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समानता की पहचान, भेदभाव से अनजान है हिंदी :मधुसूदन सिंह




बलिया ।। भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ की बलिया इकाई ने हिंदी दिवस के पावन अवसर पर एक वर्चुअल संगोष्ठी का आयोजन जिलाध्यक्ष मधुसूदन सिंह की अध्यक्षता में किया । इसमे शामिल सभी लोगो ने हिंदी को उन्नति के शिखर पर पहुंचाने के लिये जी जान से प्रयत्न करने का संकल्प लिया ।

 अपने अध्यक्षीय संबोधन में मधुसूदन सिंह ने कहा कि हिंदी ही एक मात्र ऐसी भाषा है जिसकी नजर में कोई भी न तो छोटा बड़ा है, न ही शारीरिक विकृति होने के बावजूद असहाय है । कहा कि हिंदी भाषा मे कोई भी शब्द छोटा बड़ा नही होता है, सभी बराबर होते है , यहां तक कि इसमें आधे शब्दो को तुरंत पूरे शब्द सहारा दे देते है । या यूं कहें कि हिंदी सामाजिक समरसता का सबसे बड़ा उदाहरण है ।

सुधा कान्त मिश्र "बेलाला"* की कविता बहुत कुछ कह देती है

       हिंदी हिंदुस्तान

अपने  भाखा से  है  उन्नति, अपने  भाखा मान।

आबा भइलो मिलि जुलि गाई,हिंदी हिंदुस्तान।।

हिंदी   महतारी   कस  लागै , हिंदी  सग्गै  नात।

हिंदी माथे के  बिंदी  कस, हिंदी  है  अहिबात।।

हिंदी  हिंद क  इज्जत पूँजी, हिंद केर  सम्मान।

आबा भइलो मिलि जुलि गाई,हिंदी हिंदुस्तान।।



गहिल  हबै  जमुना  कस हिंदी, हिंदी  गंगा  धार।

परबत जइसन ऊँच है हिंदी, संकर केर लिलार।।

नेउना जइसन कोमर हिंदी,फरसा कस हथियार।

लछ्मी कस है महिमा एखर,बिस्नू जइसा प्यार।।

अजुधा  कस  तीरथ है हिंदी, सरजू  केर  नहान।

आबा भइलो मिलि जुलि  गाई, हिंदी हिंदुस्तान।।



हिंदी कल्प बृच्छ के नाईं, मनमाफिक फल देइ।

संस्कृत के सग बिटिया हिंदी, बोली एखर नेइ।।

एखे बल रामायन लिखिगें, तुलसी तुलसीदास।

कबिरा सूर रहीम मैथिली,हिंदी के कवि खास।।

प्रेमचंद  अउ भारतेंदु  का,जानै  सगल  जहान।

आबा भइलो मिलि जुलि गाई,हिंदी हिंदुस्तान।।



सहज सरस  भाखा  है हिंदी, ललित  निबंध प्रबंध।

लय सुर  ताल साथ  एखे जस, सीय  राम  संबंध।।

वेद  मंत्र  कस   लागै  हिंदी , भाखा  भाउ  अमोल।

संसकार   संरच्छक   पालक ,  हैं  हिंदी  के  बोल।।

हिंदी मा लिखि अमर बिहारी,दिनकर अउ रसखान।

आबा  भइलो  मिलि  जुलि  गाई, हिंदी  हिंदुस्तान।।



पढ़ै  लिखै  मा  भेउ न  एकौ, समझै  मा  ना  फेर।

अर्थ सब्द से जुरा हबै जस, जोड़ सती सिउ केर।।

हबै  चित्र   मय  भाखा   हिंदी ,  पाई   मात्रा  छंद।

पाणिनि के ब्याकरण प्राण कस,देइ बहुत आनंद।।

देवनागरी  लिपि  है  हिंदी ,  खुद  भाखा  विज्ञान।

आबा  भइलो मिलि जुलि  गाई, हिंदी  हिंदुस्तान।।



