बलिया में ईओ का चरम पर भ्रष्टाचार,जनपद से लेकर शासन तक के अधिकारी जांच कराने में लाचार,अब आप ही कुछ करें योगी जी सरकार
मधुसूदन सिंह
बलिया ।। एक तरफ योगी सरकार यूपी को भ्रष्टाचारमुक्त बनाने की मुहिम छेड़ी हुई है तो वही बलिया की नगर पालिका परिषद अधिशाषी अधिकारी दिनेश कुमार विश्वकर्मा के कारण भ्रष्टाचारयुक्त हो चुकी है । इस अधिकारी के भ्रष्टाचार की शिकायत खुद चेयरमैन अजय कुमार समाजसेवी
ने जिलाधिकारी से लगायत प्रमुख सचिव तक, मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल , नगर विकास मंत्री से लेकर माननीय मुख्यमंत्री योगी जी तक, से कर चुके है । इनके 26 जुलाई 2020 के शिकायती पत्र पर मुख्यमंत्री जी के विशेष कार्याधिकारी अजय कुमार सिंह ने प्रमुख सचिव नगर विकास को इस टिप्पणी के साथ कि कृपया जांचोपरांत शीघ्र आख्या की अपेक्षा की गई है,29 जुलाई 2020 को शासन में भेज दिया गया । लेकिन महीनों की शिकायत आज दिनांक तक न जाने किस ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है ।
यही नही नगर पालिका के ही स्वायत्त शासन कर्मचारी महासंघ उत्तर प्रदेश ,की शाखा नगर पालिका बलिया के अध्यक्ष अनिल कुमार सिंह व महामंत्री भारत भूषण मिश्र ने भी अधिशाषी अधिकारी दिनेश कुमार विश्वकर्मा के भ्रष्टाचार को रेखांकित करते हुए 4 अगस्त 2020 को जिलाधिकारी बलिया व 26 अगस्त 2020 को आयुक्त आजमगढ़ को बलिया आगमन के समय लिखित शिकायत दिया था, लेकिन अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि योगी सरकार में भी भ्रष्टाचार की जांच ठंडे बस्ते में पड़ जा रही है ।
बलिया सदर विधानसभा के सदस्य व मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल ने भी अपनी तरफ से अधिशाषी अधिकारी के भ्रष्टाचार की जांच करने के लिये नगर विकास मंत्री को 6 जुलाई 2020 को पत्र भेजा था लेकिन वह भी जैसे नक्कारखाने में तूती बजती है, उसी तरह साबित हुआ और इस पत्र को भी शासन के अधिकारियों ने ठंडे बस्ते में डाल रखा है और इस अधिकारी के भ्रष्टाचार की जांच कराने के लिये न जाने शासन से लेकर जिला स्तर के अधिकारी आदेश देने से क्यो कतरा रहे है ?
लेकिन अधिकारी चाहे कितना भी ईओ को बचाने का यत्न करे बलिया एक्सप्रेस भ्रष्टाचार को परत दर परत उजागर करने की अपनी मुहिम जारी रखेगा । बता दे कि शनिवार को इस अधिकारी ने कैसे पिछले साल के अपने स्थानांतरण अवधि का वेतन बिना अवकाश या मेडिकल स्वीकृत कराये ही अपना वेतन 66840 रुपये आहरित उस समय का कर लिया जब बलिया में डॉ इंदु शेखर मिश्र ईओ के पद पर तैनात थे , और बतौर ईओ अपना वेतन आहरित कर चुके थे । एक कार्यालय में एक ही अवधि का एक पद के दो अधिकारियों का वेतन आहरण अपने आप मे गबन को दर्शाने के साथ यह साबित करने के लिये काफी है कि इस अधिकारी को अपने उच्चाधिकारियो का भी खौफ नही है, का समाचार प्रकाशित किया था । आज इस ईओ के भ्रष्टाचार की दूसरी कड़ी प्रकाशित की जा रही है ।
