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शिक्षक शिक्षामंत्री के राज में भुखमरी के कगार पर शिक्षक : विनियमितीकरण की आश में संविदा शिक्षक की रुकी सांस , हुई मौत





डॉ सुनील कुमार ओझा 
गोरखपुर ।। सुखी मन शिक्षक कहने वाले खुद एक शिक्षक के दर्द को न समझने वाले शिक्षा मंत्री के राज्य में एक और शिक्षक की मौत ने शिक्षा मंत्री के शिक्षक हित के दावें पर सवालियां निशान खड़ा कर दिया है ।
 उच्च शिक्षा मंत्री डॉ दिनेश शर्मा के तीन वर्षीय विश्वासघात ने  अनुदानित महाविद्यालय  नेशनल पीजी कॉलेज बड़हलगंज गोरखपुर के स्ववित्तपोषित शिक्षक डॉ सौरभ कसेरा की जांन ले ली।उच्च शिक्षा उत्तर प्रदेश की इससे बड़ी दुर्गति और क्या होगी कि एक तरफ प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री प्रदेश भर में घूम घूम कर सुखी मन शिक्षक का पाखंडी गीत गा रहा है तो दूसरी तरफ आर्थिक विपन्नता व विनियमितिकरण की आस लिए उत्तर प्रदेश की पाखंडी सरकार व सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ दिनेश शर्मा के विश्वासघात से अनुदानित महाविद्यालयों का स्ववित्तपोषित शिक्षक आये दिन मौत को गले लगा रहा है। 
वर्ष -2017 से निरन्तर लखनऊ गाजीपुर महराजगंज जौनपुर की कड़ी में फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के ही गृहनगर गोरखपुर के गोरखपुर विश्वविद्यालय से सम्बद्ध अनुदानित अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालय नेशनल पीजी कॉलेज बड़हलगंज के स्ववित्तपोषित शिक्षक डॉ सौरभ कसेरा ने भी आर्थिक विपन्नता व पारिवारिक दुष्क्रिया का दंश न झेल पाने से हार्ट अटैक के रूप में मौत को गले लगा लिया। बताते चले    डॉ सौरभ कसेरा उद्यान विभाग नेशनल पीजी कालेज बड़हलगंज में  असि प्रो पद पर कार्यरत थे  उत्तर प्रदेश में महाराज माननीय योगी  जी के मुख्यमंत्री बनने से और डॉ दिनेश शर्मा के एक प्रोफेसर के उच्च शिक्षा मंत्री बनने से एडेड डिग्री कालेज में सेल्फ फाइनेशस कोर्स में कार्यरत शिक्षको में एक उम्मीद जगी की चलिए लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर साहब अपने महकमे के मंत्री बने है, अपनी सुधि लेने वाला कोई आया । काशी की धरती पर माननीय मंत्री डॉ दिनेश शर्मा जी ने  प्रदेश सरकार की मंशा को साफ करते हुए कहा था सुखिमन शिक्षक हमारी सरकार का उद्देश्य है , ऐसे में इस तरह के शिक्षको में एक आस जगी , साथ ही नीरज श्रीवास्तव बनाम उत्तरप्रदेश सरकार के अवमानना वाद में 22 फरवरी को आदेश हुआ की  प्रदेश सरकार एडेड डिग्री कालेज सेल्फ फाइनेशस शिक्षको को  मिनिमम पे स्केल दे   ।यह आदेश  डी पी सिंह की खण्डपीठ लखनऊ बेंच का आदेश डॉ सुरेश कुमार पांडेय  की रीट  के फैसले में पैरा 48 से 52  के आनुपलन में  था , इसी आस में बहुत से शिक्षक थे कि अब दिन बहुरेंगे  पर सब ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ है।  डॉ सौरभ दिवाली पर आस लगा बैठे थे कि कुछ सरकार इस कोरोना को ध्यान में रखकर भी कुछ करेगी लेकिन कुछ नही हुआ तो काफी परेशान से हो गए थे। 
जबकि डॉ नीरज श्रीवास्तव  केस में आदेश आने से बड़े उत्साहित थे की अब  जीवन बदलेगा   पर ऐसा हुआ नही सरकार की हठ धर्मिता  व कोर्ट में 18 नवंबर 2020  केस लगी थी  इसकी तारीख फिर 11 जनवरी मिलने से कसेरा बड़े हताश थे। उनको लगने लगा था कि अब कुछ होगा नही तारीख पे तारीख मिलने से ओ काफी सोच में डूब गए यही सब सोचने से18 नवंबर की देर रात की   उनकी हृदयगति रुकने से मौत हो गयी वह यह सदमा बर्दास्त नही कर पाए कि फिर तारीख   । न्याय न मिलने की देरी ने इस तरह प्रदेश में अनुदानित कालेज के सेल्फ फाइनेशस के कई शिक्षको की जान ले ली  । 
संविधान निर्माता डॉ भीम राव अम्बेडकर ने कहा था कि हमारा संबिधान बहुत ताकतवर है , पर इसके लागू करने वाले यदि कमजोर होंगे तो यह सबसे निर्बल होगा उनकी यह बात अक्षरशः सत्य साबित हो रही है।