जयराम ठाकुर सरकार के 3 वर्ष पूर्ण होने के कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से राजनाथ सिंह ने किया संबोधित ,बोले - ‘भाजपा’ और मोदी जी का नाम ,मतलब ‘सुशासन’, ‘विकास’ और ‘दृढ़ संकल्प’ की भावना
ए कुमार
नईदिल्ली ।। हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली सरकार के 3 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सम्बोधित किया । कहा कि सबसे पहले मैं देव भूमि हिमाचल प्रदेश के अपने सभी भाइयों एवं बहनों का स्वागत करता हूं जो आज इस कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं।
कहा कि यह अवसर है हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जी के नेतृत्व वाली सरकार के तीन सफल वर्ष पूरे होने का। यह खुशी का अवसर है जिसे मैं आपके बीच मौजूद रहकर बांटना चाहता था मगर Covid की दुश्वारियों के चलते वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़ रहा हूं।
जयरामजी ने, सरकार तीन साल सफलतापूर्वक चलायी इसके लिए वे और उनकी पूरी टीम बधाई की पात्र है मगर इस बधाई की बड़ी हकदार हिमाचल की जनता भी है जिन्होंने आप लोगों को यह मौका दिया। लोकतंत्र में हर चुनी हुई सरकार का यह दायित्व बनता है कि वह जनता के सामने अपने कामकाज का हिसाब किताब प्रस्तुत करें। मुझे हार्दिक प्रसन्नता है कि जयरामजी की सरकार इस दायित्व को पूरी ईमानदारी से निभा रही है।
कहा कि पिछले तीन सालों में केंद्र और प्रदेश सरकार ने मिलकर हिमाचल प्रदेश में विकास रूपी ‘ब्यास’ की जो नई धारा बहायी है, उससे प्रदेश की आम जनता की जिंदगी में काफी बदलाव आया है। चूंकि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जी ने अपने संबोधन में बहुत सी बातें आप सबके सम्मुख पहले ही रख दी हैं इसलिए उनको मैं दुहराना नहीं चाहूंगा। मैं अपनी बात केवल एक बात पर फोकस करूंगा कि कैसे पिछले तीन सालों में हिमाचल प्रदेश में एक बड़ा परिवर्तन आया है।
कहा कि सबको पता है कि पहले क्या होता था,कहा जाता था कि हिमाचल प्रदेश, कम आबादी वाला एक छोटा पहाड़ी राज्य है इसलिए वहां Resources की कोई खास जरूरत नहीं हैं। इस सोच के कारण केंद्र से हिमाचल को दी जाने वाली धनराशि काफी कम होती थी। मेरे पास जो आंकड़े हैं उसके मुताबिक जब केंद्र में यू.पी.ए. सरकार थी तो हिमाचल प्रदेश को महज 22000 करोड रुपए प्राप्त हुए। जबकि उनके समय में वहां प्रदेश में कांग्रेस सरकार थी।
जब केंद्र में मोदीजी के नेतृत्व वाली सरकार आयी तो हमने यह सोच बदली। सभी राज्यों को हम बराबरी की नज़र से देखते हैं । हमने हिमाचल को उसके Size के हिसाब से नहीं, बल्कि उसकी Economic & Strategic Importance के हिसाब से देखना प्रारंभ किया। हालात बदल गए और केंद्र से हिमाचल प्रदेश को तीन गुने से भी अधिक धनराशि मिलने प्रारंभ हो गई।
इस अंतर की एक बड़ी वजह यह भी रही है, कि केंद्र में चाहे अटलजी की सरकार रही या आज मोदीजी की सरकार, हिमाचल प्रदेश से दोनों का ही एक भावनात्मक रिश्ता हमेशा कायम रहा। अटलजी के लिए जहां हिमाचल उनका दूसरा घर था, मोदीजी के लिए हिमाचल उनकी काफी समय तक कर्मभूमि रही।
दूसरा बड़ा अंतर रहा सुशासन और विकास के प्रति Commitment का है,क्योंकि हमारे लिए सत्ता कभी सुख भोगने का साधन नहीं रही बल्कि सत्ता हमारे लिए आम लोगों की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव (Positive change) लाने का जरिया रही है।
