गरीबी का दंश झेल रहे परिवार पर आफत बनकर गिरी बारिश और बिजली,छीना आशियाना ,सबकुछ हो गया बर्बाद
मनियर बलिया ।। एक तरफ कोरोना महामारी तो दूसरी तरफ बारिश ने तबाही का मंजर ला दिया है। अंग्रेजों के जमाना से बना मिट्टी का घर जो गरीबी में भी सिर छुपाने के लिये सहारा था, उसको भी मूसलाधार बारिश ने गिराकर एक गरीब कुनबे को आसमान के नीचे रहने को मजबूर कर दिया है । देश के प्रधानमंत्री मोदी जी हो या प्रदेश के सीएम योगी जी हो,लाख कोशिश कर ले लेकिन नौकरशाहों में रगों में दौड़ रहे भ्रष्टाचार के खून को आजतक साफ नही कर पाये है । नतीजा सबकी नजरों के सामने है जिनको वास्तव में सरकारी सहायता से घर की आवश्यकता है उनको घर इस लिये नही मिल पा रहा है वो इसके लिये सम्बंधित अधिकारियों को चढ़ावा नही चढ़ा पा रहे है, और जर्जर मकानों में जीवन को संकट में डालकर जीवन यापन कर रहे है । मनियर के इस परिवार का सौभाग्य था कि इनके सोते समय इनकी मकान नही गिरी नही तो इसी के नीचे जैसे इनके घरेलू सामानों की कब्र बनी है, वैसे ही इनकी भी बन जाती । यह घटना बलिया जनपद के मनियर नगरपंचायत के जवाहिर टोला गांव की है।
बता दे कि बारिश ने ऐसी तबाही मचाई कि यह परिवार अब किस्मत का रोना रो रहा है। दरअसल लगातार बारिश होने से अंग्रेजों के जमाने का इनका मिट्टी का घर आकाशीय बिजली से ध्वस्त हो गया और परिवार को बेघर कर दिया है। हम नही हमारा कैमरा बता रहा है आप खुद देख कर अंदाजा लगा सकते हैं कि हालात क्या है। रोज कमाने खाने वाले परिवार का आशियाना उजड़ गया है। स्थिति यह है कि भोजन कैसे बने , कहाँ बने ? जब छत ही धरासायी हो गयी है ।
बाइट 1 - बाइट - शिव गुप्ता [पीड़ित पिता]
सरकार ने तमाम योजनाएं गरीबो के लिये चला रखी है।इस गरीब को 2019 में प्रधानमंत्री आवास योजना का फार्म भरने के बाद भी सरकारी विभाग के उदासीनता के चलते एक आवास तक नहीं मिला सका। दुखियारी मां के तो आंख से आंसू भी नही थम रहे हैं कारण कि बेटी की शादी होनी थी और उसके लिये किसी तरह जोड़कर शादी के लिये समान खरीद कर रखी थी जो इस आपदा के बाद बर्बाद हो गया है । अब यह यही सोच में परेशान है कि कहां से अपनी बेटी की शादी का सामान लाएगी ।
बाइट 2 - मीरा गुप्ता [ पीड़ित मां ]
प्रधानमन्त्री उज्ज्वला योजना का बलिया से ही शुभारंभ हुआ था लेकिन इस परिवार को तो आज भी वह चूल्हा नसीब नही हो सका है। ये लोग मिट्टी व ईट के बने चूल्हे पर खाना बनाते है । लकड़ियां चुन कर घर मे रखी थी जो घर के गिरने से मलबे के नीचे दब गई है । अब इनके सामने समस्या यह है खाना बनाने के लिये सुखी लकड़ियां कहां से लाये ।
बाइट 3 - प्रियंका गुप्ता [पीड़ित बेटी ]
इस परिवार पर आकाशीय बिजली ने कहर तो बरपाया ही है। जहाँ दो जून की रोटी मुश्किल हो गई है। अब देखने वाली बात होगी कि सरकारी व्यवस्था इस परिवार तक कब पहुंचती है।