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अगर सरकार अनुदानित महाविद्यालयों में कार्यरत स्ववित्तपोषित शिक्षको की बात नही मानी तो मैं RSS का होते हुए भी भाजपा का करूंगा विरोध - डॉ नीरज कुमार शुक्ला




 डॉ सुनील कुमार ओझा की रिपोर्ट
बलिया ।।  अपने ही सरकार की बातों से तंग आकर  गोरक्ष प्रान्त कार्यकारिणी में शालेह प्रकल्प जिला बलिया में स्थान प्राप्त डॉ०नीरज कुमार शुक्ला स्वयंसेवक RSS/राष्ट्रवादी विचारक प्राध्यापक ,भूगोल विभाग(श्री बजरंग स्नातकोत्तर महाविद्यालय, दादर आश्रम, सिकन्दरपुर, बलिया, उत्तरप्रदेश) ने हमला बोल दिया है आज  29 जुलाई के  R9TV-Free पर अमिताभ अग्निहोत्री जी के महा पंचायत विमर्श में यह चर्चा हो रही थी कि ब्राम्हणों को सपा बसपा बड़ी बड़ी जिम्मेदारियां दे रही हैं इसका मात्र एक ही कारण है कि ब्राम्हण राजनीति के फलक पर उपेक्षित है। ब्राम्हण को सबसे अधिक उपेक्षा  भाजपा द्वारा ही उ. प्र. में  झेला जा रहा है। यह भी सत्य है कि ब्राम्हण सबसे ज्यादा किसी पार्टी को दिल से चाहते हैं तो वह भाजपा ही है। पर किसी भी प्रकार का ऐसा कोई काम भाजपा नहीं कर रही है जिससे ब्राम्हणों को लगें कि उनके बारे में भी  कोई सही दिशा में काम कर रहा है या सोच रहा हैं। मैं एक उदाहरण द्वारा से स्पष्ट कर रहा हूं। उ प्र के उच्च शिक्षा में अनुदानित अशासकीय महाविद्यालयों में स्ववित्त पोषित प्रवक्ता शिक्षण कार्य कर रहे हैं उनको अनुदान पर लेकर विनियमित करने के लिए शिक्षक प्रयास कर रहे हैं तो उनकी बात किसी भी पार्टी द्वारा नहीं सुनी जा रही है। बसपा की सरकार थी उस सरकार में इसलिए विनियमित नहीं किया गया क्योंकि मायावती जी ने यह कह कर फाइल फेंक दिया कि इसमें आरक्षण को ध्यान नहीं रखा गया है उनको  अधिक से अधिक दलित शिक्षक दीखना चाहिए था। बसपा के बाद सपा की सरकार आयी सपा नेता ने यह कह कर बात को टाल दिया कि सभी शिक्षक संघ या भाजपा के है और अधिकांश ब्राम्हण  ठाकुर सवर्ण है ,इनके लोग कम है। सपा के बाद भाजपा की सरकार आयी । भाजपा तो इस पर विचार ही नहीं कर रही है, जबकि भाजपा विपक्ष में थी तो उसके प्रदेश अध्यक्ष से लेकर दर्जनों बड़े नेता यह कहते थे हमारी सरकार आने दीजिए हम सबसे पहले आप ही लोगों का काम करेंगे। यह आश्वासन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या जी ने भी दिया था। आज मौर्या जी उपमुख्यमंत्री के साथ पी डब्लू डी मंत्री है। उच्च शिक्षा मंत्री भी उपमुख्यमंत्री है ब्राम्हण भी है पर कोई परवाह ही नहीं कर रहें है। कहने का मतलब है कि इसमें  कौन है अधिकांश ब्राम्हण  ही तो है। सभी पार्टियां सिर्फ अपने अपने राजनैतिक महत्त्वाकांक्षाओं को पुरा करने के लिए ब्राम्हणों का उपयोग कर रही है। इसके लिए कोई और नहीं ब्राम्हण नेता ही जिम्मेदार है जो अपने समाज के लोगों का भी काम नहीं करा रहें हैं। और पार्टियां तो उपयोग कर रही है। ऐसे ही अनेकों काम है जो ब्राम्हणों का नहीं हो पा रहा है। इसलिए ब्राम्हणों को उसी पार्टी का साथ देना चाहिए जो ब्राम्हणों का दिल से चिन्ता करें और काम करें। सपा बसपा भाजपा कांग्रेस से कोई मतलब नहीं है जो काम करेगा वही भोट भी पायेगा को चरितार्थ भी किया जाएगा। डॉ शुक्ला ने बताया कि हमने उप मुख्यमंत्री जी से लेकर अपने संघ को भी इस बात से अवगत करा दिया हु कि शिक्षको के हित को ध्यान में रख कर कार्य किया जाय।