इसलिए जब कभी भी भाजपा की सरकार कहीं बनती है तो हमारा सबसे पहला लक्ष्य होता है कि जनता की समस्याओं का समाधान करें, और उनका केवल फौरी समाधान नहीं बल्कि स्थायी समाधान करें। मैं एक नहीं अनेक उदाहरण दे सकता हूं मगर समयाभाव के कारण मैं उदाहरणों की संख्या सीमित रखूंगा। हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में सबसे बड़ी समस्या Connectivity की रही है। चाहे वह Road Connectivity हो या Telecom Connectivity इनके लिए यदि किसी सरकार ने पूरे मनोयोग से काम किया है तो भाजपा सरकारों ने किया है।
आपको याद होगा जब अटलजी प्रधानमंत्री थे तो पहली बार देश के ग्रामीण इलाकों को सड़कों से जोड़ने का काम शुरू करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना प्रारंभ की गई। मैदानी राज्यों में सड़के बनाना आसान होता है और वहां दूरियां भी आसानी से तय की जा सकती है। जबकि पहाड़ों में हालात उल्टे हैं। इसलिए हिमाचल जैसे राज्य में सड़क का बनना बड़ी बात है। मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी होती है कि पिछले तीन वर्षों में हिमाचल प्रदेश समेत देशभर के अधिकांश गांवों को एक पक्की सड़क से जोड़ने का काम पूरा कर लिया गया है।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के फेज-1 के अन्तर्गत हिमाचल प्रदेश के 2564 गांवों को पक्की सड़क से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था। आज इनमें से 2359 गांवों को पक्की सड़क के माध्यम से जोड़ दिया गया है। 205 गांवों को भी सड़क मार्ग से जोड़ने का काम चल रहा है। भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक यह सारा काम अगले साल दिसम्बर तक पूरा हो जाएगा।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के फेज-2 के अन्तर्गत ग्रामीण सड़कों को चौड़ा करने और बेहतर बनाने का काम चल रहा है। यह काम भी मार्च 2022 तक यानि जयरामजी की सरकार के पांच साल पूरे होने से पहले पूरा हो जाएगा।
मैं बधाई देता हूं प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर जी को कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के क्रियान्वयन में हिमाचल प्रदेश को जम्मू और कश्मीर राज्य के बाद देश में दूसरा स्थान मिला है। इतना ही नहीं मंडी जिला तो PMGSY के Implementation में पूरे देश में नंबर वन जिला घोषित हुआ है।
पहाड़ी राज्यों में Highways बनाने का जो काम पिछले तीन वर्षों में हुआ है वह भी अपने आप में बेमिसाल है। कालका-शिमला हार्इवे पर पहले क्या स्थिति थी और आज क्या स्थिति है यह अंतर केवल भाजपा सरकारों के कारण ही आया है।
इसी साल अक्टूबर में रोहतांग पर वर्षों से लंबित पड़ी टनल का काम पूरा कर दिया गया और स्वयं प्रधानमंत्री जी ने ‘अटल टनल’ राष्ट्र को समर्पित करके हिमाचल प्रदेश को लाहौल- स्पीति के हिस्से के साथ All Weather Connectivity प्रदान कर दी। अटल टनल के बन जाने से जहां सेना के जवानों को सीमाओं तक जल्द से जल्द पहुंचने में सुविधा होगी, वहीं स्पीति के किसानों को अपनी आलू की फसल देश के बाकी इलाके में पहुंचाने में मदद मिलेगी।
यानी इस देश के जवानों और किसानों के बारे में सोचने वाली, और उनकी समस्याओं का निस्तारण करने, और स्थार्इ समाधान का काम, यदि कोर्इ सरकार करती है तो हमारी सरकार करती है। जब देश में सेना के जवानों की बात चलती है तो हिमाचल प्रदेश का नाम अपने आप ऊपर आ जाता है। यहां ऐसा कोर्इ गांव नहीं है जहां एक भी व्यक्ति सेना में ना हो।