आज की कड़ी में कैसे अधिशाषी अधिकारी दिनेश कुमार विश्वकर्मा ने लाखों रुपये का गबन किया है ,उसको उजागर किया जा रहा है । बता दे कि नगर पालिका परिषद बलिया के अधिशाषी अधिकारी के पद पर नवम्बर 2017 में दिनेश कुमार विश्वकर्मा ने कार्यभार ग्रहण किया । नगर पालिका एक स्वायत्त शाषी संस्थान है। इसके कार्यो को संपादित कराने के लिये शासन से विभिन्न मदो के माध्यम से धन आवंटित किया जाता है । लेकिन अगर डीडीओ शक्ति से युक्त अधिकारी सरकारी धन का गबन करने पर उतारू हो जाय,तो कैसे करता है बलिया के ईओ दिनेश कुमार विश्वकर्मा के इस भाग में हो रहे खुलासे से समझा जा सकता है । दिनेश विश्वकर्मा बलिया में अपना योगदान नवम्बर 2017 को देते है और इनकी पत्नी शिल्पा वर्मा 3 अक्टूबर 2017 से 10 अक्टूबर 2017 तक अपोलो हॉस्पिटल इंद्रप्रस्थ नईदिल्ली में भर्ती रहती है । श्रीमती शिल्पा विश्वकर्मा शिक्षा विभाग में प्रवक्ता के पद पर तैनात है। वर्तमान में ये राजकीय बालिका इंटर कालेज बलिया में कार्यरत है । चिकित्सा प्रतिपूर्ति लेने का नियम है कि यह या तो स्वयं वह कर्मी प्राप्त करे जो बीमार था, या उसके आश्रित को मिलेगी । इस प्रकरण में श्री दिनेश कुमार विश्वकर्मा न तो बीमार कर्मी है , न ही बीमार शिल्पा विश्वकर्मा के आश्रित । ऐसे में श्रीमती शिल्पा विश्वकर्मा का चिकित्सा प्रतिपूर्ति का बिल नगर पालिका परिषद में भुगतान कराने का दिनेश कुमार विश्वकर्मा को अधिकार ही नही है । यह बिल जिला विद्यालय निरीक्षक बलिया के कार्यालय से अगर टाइम बार्ड नही हुआ है तो भुगतान होना चाहिये । लेकिन बावजूद शासनादेश के अधिशाषी अधिकारी दिनेश विश्वकर्मा ने अपने डीडीओ पॉवर का दुरुपयोग करते हुए बिना किसी आवेदन के शिल्पा विश्वकर्मा का चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिल रुपये 287007/- का भुगतान करना सरकारी धन का गबन की श्रेणी का कृत्य है । जब यह अधिकारी अपनी कलम से शासनादेश के विरुद्ध कृत्य कर सकता है तो हो सकता है कि यह बिल शिक्षा विभाग से भी ले लिया गया हो, इसकी भी अब जांच जरूरी हो जाती है । एक तरफ नगर पालिका के छोटे छोटे कर्मचारियों का चिकित्सा प्रतिपूर्ति का भुगतान आवेदन के बाद भी लंबित है, तो वही बिना किसी आवेदन के अधिशाषी अधिकारी द्वारा दूसरे विभाग की देनदारी को नगर पालिका से इस लिये भुगतान कर दिया है कि वह डीडीओ पॉवर युक्त है ?
इस संबंध में जब जानकारों से सलाह ली गयी तो उनका कहना था कि ईओ ने 287007 रुपये का शुद्ध रूप से गबन किया है, ऐसे अधिकारी का तत्काल डीडीओ पावर छीनकर जांच बैठाकर आहरित 66840 रुपये वेतन वाला और 287007 रुपये चिकित्सा प्रतिपूर्ति वाले कि रिकवरी इससे की जानी चाहिये । सूत्रों ने बताया है कि ऑडिट टीम भी संभवतः उपरोक्त रकम के आहरण को गबन कहते हुए सम्पूर्ण धनराशि की रिकवरी के लिये रिपोर्ट भेजी है ।
भ्रष्टाचार पर वार की अगली कड़ी में जानिये नगर पालिका के दूसरे भ्रष्टाचार , बने रहिये बलिया एक्सप्रेस के साथ ।