राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में शिक्षक की भूमिका विषय पर वेविनार सम्पन्न
डॉ सुनील कुमार ओझा
बलिया ।। शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ,जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया के तत्वाधान में *"राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में शिक्षक की भूमिका"* विषय पर वेविनार का आयोजन किया गया। जिसकी शुरुआत बैदिक मंत्रोचार से किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रेसिडेंट (आई सी सी आर) डॉ विनय सहस्रबुद्धे जी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को शिक्षक अधिष्ठित और छात्र केंद्रित बताया। जिसमे स्वदेश ,श्वभूषा और स्वभाषा से जोड़ने वाली भारत केन्द्रित शिक्षा बताया।आपने लोकमान्य बाल गंगा धर तिलक जी 100 वी पुण्यतिथि तथा गांधी जी के 150 वी जन्म दिवस के आलोक में लायी गयी शिक्षा नीति को जन जन तक प्रचार प्रसार करने का अनुरोध भी किया। तथा आज के परिवेश को प्रकाशित करते हुए कहा कि अब तो यही समझ आ रहा है जैसे ऊँचे टावर के नीचे बौने लोग।
विशिष्ठ अतिथि संयुक्त सचिव, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग डॉ अर्चना ठाकुर ने शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर माता- पिता और गुरु के महत्त्व को बतलाते हुए राष्ट्रीय शिक्षानीति में मेरु,एग्जिट- एंट्री सिस्टम,राष्ट्रीय छात्रबृत्ति पोर्टल और ओपन डिस्टेंसिंग लर्निंग के साथ -साथ व्हाट टू थिंक की जगह हॉउ टू थिंक पर जोर दिया।
विशिष्ट अतिथि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पूर्व कुलपति पृथ्वीश नाग ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षानीति एक नया विजन देने वाली और शिक्षको के लिए चैलेंजिग हैं। आपने रास्ट्रीय शिक्षानीति को ट्रांस्फार्मेशन आफ नेशन के लिए महत्वपूर्ण बताया ।साथ ही साथ ग्रेजुएशन के चौथे साल में रिसर्च पर ध्यान दिलाया।
स्कूल ऑफ एडुकेशन नई दिल्ली की पूर्व डायरेक्टर प्रो0 सरोज पाण्डेय ने राष्ट्रीय शिक्षानीति को भविष्य की एक नीति बताया जिसमे ज्ञान,मूल्य और शिक्षा तथा संस्कृति को पोषण करने वाला बताया।जिसके दम पर देश वैश्विक नेतृत्वकर्ता बन सकता है।
इसी क्रम में विशिष्ट अतिथि महात्मागांधी काशी विद्यापीठ के पूर्व कुलपति डॉ के0 पी0 पाण्डेय जी ने शिक्षक दिवस पर शिक्षको को गुरु ब्रह्मा गुरु बिष्णु गुरुर देवो मेश्वरो बताते हुए सृजक, पोषक और सम्बर्धक के रूप में कार्य करने के लिए उत्साहित किया और बताया कि शिक्षा का मेरुदंड शिक्षक ही है।इसको बढ़ाने में जब तक स्वदेशी मंत्र,तंत्र और यंत्र की कल्पना नही करेंगे तब तक अपना भारत देश विकास नही करेगा।
अध्यक्षीय उद्बोधन में जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया की कुलपति प्रो कल्पलता पाण्डेय जी ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति बाइब्रेट सोसायटी बनाने में सफल होगा । शिक्षक ही लाईफ लांग मेंटर होगा।राष्ट्रीय शिक्षानीति (5+3+3+4) में प्रथम 5+3 अत्यंत महत्त्वपूर्ण है ।बिना इसको सफल बनायें समाज की नीव पक्की नही हो सकती।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ के संयोजक और इस वेविनार के आयोजन सचिव डॉ रामकृष्ण उपाध्याय ने विषय प्रवर्तन करते हुए अतिथियों का परिचय कराया,। स्वागत डॉ दयाला नंद राय धन्यबाद ज्ञापन डॉ रामावतार जी और संचालन डॉ निशा जी ने किया ।
कार्यक्रम में जम्बू से प्रो0 जशबीर सिंह ,काशी विद्यापीठ वाराणसी से डॉ के0 के0 सिंह ,गोरखपुर से शोध निदेशक प्रो0 सुजीत कुमार गुप्ता,डॉ अशोक सिंह एवं डॉ सुनील कुमार ओझा (असिस्टेंट प्रोफेसर अमर नाथ मिश्र पी0 जी0 कालेज दुबेछपरा बलिया ने विशेष रूप से भाग लिया इस कार्यक्रम में बलिया के महाविद्यालयों के शिक्षको के साथ ही साथ देश विदेश के शिक्षाविद जुड़े रहे।