शौर्य और पराक्रम की परंपरा हिमाचल की नसों में दौड़ती है। आजाद भारत का पहला परमवीर चक्र पाने वाले मेजर सोमनाथ शर्मा हिमाचल के थे और जो सबसे हाल में परमवीर चक्र पाने वाले थे ऐसे कैप्टन विक्रम बतरा और राइफलमैन संजय कुमार भी इसी हिमाचल के पुत्र रहे हैं। जब देश की सेनाओं में कोई अपनी सेवा देता है, तो वह एक जज्बे के साथ जाता है, कि वह देश की हिफाजत करेगा मगर उसे इसका भी भरोसा होता है कि देश और समाज उसकी चिंता करेगा। वर्षों तक इस देश के लिए अपनी जवानी कुर्बान करने वाले सैनिक प्रतीक्षा करते रहे, कि सरकार उन्हें One Rank One Pension का हक देगी। मगर इस हक को पाने के लिए भी उन्हें 2014 तक इंतजार करना पड़ा।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने के बाद देश की जनता से किया हुआ अपना वादा निभाया और One Rank One Pension की व्यवस्था करके देश के पूर्व सैनिकों को उनका हक दिया। इस निर्णय का लाभ भी बड़ी संख्या में हिमाचल वासियों को हुआ है। जवानों के साथ साथ इस देश के किसानों के कल्याण के लिए भी अगर कोई सरकार पूरी ईमानदारी से काम कर रही है तो वह मोदीजी और जयरामजी के नेतृत्व वाली सरकारें कर रही हैं।
कृषि और किसान कल्याण के लिए आजाद भारत में सबसे पहली बार अटल जी ने बड़े पैमाने पर सुधार करने का सिलसिला प्रारंभ किया था। यह मेरा सौभाग्य है कि अटल जी की सरकार में कृषि मंत्री के रूप में मुझे भी काम करने का मौका मिला। जब मैं कृषि मंत्री बना तो मेरे सामने बड़ी चुनौती थी कृषि की Input Cost कम करने की। उस समय देश में कृषि कार्यों के लिए बैंकों से 14-16 फीसदी की दर पर कर्ज दिया जाता था। मुझे यह बात बहुत खटकती थी कि एक तरफ बैंकों द्वारा मोटर गाड़ी खरीदने के लिए 8 फीसदी की दर पर कर्ज दिया जा रहा है वहीं Agriculture जैसे Productive काम के लिए बैंक 14 फीसदी की ब्याज दर वसूल रहे हैं। उस समय देश के वित्त मंत्री हुआ करते थे श्री जसवंत सिंह जी जो अब इस दुनिया में नहीं है। उनसे मैंने किसानों के हित में ब्याज दर कम करने का आग्रह किया। पहले तो वह सहमत नहीं हुए मगर जब अटल जी ने इशारा किया तो मान गए।
उसके बाद जब मैं भाजपा का अध्यक्ष था तो भाजपा की प्रदेश सरकारों से कृषि कार्यों के लिए ब्याज दर घटाने का आग्रह किया। उस समय कई राज्यों में ब्याज दरें काफी घटा दी गयी और कर्नाटक में तो शून्य फीसदी ब्याज दर वहां के मुख्यमंत्री जो कि उस समय भी येदियुरप्पा जी थे, उन्होंने कर दी थी।
यानी कृषि को लाभकारी बनाने का जो बड़ा सुधार कार्यक्रम अटलजी के दौर में शुरू हुआ था उसे आज हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एक नई ऊर्जा और ताकत दे रहे हैं। मैं मोदी जी के नेतृत्व में कृषि कल्याण की दृष्टि से लिए गए सारे कदमों की चर्चा तो नहीं करूंगा मगर इस साल जो तीन नए कृषि कानून बने है उन पर अपनी बात थोड़ा विस्तार से जरूर करना चाहूंगा। इसके माध्यम से किसानों को अपनी उपज जहां चाहें वहां बेचने की सही मायनों में आजादी मिली है और अपनी फसल को बेचने में होने वाली समस्याओं का स्थायी समाधान उन्हें मिला है। अब इस देश का किसान मंडी में अपनी मेहनत गिरवी रखने के लिए मजबूर नहीं है। इन कृषि कानूनों के बन जाने के बाद देश का हर किसान पूरे देश में कही भी, जहां उसे बेहतर कीमत मिले, अपनी फसल बेचने के लिए आजाद होगा।
