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" एकात्म मानव दर्शन और भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा " पर ऑनलाइन संगोष्ठी सम्पन्न



बलिया ।। जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया के दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ के तत्वावधान में 04 अगस्त, मंगलवार को " एकात्म मानव दर्शन और भारतीय शिक्षा की पुनर्प्रतिष्ठा " पर एक ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
           संगोष्ठी की मुख्य वक्ता पुनरुत्थान विद्यापीठ, अहमदाबाद, गुजरात की कुलपति प्रो० इंदुमती काटदरे ने कहा कि भारत की जीवन और जगत को देखने की जो शाश्वत दृष्टि है उसे ही बीसवीं शताब्दी में युगानुरूप परिवर्तित करके एकात्म मानव दर्शन बना।हमें इस दर्शन को अपने जीवन में उतारना होगा।इसके लिये सामाजिक शास्त्रों के पाठ्यक्रमों को फिर से बनाने की आवश्यकता है और यह कार्य पूरे देश में फैले दीनदयाल शोधपीठों  के द्वारा समन्वित रूप से मिलकर करना होगा।
         विषय प्रवर्तन करते हुए दीनदयाल अनुसंधान केन्द्र, दिल्ली के अध्यक्ष प्रो० महेश चंद्र शर्मा ने कहा कि एकात्म मानव दर्शन व्यष्टि- समष्टि, सृष्टि और परमेष्टि की एकात्मकता की बात करता  है। हमें सबको एक सूत्र में पिरोने वाली ऐसी ही शिक्षा की आवश्यकता है।
          अध्ययक्षीय उद्बोधन देते हुए कुलपति प्रो० कल्पलता पाण्डेय ने कहा कि प्रेम,आनंद, त्याग, सेवा जैसे मूल्यों के आधार पर कुटुंब केंद्रित समाज व्यवस्था का निर्माण करना होगा और इसका उत्तरदायित्व दीनदयाल शोधपीठों को लेना होगा।
       गोष्ठी में प्रो० एम० एल० छिप्पा, प्रो० जसबीर सिंह, नई दिल्ली, प्रो० विवेक वसंतराव काटदरे, महाराष्ट्र, प्रो० संजीव, गोरखपुर प्रो० एस० के० मिश्र, बी एच यू , प्रो० श्यामबाबू, कानपुर, प्रो० मानस पाण्डेय आदि देश के कोने- कोने से कई विद्वानों ने प्रतिभाग किया और अपने विचार प्रस्तुत किये।
          अतिथियों का स्वागत शोधपीठ के संयोजक डॉ० रामकृष्ण उपाध्याय ने और संचालन शोधपीठ के उप संपादक डॉ० प्रमोद शंकर पाण्डेय ने किया। प्रश्नोत्तर सत्र का संचालन डॉ० दयालानंद राय ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ० अनिल कुमार ने किया।