अगर हिन्दी के शब्द हुए विलुप्त तो आने वाले पीढ़ी होगी संस्कार विहीन -डॉ सुनील ओझा
राजीव शंकर चतुर्वेदी की रिपोर्ट
हल्दी बलिया ।। आदर्श पुस्तकालय अगरौली के तत्वावधान में हिन्दी दिवस के शुभ अवसर पर सोमवार को हिंदी की दिशा और दशा पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रुप में हिन्दी के मुर्धन्य विद्वान व आकाशवाणी पर कविता पाठ करने वाले डॉ. रघुनाथ उपाध्याय 'शलभ' ने हिंदी की दिशा और दशा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदी आर्य भाषा की इकलौती पुत्री है । आज हमारी हिंदी अपने आप पे ही रो रही है तो इसका मुख्य कारण हम खुद ही है।अगर हम समय से पहले नहीं सुधरे तो हमारा समाज हिन्दी ही भूल जायेेगा जिससे अस्तित्व खतरा में पड़ जायेगा।कार्यक्रम के आयोजक आचार्य सुनील कुमार द्विवेदी ने मुख्य अतिथि शलभ जी तथा वक्ता एवं गोष्टी के संचालनकर्ता डॉ. सुनील कुमार ओझा असिस्टेंट प्रोफेसर अमर नाथ मिश्र पी0 जी0 कालेज दुबेछपरा बलिया का स्वागत अपने उदबोधन के द्वारा किया।डॉ सुनील ने अपने उदबोधन में कहा कि हिन्दी हमें आनन्द का अनुभव कराती है, हिंदी हमारे जीवन मे संस्कार सिखाती है अगर हिंदी के शब्द विलुप्त हुए तो आने वाली पीढ़ी संस्कार विहीन हो जाएगी तथा हमारी संस्कृति भी खतरे में पड़ेगी। अतः हमें सिर्फ हिंदी दिवस पर ही अगर हिंदी याद रहेगी तो वह दिन दूर नहीं जब हिंदी के लिए तरसेंगे।कार्यक्रम में उमेश दुबे, संतोष कुमार तिवारी,राजीव शंकर चतुर्वेदी, अनुप दुबे,सूर्य प्रकाश सिंह यादव,विकास दुबे आदि रहे।अरुण दुबे ने सभी आगंतुकों के प्रति आभार प्रकट किया।