बड़े दुर्भाग्य की बात है, कि देश में ऐसे लोग, जो किसानी का ‘क’ भी नहीं जानते हैं, ऐसे ‘आसमानी किसान’ हमारे भोले-भाले किसान भाइयों को बहला-फुसलाकर उन्हें दूसरी दिशा की ओर मोड़ रहे हैं। पर हमारा विश्वास है, कि जैसे-जैसे हमारे किसान भाई इन कानूनों का उद्देश्य समझते जाएंगे, वैसे-वैसे उनकी चिंताएं दूर होती जाएंगी। वैसे दो दिन पहले ही PM ने बड़े प्रभावी तरीके से इन कृषि कानूनों से जुड़ी सारी आशंकाओं को दूर कर दिया है।
इस ऐतिहासिक कृषि सुधार से उन लोगों के पैरों तले जमीन खिसक गयी है जो लोग किसानों के नाम पर अपने निहित स्वार्थ साधते थे। उनका धंधा खत्म हो जायेगा इसलिए जानबूझ कर देश के कुछ हिस्सों में एक गलतफहमी पैदा की जा रही है, कि हमारी सरकार MSP की व्यवस्था खत्म करना चाहती है। जबकि सच्चाई इसके ठीक उलट है। वह प्रधानमंत्री मोदीजी ही है जिन्होंने स्वामीनाथन आयोग द्वारा प्रस्तावित MSP फार्मूले को स्वीकार किया है। उसी फार्मूले के तहत देश में अब MSP की घोषणा की जा रही है।
इसी साल रबी की छह फसलेां की MSP की घोषणा की गई है, जिसमें लगभग डेढ़ गुने से दोगुने तक की MSP में वृद्धि की गई है। MSP खत्म करने का इरादा न इस सरकार का कभी था, न है, और न आगे कभी होगा। यहां तक कि मंडी व्यवस्था भी कायम रहने वाली है। दुष्प्रचार करके किसानों को भड़काने की यह कोशिश कत्तई कामयाब नहीं होगी। एक बड़ा दुष्प्रचार यह भी किया गया कि किसानों की जमीन कांट्रेक्ट फार्मिंग के माध्यम से छीन ली जाएगी। मैं आज इस कार्यक्रम के माध्यम से पुन: कहना चाहूंगा कि कोई भी माई का लाल किसानों से उनकी जमीन नहीं छीन सकता। किसानों से जो भी करार होगा वह उनकी उपज का होगा उनकी जमीन का नही और जो करार करेगा यदि वह तय की गई राशि से कम भुगतान करेगा तो किसान उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए सरकार की मदद ले सकता है।
किसान अपनी फसल को जहां चाहें जैसे चाहे और जिसको भी चाहें बेचने के लिए आजाद है। यदि किसान द्वारा बेची फसल पर कारोबारी को अधिक लाभ होता है तो उसे उस लाभ के अनुपात में किसानों को बोनस भी देना होगा। हिमाचल प्रदेश मे किसानी के साथ साथ बड़े पैमाने पर बागवानी भी होती है। नए कृषि कानूनों के अन्तर्गत अब सरकार देश में नए 10000 FPO यानि Farm Producers Organizations बनाने जा रही है। यानि किसान और बागवान अब यदि चाहें तो खुद ही अपनी फसलों को Process करके उनमें Value Addition करकें अपने उत्पादों को स्वयं बाजार में बेच सकते है। भारत के किसानों और बागवानों के हित और कल्याण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता तो दीनदयाल उपाध्याय जी के जमाने से है। इस पथ से हमें कोई डिगा नहीं सकता।
इन कानूनों के बन जाने से किसानों की आमदनी में वृद्धि होगी। मगर कांग्रेस देश के किसानों को गुमराह कर रही है। पिछले कुछ दिनों से इन हुए कृषि कानूनों को लेकर कुछ किसान संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार द्वारा कृषि मंत्री के स्तर पर किसानों से बातचीत भी हुई है। हमारी सरकार कृषि कानूनों के माध्यम से हम किसानों की आमदनी बढ़ाने का रास्ता खोलना चाहती है, कृषि क्षेत्र में विकास की नई संभावनाएं पैदा करने के लिए व्यापक सुधार करना चाहती है।
