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महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की छठवीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में श्रीराम कथा ज्ञान-यज्ञ का हुआ आयोजन







ए कुमार
गोरखपुर।।   युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ जी महाराज के 51वीं एवं राष्ट्रसंत महंत अवैद्यनाथ की छठवीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी सप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह के अवसर पर गोरक्षपीठ द्वारा श्री गोरखनाथ मंदिर के दिग्विजयनाथ स्मृति भवन सभागार में साप्ताहिक राम कथा यज्ञ का शुभारम्भ हुआ। कथा का लाइव टेलीकास्ट गोरखनाथ मन्दिर के फेसबुक पेज एवं यूट्यूब चैनल पर हुआ। सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए सभागार में मात्र 80 लोागों के बैठने की व्यवस्था थी। सभी लोग मास्क पहनकर कथा का श्रवण कर रहे थें। भगवान गुरु गोरक्षनाथ जी की पूजा  एवं आचार्यद्वय के समाधि स्थलों की पूजा के बाद सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अखण्ड ज्योति एवं श्री वाल्मिकी रामायण की पुस्तक के साथ शोभा यात्रा जिसमें गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त योगी आदित्यनाथ  महाराज, कथावाचक अनन्त श्रीविभूषित जगद्गुरु स्वामी राघवाचार्य जी महाराज, महन्त सुरेशदास जी, प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, मठ पुरोहित पं0 रामानुज त्रिपाठी एवं संस्कृत विद्यापीठ के आचार्यगणों के साथ शोभा यात्रा स्मृति भवन में पहुंची। जहां पर व्यासपीठ का पूजन यजमानगण द्वारा वैदिक मंत्रों से सम्पन्न हुआ।
कथा का उद्घाटन करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री व गोरक्षपीठाधीश्वर परमपूज्य महन्त योगी आदित्यनाथ जी महाराज ने कहा कि बहुत ही प्रसन्नता का विषय है कि युगपुरूष ब्रह्मलीन दिग्विजयनाथ जी महाराज एवं राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज के पुण्यतिथि के अवसर पर रामजन्म भूमि अयोध्या धाम में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर निर्माण का कार्य आरम्भ हुआ। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज के जीवन का प्रमुख लक्ष्य अयोध्या में मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण था। जो न्यायालय के निर्णय के उपरांत भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री के कर कमलों से शिलान्यास हुआ। यह पूज्यद्वय गोरक्षपीठ के दोनों आचार्यों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि हुई। आज भगवान राम के भव्य मंदिर के शुभारंभ के बाद देश में पहली बार रामकथा हो रही है, और वह भी गोरक्षपीठ से हो रही है यह अत्यंत सौभाग्य का विषय है। हम सभी इस रामकथा को जो वाल्मीकि रामायण पर आधारित है, श्रवण कर अपने जीवन को कृतार्थ करेंगे।
उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि जो कि भविष्य द्रष्टा थे उन्होंने वैदिक संस्कृति के आधार पर सर्वप्रथम लोगों को सन्मार्ग प्रदान करने के लिए इस महाकाव्य की रचना की, इसलिए वह आज आदि कवि कहे जाते हैं। उन्होंने ही लोक मंगल की भावना से ओत-प्रोत वैदिक संस्कृत को लौकिक संस्कृत के रूप में इस राम कथा को रामायण ग्रन्थ रत्न के रूप में जन-जन में प्रसारित किया। इस अवसर पर पुण्य कथा श्रवण से पूज्य ब्रह्मलीन महंतद्वय के प्रति हम सभी की सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
दिगम्बर अखाड़ा अयोध्या धाम से पधारे महन्त श्री सुरेश दास जी महाराज जी ने कहा कि ब्रह्मलीन महन्त द्वय का जो लक्ष्य था राम जन्मभूमि में राम मंदिर का निर्माण वह कार्य द्रुत गति से हो रहा है तथा कोरोना जैसे संकटकाल में भी भगवान् राम की दिव्य कथा को श्रवण करनें का शुभ अवसर हम सभी को प्राप्त हो रहा है यह बहुत ही महत्वपूर्ण है।
कथा व्यास श्री राघवाचार्य जी महाराज ने कहा कि श्री रघुनाथ की मंगलमय कथा संपूर्ण विश्व का कल्याण करने वाली है। आज न केवल भारत में अपितु संपूर्ण विश्व में भगवान के भव्य मंदिर के शुभारंभ के अनन्तर राम कथा का प्रथम आयोजन हो रहा है।
