असर सरकार पर, विश्वविद्यालय पर होता है कि नही ?