जब भी इस देश में व्यापक सुधार हुए है उनका असर दिखने में थोड़ा समय लगा है। चाहे 1991 में नरसिम्हा राव जी के सरकार के समय हुए आर्थिक सुधारों की बात हो या अटलजी की सरकार द्वारा किया गया सुधार हो। उनका लाभ जनता को मिलने में कम से कम चार-पांच साल लगे। अब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा कृषि क्षेत्र में सुधार की शुरूआत की गई है। चार-पांच साल न सही कम से कम दो साल तक इन नये कृषि सुधारों के परिणाम की तो प्रतीक्षा की ही जा सकती है। हमारी सरकार ने बहुत सोच समझ के और सभी Stake holder को विश्वास में लेकर नये कृषि कानून बनाये है। मैं किसान भाइयों से अपील करता हूं कि कम से कम डेढ़-दो साल इन कृषि सुधारों के असर को देख लीजिए। यदि इसके बाद किसानों को लगता है कि ये कृषि कानून किसानों के हित में नही हैं तो सरकार इन कानूनों के बारे में पुन: चर्चा करके जो किसान कल्याण के लिए आवश्यक होगा, वह करेगी।
साथियों आज आज भारत में पहली बार इस देश के गांव, गरीब और किसान के कल्याण के लिए इतने बड़े पैमाने पर काम हो रहा है। गांव, गरीब भी किसान की खुशहाली के लिए हम कोई कसर नही छोड़ना चाहते। किसान की चर्चा मैंने अभी की। मगर गरीबी इस देश के लिए कितनी बड़ी समस्या है यह बात आप अच्छी तरह से जानते हैं। गरीबी समाज का एक ऐसा अभिशाप है जो व्यक्ति को कई और समस्याओं से घेर देता है। इसलिए जब से देश आजाद हुआ तो इस देश में गरीबी को कम करने की बात हुई है। मगर सही मायनों में गरीबी हटाने का काम अगर किसी सरकार ने पहली बार गंभीरतापूर्वक प्रारंभ किया तो वह अटलजी की सरकार थी। अटल जी ने ‘अंत्योदय योजना’ के माध्यम से इस देश के गरीबों को सस्ती दर पर अनाज उपलब्ध कराया। जहां अटल जी ने गरीबों को भूखमरी से राहत दी वहीं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने तो गरीबों की सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा की दृष्टि से एक नहीं तीन-तीन योजनाएं प्रारंभ की। यह गांधीजी और दीनदयाल जी के अन्त्योदय की अगली सीढ़ी है। चाहे गांधीजी हो या दीनदयाल जी सब ने यह माना है कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। इसके बावजूद लंबे समय तक गांव, गरीब, किसान उपेक्षा के शिकार हैं।
कल्पना कीजिए उन गांव की जहां आजादी के 70 सालों बाद बिजली के बल्ब जले। कल्पना कीजिए लाखों गांव की जहां आजादी के इतने सालों तक शौचालय तक नहीं थे। हमारे प्रधानमंत्री ने गांव तक शौचालय पहुंचाया है, बिजली पहुंचाया है, सड़क पहुंच रही है, गरीबों को उनके सिर पर छत मुहैया करायी जा रही है और जल्द ही वो दिन दूर नहीं जब हर गांव में नल होगा और हर नल में जल होगा। यह काम इसलिए संभव हुआ है और हो रहा है क्योंकि आजादी के बाद पहली बार किसी सरकार ने इस देश की जड़ों को सींचने का फैसला लिया है। मोदी जी ने प्रधानमंत्री बनते ही घोषित किया था कि मैं अपनी सरकार देश के गरीबों को समर्पित करता हूं। नतीजा सामने है कि अब देश का बजट केवल शहर की ऊंची अट्टालिकाओं को ध्यान में रखकर नहीं बनाया जाता है बल्कि अब गरीब की झोपड़ी को ध्यान में रखकर बनाए जा रहे हैं।
क्या आपको इस बात की जानकारी है कि 25 लाख करोड़ रुपए भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था/Rural Economy को मजबूत करने के लिए Invest करने का फैसला किया गया है। 3.5 लाख करोड़ रुपए तो केवल हर घर जल पहुंचाने के लिए हम खर्च करने जा रहे हैं। जहां 2014 में देश की कुल 59 ग्राम पंचायतों के ब्रॉडबैंड कनेक्शन थे वह संख्या सवा लाख ग्राम पंचायतों से अधिक हो चुकी है।
