ईओ दिनेश विश्वकर्मा ने नगर पालिका को बनाया अपनी जागीर : भ्रष्टाचार लेखाधिकारी के साथ कैसे हुआ उसकी प्रस्तुत है पहली कड़ी
मधुसूदन सिंह
बलिया ।। एक मनसरहंग और कानूनविद अधिकारी किस तरह कानून के साथ खिलवाड़ करते हुए भ्रष्टाचार करता है ,इसका जीता जागता उदाहरण बलिया नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी दिनेश कुमार विश्वकर्मा है । इनके भ्रष्टाचार इतने बढ़ गये कि चेयरमैन अजय कुमार समाजसेवी को इसकी शिकायत विभागीय अधिकारियों से करने के बाद जब कोई कार्यवाही नही हुई तो माननीय मुख्यमंत्री योगी से शिकायत करनी पड़ी ,जो आज भी कार्यवाही के लिये दफ्तरों की धूल फांक रही है । बताया जाता है कि ईओ विश्वकर्मा की पहुंच जिला स्तर के अधिकारियों से लेकर शासन के उच्चाधिकारियों तक पहुंच है, जिसके कारण इसके ऊपर कोई कार्यवाही नही हो पा रही है जबकि सदर विधायक व मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल भी अपने पैड पर इस अधिकारी के भ्रष्टाचार की शिकायत महीनों पहले से कई बार कर चुके है ।
बलिया एक्सप्रेस आज से कड़ियों में बलिया नगर पालिका परिषद के भ्रष्टाचार को उजागर करने की मुहिम चला रहा है । पहली कड़ी में ईओ दिनेश कुमार विश्वकर्मा द्वारा किये गये भ्रष्टाचार को उजागर किया जा रहा है ।
शासनादेश के विरुद्ध मेडिकल क्लेम व वेतन का आहरण
नगर पालिका परिषद बलिया के ईओ दिनेश कुमार विश्वकर्मा एक सरकारी अधिकारी के साथ ही कानूनविद भी है । ऐसे में इनसे उम्मीद की जाती है कि ये अपने कार्यालय में शासनादेशों के अनुरूप ही कार्यो का संपादन करेंगे और शासनादेशो का कड़ाई से अनुपालन कराएंगे । लेकिन यहां ऐसा कुछ भी नही हुआ है । श्री विश्वकर्मा ने अपने कानूनी विशेषज्ञता का प्रयोग नगर पालिका के सरकारी धन को शासनादेश के खिलाफ आदेश करके भ्रष्टाचार करने में किया है ।
सबसे पहला भ्रष्टाचार इन्होंने तब किया है जब इन्होंने अपने स्थानांतरण को 2019 में रुकवा कर पुनः बलिया में योगदान देना शुरू किया । बलिया में आगमन के साथ ही श्री विश्वकर्मा ने शासनादेश को धत्ता बताते हुए बिना किसी सक्षम अधिकारी के आदेश के अपना वेतन उस समयावधि का निकाल लिया जिस पीरियड में वे बलिया में उपस्थित थे ही नही । एक समय मे एक ही कार्यालय में एक ही पद के सापेक्ष दो दो वेतन का आहरण शासनादेशों के खिलाफ है, फिर भी कानूनविद ईओ विश्वकर्मा ने ऐसा किया है । बता दे कि दिनेश कुमार विश्वकर्मा के स्थानांतरण के बाद डॉ इंदु प्रकाश मिश्र यहां पर ईओ का चार्ज लिये थे । डॉ मिश्र ने वेतन के रूप में जुलाई 2019 में रुपये 63035 /- और अगस्त 2019 में 71548 रुपये आहरित किया है । जबकि इसी समयावधि का वेतन दिनेश विश्वकर्मा ने अगस्त 2019 में वेतन के रूप में 66840 रुपये आहरित कर लिया है । सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि लेखाधिकारी अचिन्त्य कुमार ने इस पर टिप्पणी लिखा है कि OS द्वारा अधिशाषी अधिकारी के मौखिक आदेश पर निकाला गया है । यह नोटिंग अचिन्त्य कुमार ने 28 अगस्त 2020 को की है ।
सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या किसी अनुपस्थित अधिकारी का अनुपस्थिति वाले समय का वेतन बिना उच्चाधिकारियो के अनुमोदन के निकाला जा सकता है ? वही इस कांड में दूसरी बात यह सामने आ रही है कि फ़ाइल में इसको चिकित्सा प्रतिपूर्ति बताया है और निकाला गया है वेतन । चिकित्सा प्रतिपूर्ति तब निकाली जा सकती है जब अनुपस्थिति को उच्चाधिकारियो द्वारा चिकित्सकीय अवकाश स्वीकृत कर दिया जाय । लेकिन यहां तो ईओ विश्वकर्मा खुद ही उच्चाधिकारी बनकर अपनी ही छुट्टी स्वीकृत करते है और वेतन निकालने का आदेश जारी कर वेतन आहरित कर लेते है । इससे तो यही लगता है कि इनको न तो उच्चाधिकारियों का डर है,न शासनादेश का , और न ही शासन व सरकार का । यहां तक कि चेयरमैन द्वारा जिलाधिकारी बलिया को पत्र भेजकर इस ईओ के कार्यो की जांच कराने तथा ईओ व लेखाधिकारी के पावर को जब्त कर प्रशासनिक अधिकारी को इनके दायित्वों को देने की मांग भी लगभग एक माह से डीएम बलिया के पास विचाराधीन है । यह इस अधिकारी के रसूख को दर्शाने के लिये काफी है ।
दूसरी कड़ी में दूसरे भ्रष्टाचार को उजागर किया जाएगा । बने रहिये बलिया एक्सप्रेस के साथ ।