केरल से कसमीर क जोरै, भाखन के सिरताज।

जन  जन के  बानी है हिंदी, हिंद केर आवाज।।

बहुत सरल है लिखै पढ़ै मा, समझै माहीं  नीक।

एखे  सउहें  सगलौ भाखा, लागै हमहीं  फीक।।

सगल  बिदेसी सीखै  आमै, हिंदी  भाखा  ज्ञान।

आबा भइलो मिलि जुलि गाई,हिंदी हिंदुस्तान।।



हिंदी  माहीं  बोली  बतई, आबा  हम  सब  केउ।

लउलितिया माही फंँसिके हम,करी न एसे भेउ।।

हिंद   केर  संस्कार  इ  हिंदी , हिंद  केर  ई  मूल।

एखे हित मा  काम करैं सब,करै न  कोऊ भूल।।

हिंद  देस के  भाखा  हिंदी , हिंद  केर  पहिचान।

आबा भइलो मिलि जुलि गाई,हिंदी  हिंदुस्तान।।




डॉ सुनील कुमार ओझा ने कहा कि हिंदी आनंद का अनुभव कराती है । हिंदी अपनो को तो छोड़िये विदेशियों को भी प्यार से अपना बना लेती है । हिंदी मां है, मां का प्यार है,वो आंचल है जिसके नीचे ही सारा संसार है । हिंदी भारत की बिंदी है और जिस माथे पर बिंदी लग जाती है उसकी सुंदरता की कोई सीमा नही रह जाती है । हिंदी है तो हिंदुस्तान है, नजर उठाकर देखिये जिसने हिंदी व हिंदुस्तान को छोड़ा उसके सामने कब्रिस्तान है । हिंदी अपना बनाती है ,छोटो को भी सहारा देती है,चुप(साइलेंट) नही कराती है ।





 लड्डन भाई ने अपनी बात कुछ इस अंदाज में रखी --

हमारी एकता और अखंडता ही हमारे देश की पहचान है, हिंदुस्तानी हैं हम और हिंदी हमारी जुबान है।

 संगोष्ठी के संचालक व आयोजक सन्तोष शर्मा ने कहा कि
लिपट जाता हूँ मां से, और मौसी मुस्कुराती है।

मैं उर्दू में ग़ज़ल कहता हूँ, हिन्दी मुस्कुराती है॥ 

आरिफ अंसारी ने कहा कि
विविधताओं से भरे इस देश में ,लगी भाषाओं की फुलवारी है, जिसमें  सबसे प्यारी ,हिंदी मातृभाषा हमारी है।
 विनोद गुप्ता ने कहा कि
बिना अधूरा हूं मैं मेरी हालत ऐसी है,
इसके बिना मेरा क्या जीवन हिंदी मेरी मां जैसी है।

अंग्रेजी के बढ़ते प्रभाव से चिंतित गोपाल प्रसाद ने कहा -

 बिछड़ जाएंगे हमारे अपने हमसे, अगर अंग्रेजी टिक जाएगी मिट जाएगा वजूद हमारा,अगर घर में हिंदी मिट जाएगी।

विनोद गौतम ने देश की तरक्की के लिये हिंदी की महत्ता को बतलाते हुए कहा कि -

देश बढ़ेगा आगे, यदि सब की भाषा एक हो।
मत भी सबका एक हो ,भाषा सबकी एक हो।

 अंग्रेजी के वर्चस्व भरे वातावरण के बीच भी हिंदी सर्वश्रेष्ठ बनेगी, की आशा रखने वाले सनोज कुमार ने कहा कि -

 बदलेंगे हालात हमारे यह धरा भी मुस्कुरायेगी।
जन जन की भाषा हिंदी जब दिल से मुस्कुराएगी

हेमंत राय ने तो अंग्रेजी को आफत तक कह डाली -

हिंदी आशीर्वाद सी है ,अंग्रेजी एक आफत है
हिंदी मातृभाषा नहीं ,हिंदी हमारी विरासत है