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कवियों की रचनाओं में रक्षाबंधन







                     राखी का त्योहार


बहन भाई के निर्मल मन में,सदा जगाये प्यार।

राखी का त्योहार सुहाना,राखी का त्योहार।


भाई की जीवन फुल-बगिया,खिल कर सुरभि लुटाये।

भइया की झोली खुशियों से,हे ईश्वर भर जाये।

तिलक भाल पर लगा,आरती,करती बारम्बार।

राखी का त्योहार सुहाना,राखी का त्योहार।


राखी का यह पावन धागा,मस्तक पर शुभ रोरी।

कभी न टूटे भाई- बहन के,प्रेम की निर्मल डोरी।

भाई रक्षा हित तत्पर है,बहन लुटाती प्यार।

राखी का त्योहार सुहाना,राखी का त्योहार।


भाई कहता बहन कभी भी,दुखी नहीं तुम होना।

तेरे आगे सभी तुच्छ हैं,यह चाँदी औ' सोना।

इन धागों का मोल नहीं है,यह अनुपम उपहार।

राखी का त्योहार सुहाना,राखी का त्याहार।


श्याम सुन्दर श्रीवास्तव 'कोमल'

        व्याख्याता-हिन्दी

      अशोकउ०मा०विद्यालय,लहार

            जिला-भिण्ड,म०प्र०

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                     रक्षाबंधन 

एक वर्ष में एक दिन,आता पर्व महान,
प्रेम सूत्र बंधन बँधे,बहन-बंधु दो जान।

एक गोद में ये पले,बढ़कर हुए सयान,
दो तन दो परिवार में,सहज किए प्रस्थान।

जन्म जहाँ भाई रहे,और बहन ससुराल,
रक्षा बंधन में बँधे,गहन प्रेम उत्ताल।

मानव की यह सभ्यता,संस्कृति अद्भुत जान,
बहन वहाँ जाती जहाँ,सदा शून्य पहचान।

मात-पिता दोनों छुटे,छूटा आँगन-द्वार,
स्नेह-सुधा वर्षा विगत,सिर पर आया क्वार।

सहन घाम करना कठिन,पर सहना है बाध्य,
गेह गया आँगन गया,मिले सजन आराध्य।

हुआ अवतरण जिस दिवस,तब से अब तक आज,
प्रतिपल पल-पल सब बदल,समझे कोई राज।

एक मूल दो शाख हैं, बहन बंधु के रूप,
एक सिमट आँगन रहे,एक परायी धूप।

उतरे ज्यों रवि की किरन,रवि से छिति तक दौड़,
नव प्रभात आँगन भरे,रश्मि लता सी पौड़।

सदा असंभव भूलना,बंधु सहोदर प्रेम,
इस रक्षा के सूत्र से,जुड़ा परस्पर क्षेम।

सावन की यह पूर्णिमा,शिव का चिन्मय रूप,
बहन-बंधु में नित भरे,पावन प्रेम अनूप।

बाँध कलाई में बहन,रक्षा का यह सूत,
नित्य बंधु से चाहती,रक्षा भाव अकूत।

निज कर से मिष्ठान्न दे,मुख में भरे मिठास,
ऐसे जीवन में घुले,मीठा नवल उजास।

रोली हल्दी का तिलक,बहन माथ पर टीक,
मानो भाई से कहे,सदा रहो यूँ नीक।

कुशल क्षेम द्वय तट रहे,धारा प्रेम अटूट,
रक्षाबंधन पर्व में,भरा भाव अति कूट।

बाबा कल्पनेश
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abandha18.blogspot. com से साभार

राखी आयी खुशियां लायी
राखी आयी खुशियां लायी
बहन आज फूलें न समाई
रखी, रोली और मिठाई
इन सब से थाली खूब सजाई !
बांधे भाई के कलाई पे धागा
भाई से लेती हैं वादा
रखी की लाज भैया निभाना
बहन को कभी भूल न जाना !
भाई देता बहन को वचन
दुःख उसके सब कर लेंगा हरन
भाई बहन का प्यार हैं
त्यौहार रखी का न्यारा हैं !



राखी बांधत जसोदा मैया
राखी बांधत जसोदा मैया ।
विविध सिंगार किये पटभूषण, पुनि पुनि लेत बलैया ॥
हाथन लीये थार मुदित मन, कुमकुम अक्षत मांझ धरैया।
तिलक करत आरती उतारत अति हरख हरख मन भैया ॥
बदन चूमि चुचकारत अतिहि भरि भरि धरे पकवान मिठैया ।
नाना भांत भोग आगे धर, कहत लेहु दोउ मैया॥
नरनारी सब आय मिली तहां निरखत नंद ललैया ।
सूरदास गिरिधर चिर जीयो गोकुल बजत बधैया ॥



राखी का आज त्यौहार है
राखी का आज त्यौहार है
बहन भाई के लिए बहुत खास है
लाया खुशियों की बहार है
रेशम के धागे से बंधा प्यार है।
बहनें आज भाइयों को
कुमकुम का तिलक लगाती हैं
अपने प्यारे हाथों से
भाई को मिठाई खिलाती है।
भाई की सूनी कलाई पर
रेशम का धागा बांधती है
बदले में भाई से रक्षा का
अनमोल वायदा पाती है।
भाई भी सुंदर सुंदर तोहफे
बहनों के लिए लाते हैं
तोहफे में क्या मिलने वाला है
बहनें उत्सुक रहती हैं।
बहनें भी भाई की
सलामती की दुआ करती है
खुश रहो तुम सदा भैया
यही प्रार्थना करती है।
बहन भाई का एक दूसरे पर
होता अटूट विश्वास है
रेशम के धागे से ये
बंधा हुआ त्यौहार है।



