" राष्ट्र की अवधारणा: पं० दीनदयाल उपाध्याय की दृष्टि" नामक वेबिनार का जेएनसी विश्वविद्यालय द्वारा हुआ आयोजन
डॉ सुनील कुमार ओझा
बलिया ।। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती के शुभ अवसर पर आज दिनांक 25 सितंबर को जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ के द्वारा " राष्ट्र की अवधारणा: पं० दीनदयाल उपाध्याय की दृष्टि" विषय पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी, बिहार के कुलपति प्रो० संजीव शर्मा जी ने कहा कि विश्व के सर्वतोमुखी विकास एवं मानव कल्याण के लिये पश्चिम का दर्शन अनुपयुक्त है और भारतीय दर्शन में विशेषकर एकात्म मानव दर्शन में ही यह क्षमता है कि वह न केवल मानव बल्कि सम्पूर्ण चराचर के कल्याण का हेतु बन सकता है।चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो० पवन शर्मा ने बताया कि एकात्म मानव दर्शन भारत की समाज परम्परा में रचा बसा है और इस परम्परा का मर्मस्पर्शी चित्रण मुंशी प्रेमचंद की कहानी मंत्र में मौजूद है। गढ़वाल विश्वविद्यालय की अंग्रेज़ी विभागाध्यक्ष प्रो० सुरेखा डंगवाल ने बताया कि पश्चिम का दर्शन शक्ति, सत्ता, वर्चस्व, घमंड और संघर्ष जैसे मूल्यों पर आधारित है जबकि भारतीय परम्परा नम्रता, शिष्टता,साहचर्य और एकात्मता की संस्कृति है। भगवान राम और कृष्ण के जीवन चरित इसकी पुष्टि करते हैं। शकुंतला मिश्र पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ के कुलपति प्रो० राणा कृष्णपाल सिंह ने कहा कि दीनदयाल जी का ध्यान भारत के युवा, किसान और मजदूरों के आर्थिक विकास पर केंद्रित था इसीलिए वे स्वदेशी के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की बात करते थे।
अध्यक्षीय उद्बोधन में जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो० कल्पलता पाण्डेय ने कहा कि हमें अपनी संस्कृति के आधार पर विद्यार्थियों को शिक्षा देनी चाहिये। हमें अपनी सांस्कृतिक अस्मिता पर गौरवबोध होना चाहिये क्योंकि हम विश्व को सांस्कृतिक सहिष्णुता की शिक्षा देने मे सक्षम हैं।
इस संगोष्ठी में अतिथि परिचय और संचालन डॉ० रामकृष्ण उपाध्याय, स्वागत डॉ० अजय बिहारी पाठक , प्रश्नोत्तर सत्र का संचालन डॉ० प्रमोद शंकर पाण्डेय और धन्यवाद ज्ञापन डॉ० दयालानंद राय ने किया। वेबिनार के टेक्निकल क्वार्डिनेटर डॉ सत्येंद्र कुमार मिश्र तथा सहयोगी डॉ सुनील कुमार ओझा रहे । वेविनार में मुख्य रूप से देश-विदेश से अनेक गणमान्य शिक्षाविदों, प्राध्यापकों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों के साथ ही साथ डॉ अजय पाण्डेय,डॉ निशा राघव ,डॉ जयशंकर सिंह तथा जम्बू शोध पीठ के डायरेक्टर प्रो0 जशबीर सिंह ने प्रतिभाग किया।