कोरोना ग्रसित होम आइसोलेशन के मरीजों को हो रही है खाद्य सामग्रियों की दिक्कत,भूख प्यास से मरने की नौबत,प्रशासन ले संज्ञान
मधुसूदन सिंह
बलिया ।। WHO द्वारा भूलवश फिजिकल डिस्टेंसिंग को सोशल डिस्टेंसिंग क्या कह दी , भारतीय समाज मे भाईचारे का जो तानाबाना था,वह एकदम से टूट गया है । कोरोना पॉजिटिव होते ही वह व्यक्ति , वह परिवार अछूत हो जा रहा है ,उनका पड़ोसी भी उनको सहायता देने को तैयार नही है । ऐसे परिवारों के सामने खाने पीने की आवश्यक वस्तुओं के लाले पड़ रहे है और इसको देखने वाला कोई नही है ।
कोरोना पॉजिटिव होते ही प्रशासन उसके घर पर स्लिप चिपकाने, उधर आने जाने पर प्रतिबंध के लिये कंटेन्मेंट जोन घोषित करके अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जा रहा है । कोई यह नही पूंछने वाला है कि उस परिवार की दैनिक दिनचर्या की आवश्यकताओ की पूर्ति हो रही है कि नही । अगर कोरोना का मरीज पैसे वाला है, रसूख वाला है तो उसको परेशानी नही हो रही है लेकिन अगर सामान्य हैसियत का है, गरीब है तो वह पानी बगैर मरने की हालत में आ जा रहे है ।
बलिया एक्सप्रेस को मिली जानकारी के अनुसार आनंद नगर मुहल्ले में एक यादव परिवार का लड़का पॉजिटिव हुआ है और होम आइसोलेशन में है । इस लड़के के साथ ही इसके बूढ़े मां बाप भी है । हालात यह हो गया है कि इस परिवार को न कोई दूध दे रहा है, न कोई पानी वाला पानी दे रहा है,पड़ोसियों से कुछ मांगने पर कोई तैयार नही हो रहा है,एक दुकानदार सामान देने को भी तैयार है, पर कोई ले जाने को तैयार नही है । ऐसी सूरत में यह परिवार कैसे कोरोना से लड़ेगा , कैसे जीवन बचाएगा, यह सबसे बड़ा सवाल है ।
अब सबसे बड़ा सवाल जिला प्रशासन की भूमिका पर भी उठ रहा है । क्योंकि प्रशासन ने ही उस जोन को कंटेन्मेंट जोन घोषित कर रखा है तो क्या प्रशासन की जिम्मेदारी नही है कि वह ऐसे परिवारों की आवश्यकताओं को पूरी कराये ? यह केवल बलिया के एक मुहल्ले आनंद नगर के एक मरीज की बात नही है , यह पूरे देश मे हो रहा है । ऐसे में इसको रोकने की जिम्मेदारी सरकार व स्थानीय प्रशासन की है । अगर यह नही रुका तो हमारे समाज मे एक बड़ी विकृति उतपन्न हो जाएगी ।