भैया मेरे
अच्छे भैया मेरे…
सबसे प्यारे भैया मेरे…
तुम हो मेरे रखवाले…
मुझसे ये राखी बन्धवाले…
तेरे साथ मैं चलूँगी..
मेरे साथ तुम चलना…
तेरी रक्षा मैं करुगी..
मेरी रक्षा तुम करना..
राखी का ये बंधन प्यारा..
इस बंधन को बांधे रखना..
टूटे ना रिश्तो का धागा…
मजबूत अपने इरादे रखना…
जब मैं तुमसे रूठ जाऊं..
तो तुम मुझे मनाना..
जब-जब मैं रोऊँ..
तुम मुझे हंसाना..
मेरे भैया दूर ना जाना..
मुझसे तुम राखी बंधवाना..
प्यारे प्यारे भैया मेरे …
सबसे अच्छे भैया मेरे….




भाई बहन का शुभ दिन है आज
भाई बहन का शुभ दिन है आज
कलाई पर सजा है राखी का ताज
बहना की आँखों में है बहुत प्यार
भाई के हाथों मिलेगा आज उपहार
रक्षा करेगा भाई देता है वचन
यूं ही साथ रहेंगे हर जनम
आओ मिलकर खाएं हम मिठाई
रक्षा बंधन की सबको बधाई!


राखी
हर सावन में आती राखी,
बहना से मिलवाती राखी…
चाँद सितारों की चमकीली,
कलाई को कर जाती राखी…
जो भूले से भी ना भूले,
मनभावन क्षण लाती राखी,
अटूट-प्रेम का भाव धागे से
हर घर में बिखराती राखी…
सारे जग की मूल्यवान
चीजों से बढकर भाती राखी.
सदा बहन की रक्षा करना,
भाई को बतलाती राखी!!


प्यारी बहना
प्रीत के धागो के बंधन में,
स्नेह का उमड़ रहा संसार,
सारे जग में सबसे सच्चा,
होता भाई बहन का प्यार,
नन्हे भैया का है कहना,
राखी बांधो प्यारी बहना..
सावन की मस्तीली फुहार,
मधुरिम संगीत सुनती है,
मेघों की ढोल ताप पर,
वसुंधरा मुस्काती है…
आया सावन का महीना,
राखी बांधो प्यारी बहना.
धरती ने चाँद मामा को.
इंद्रधनुषी राखी पहनाई,
बिजली चमकी खुशियों से,
रिमझिम जी ने झड़ी लगाई..
राजी ख़ुशी सदा तुम रहना,
राखी बाँधों प्यारी बहना!!


राखी आई
राखी आई खुशियाँ लाई
बहन आज फूली ना समाई
राखी, रोली और मिठाई
इन सब से थाली खूब सजाई
बाँधे भाई की कलाई पे धागा
भाई से लेती है यह वादा
राखी की लाज भैया निभाना
बहना को कभी भूल ना जाना
भाई देता बहन को वचन
दुःख उसके सब कर लोग हरण
भाई बहन को प्यारा है
राखी का त्यौहार सबसे न्यारा है!


रक्षाबंधन
हर सावन में आती राखी,
बहना से मिलवाती राखी…
चाँद सितारों की चमकीली,
कलाई को कर जाती राखी…
जो भूले से भी ना भूले,
मनभावन क्षण लाती राखी,
अटूट-प्रेम का भाव धागे से
हर घर में बिखराती राखी…
सारे जग की मूल्यवान
चीजों से बढकर भाती राखी.
सदा बहन की रक्षा करना,
भाई को बतलाती राखी.


भाई बहन

राखी के धागे हलके फुल्के.. जज़्बातों मे गहरा वज़न टिका,
वह रिश्ता सबसे उत्तम है.. जिस मे रक्षा का है वचन जुड़ा।
रक्षाबंधन पर्व हर वर्ष हो.. इस रीत से सबका ह्रदय जुड़ा,
भाई बहन का एक ही मन है.. अद्वितीय सूत्र की गाँठ बँधा।

कैसे भावनाएँ जन्म ले भीतर..? कैसे उत्पन्न परवाह हो..?
चुपचाप जो बैठे बहन कही तो.. बेचैनी भाई के शब्दों मे हो,
दुआ के थाल दो नैना भरकर.. बहना माँगे भाई का सदा भला..
ईश्वर से विनती इतनी है.. पावन रिश्ता यह रहे खरा। 

रंग सुनहरे धागों के.. चमक धमक सजावट हो..
मन भावन है नाम राखी का.. राखी का अर्थ रक्षा हो,
दूर पास.. हम कही रहे.. हुँ बहन! है सौभागय मेरा..
वीर हाथ जो सर पर रख दे.. स्पर्श छाप बन माथे सजे सदा। 

राखी के धागे नही हलके फुल्के.. भाई बहन प्रेम हर रेशे जुड़ा..
चोखा है.. अनोखा है.. कई कड़ियों से यह नाता जुड़ा,
रक्षाबंधन पर हर बहना.. माँगे भाई का जीवन हो सुख से भरा..
ह्रदय कोश से.. नैनो से.. शब्दों से सौंपूँ आशीष सदा। 

“राखी के धागे हलके फुल्के.. जज़्बातों मे गहरा वज़न टिका,
भाई बहन का एक ही मन है.. अद्वितीय सूत्र की गाँठ बँधा।”