सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला : कैटेगरी के आधार पर आरक्षण दे सकते है राज्य
ए कुमार
नईदिल्ली ।। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संवैधानिक बैंच ने आज एससी-एसटी आरक्षण (SC-ST Reservation) पर बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि राज्य सरकारें एससी-एसटी को दिए गए आरक्षण में कैटेगरी बना सकते हैं, जिसका लाभ उन लोगों को दिया जा सकता है जो इन आरक्षण कैटेगरी के अंतर्गत आने के बावजूद भी आरक्षण का लाभ नहीं ले पाए हैं। सुप्रीम कोर्ट की मंशा है कि अनुसूचित जाति, अनसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के आरक्षण का लाभ इस समूह के उन लोगों को मिले जो अब भी अत्यधिक पिछड़े हुए हैं.
SC के 2004 के ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश के फैसले की हो समीक्षा
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में 2004 के ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश के उस फैसले की समीक्षा करने को भी कहा है जिसमें राज्यों को यह अधिकार नहीं दिया गया था कि वह एससी-एसटी आरक्षण का उप-वर्गीकरण करें. सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले की समीक्षा करने के लिए मामले को 7 जजों की एक बैंच को सौंपा है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा—राज्यों को आरक्षण के उप-वर्गीकरण का अधिकार
जस्टिस अरुण मिश्रा (Arun Mishra) की बैंच ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर राज्य के पास आरक्षण देने की शक्ति है तो उनके पास यह भी शक्ति है कि इसका फायदा सभी तक पहुंचाने के लिए वह इसका उप-वर्गीकरण करे. जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि इससे राष्ट्रपति के आदेश के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होगी. इससे पहले 5 जजों की बेंच ने कहा कि उप वर्गीकरण नहीं किया जा सकता है. लेकिन आज पांच जजों की बेंच ने कहा कि उप वर्गीकरण विधिसम्मत है।