उन्होंने कहा कि जिन्होंने सड़क से लेकर संसद तक राम मंदिर आंदोलन को चेतना प्रदान किया, आज उन महन्त की पुण्यतिथि के अवसर पर गोरक्षपीठ में रामकथा कहने का प्रथम अवसर हमको मिला। यह मेरे लिए अत्यंत सौभाग्य की बात है। भगवान श्रीराम का चरित्र मंगल चरित्र है, उनकी कथा का श्रवण सर्वविध मंगल कारक है, क्योंकि भगवान का जन्म ही मंगलवार को हुआ था। उन्होंने कहा कि भगवान बाल्मीकि ने अनादि वेद राशि के अनन्तर लौकिक संस्कृत में आदि काव्य रामायण की रचना की। इस काव्य के माध्यम से महर्षि वाल्मीकि ने धर्म के स्थापना करने का कार्य किया। भगवान राम साक्षात् धर्म की विभिन्न स्वरूप हैं, अतः उनकी कथा के माध्यम से सनातन व नित्य धर्म की इस लोक में स्थापना आदि  काव्य से हुई। दुनिया में किसी प्रथम काव्य की रचना होती है तो भगवान राम के चरित्र से होती है, अतः यह सिद्ध होता है कि संपूर्ण ब्रह्मांड के नायक भी भगवान राम ही हैं।
उन्होंने कहा कि यह राम कथा भगवान के गुणों का प्रकाश मात्र है। बाल्मीकि रामायण में चैरासी गुणों का वर्णन किया गया है, तथा इन चैरासी गुणों के श्रवण से जीव चैरासी योनियों से छुटकारा पा लेता है। उन्होंने कहा कि कथा तो सिर्फ भगवान की ही संभव है बाकी राजाओं की कहानी होती है। भगवान श्री राम जब राजा बनने पर ग्यारह हजार वर्षों तक उनके राज्य में न कोई नारी विधवा हुई, ना कोई पिता को पुत्र वियोग हुआ, न किसी के घर में आग लगी, ना किसी को चोर का भय होता था, यह रामराज्य की विशेषताएं इसलिए थी कि राम अपनी प्रजा को केवल शस्त्र से शासित नहीं करते थे अपितु शास्त्र के द्वारा भी।
उन्होंने कहा की शासन दो प्रकार का होता है शास्त्र शासन व शस्त्र शासन। भगवान राम अपने राज्य में शास्त्र शासन व शस्त्र शासन दोनों से शासित करते थे, वह स्वयं अपनी प्रजा को शास्त्र का उपदेश करते थे। महर्षि वाल्मीकि ने सामाजिक समरसता, मानव गौरव व भ्रातृत्व की विराट भावना का जो आदर्श मानव समाज को सर्वप्रथम दिया वह अन्यत्र दुलर्भ है। उन्होेनें कहा कि रामकथा के श्रवण से जिस व्यक्ति का हृदय द्रवित होकर अश्रुपात हो जाए उसको किसी व्यथा में अश्रुपात नहीं करना पड़ता। रामकथा व्यक्ति को भाव सागर में डूबोती है और भव सागर से पार लगाती है।
कथा व्यास ने कहा महर्षि नारद ने महर्षि वाल्मीकि को वरदान देकर भगवान के गुणों के वर्णन का सामथ्र्य प्रदान किया। महर्षि बाल्मीकि पवित्र होने के उपरांत रामायण का प्रणयन आरम्भ किया। मनुष्य जीवन में पवित्रता का विशेष महत्व हैवेदों में कहा गया है कि वह व्यक्ति अपवित्र होता है जो असत्य भाषण करता है।
उन्होंने कहा कि झूठ बोलना सबसे बड़ा पाप है और सत्य बोलना सबसे बड़ा पुण्य है कथा व्यास ने रामायण नाम की व्याख्या करते हुए कहा कि रामायण का अर्थ राम का घर होता है। यदि किसी व्यक्ति को राम को प्राप्त करना है तो रामायण को माध्यम बनाना पड़ेगा।
संचालन डाॅ0 श्रीभगवान सिंह ने किया। कथा के अंत में यजमानगण महन्त रविन्द्र दास, जवाहर प्रसाद कसौधन, ईश्वर मिश्रा, सीताराम जायसवाल, जितेन्द्र बहादुर चन्द, पुष्पदन्त जैन, महेन्द्र पाल सिंह, अवधेश सिंह, अजय सिंह, विकास जालान, संतोष कुमार अग्रवाल, महेश पोद्दार, चन्द्र प्रकाश अग्रवाल, ओम जालान, अरूण कुमार अग्रवाल उर्फ लाला बाबू, श्रीचंद बंसल, रेवती रमणदास अग्रवाल, श्रीमती उर्मिला सिंह, श्रीमती अनिता सिंह, विवेक सूर्या आदि ने सपरिवार व्यासपीठ का पूजन अर्चन तथा आरती की। इस अवसर पर सदर सांसद रवि किशन शुल्क, विधायक शीतल पाण्डेय, पूर्व कुलपति प्रो0 उदय प्रताप सिंह, श्री रामजन्म सिंह, डाॅ0 प्रदीप राव, डाॅ0 शैलेन्द्र प्रताप सिंह, डाॅ0 अरविन्द कुमार चतुर्वेदी उपस्थित थे। सम्पूर्ण कार्यक्रम का लाइव टेलीकास्ट फेसबुक पेज तथा यूट्यूब पर प्रसारण में डाॅ0 पवन पाण्डेय, विनय गौतम, डाॅ0 अभिषेक पाण्डेय, डाॅ0 प्रांगेश कुमार मिश्र आदि ने सहयोग किया।