मित्रों, आज सरकार ‘भाजपा’, ‘काम’ और ‘विकास’ का दूसरा पर्याय बन चुकी है। जिस तरह ‘गांधीजी’ का नाम आते ही ‘सत्य’ और ‘अहिंसा’ की भावना हमारे मस्तिष्क में स्वयं उभर कर आती है, ‘पंडित दीन दयाल उपाध्याय’ का नाम लेते ही अंत्योदय की भावना स्वयं उभर कर आती है, उसी तरह आज ‘भाजपा’ और मोदी जी का नाम लेते ही, ‘सुशासन’, ‘विकास’ और ‘दृढ़ संकल्प’ की भावना स्वयं उभर आती है। कुछ लोग, ‘भाजपा’ को 2014, या फिर थोड़ा पीछे जाएँ, तो 1999 में आयी मानते हैं। पर ‘भाजपा’ 2014, या 1999 की देन नहीं है। इन सालों में तो यह बस, औपचारिक और आधिकारिक रूप से देश की सेवा में आयी।असल में ‘भाजपा’, भारतीय जनता की दशकों की आशाओं, आकांक्षाओं और सपनों की अभिव्यक्ति है, जिनका आजादी के कुछ समय बाद ही शासन से मोहभंग हो गया था। इस देश की जनता ने बड़े धैर्य से इस पल का इंतजार किया है।
हमारे देशवासियों को, अपने धैर्य का फल उस दिन मिला, जब कश्मीर से धारा 370 हटाकर उसे भारत का अभिन्न अंग बना दिया गया। हमारे देशवासियों को, अपने धैर्य का फल उस दिन मिला, जब हमारी सेनाओं ने, सीमा पार जाकर आतंकियो, और उनके ठिकानों को नेस्तनाबूत कर दिया। हमारे देशवासियों को, अपने धैर्य का फल उस दिन मिला, जब हर घर की बहू-बेटियों को घर में शौचालय जैसी बुनियादी सुविधा मिली। हमारे देशवासियों को, अपने धैर्य का फल उस दिन मिला, जब उनकी आस्था के केन्द्र पर उनकी आस्था का मंदिर बनना शुरु हुआ। हमारे देशवासियों को, अपने धैर्य का फल उस दिन मिला, जब हमारी सुरक्षा के लिए, देश की सीमाओं से लगे क्षेत्रों में, Infrastructure Development होना शुरू हुआ।
साथियों, साल के शुरूआती दिनों में, जब कोविड महामारी के कारण, अच्छे-भले, बड़े, और साधन संपन्न राष्ट्र धराशायी हो गए..., आर्थिक और तकनीकी रूप से संपन्न होने के बावजूद, उन्होंने इस संकट के सामने घुटने टेक दिए..., उन्हें भारी मात्रा में जानमाल का नुकसान भी उठाना पड़ा। उस समय भी हमारे देश ने, सीमित संसाधनों के बावजूद, अपेक्षाकृत कम नुकसान उठाया। न केवल कम नुकसान, बल्कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में हमने, इस आपदा को अवसर में भी बदला। हम उन क्षेत्रों में भी अपने पैरों पर खड़े होने की दिशा में आगे बढ़े, जो अब तक अछूते थे।
हिमाचल प्रदेश को प्रकृति का वरदान प्राप्त है। भारत ही नहीं दुनिया भर के पर्यटकों के लिए हिमाचल का आकर्षण लगातार बढ़ता ही जा रहा है। मेरे पास जो आंकड़े हैं उनके मुताबिक पिछले साल यानी 2019 में एक करोड़ 72 लाख पर्यटक हिमाचल प्रदेश आए। यदि इस साल कोविड संकट नहीं आता तो मेरा मानना है कि इस साल हिमाचल आने वाले पर्यटकों की संख्या दो करोड़ पार कर जाती। यानी लगभग 68 लाख की आबादी वाले इस प्रदेश में अपनी आबादी से तीन गुना पर्यटकों का सत्कार करने की क्षमता मौजूद है।
पर्यटन क्षेत्र में कम पूंजी में अधिक रोजगार पैदा करने की क्षमता है। मुझे खुशी है कि हिमाचल अब पर्यटकों के लिए बहुत बड़ी संख्या में Home Stay की सुविधा मौजूद है। ‘अतिथि देवो भव’ के साथ हिमाचल प्रदेश के लोगों ने पर्यटकों के लिए अपने घर के द्वार खोले हैं और इसकी चर्चा हर तरफ होती है। आज पूरी दुनिया में जब Home Stay का चलन बढ़ रहा है तो हिमाचल प्रदेश के Home Stay के मॉडल को पूरे भारत में Replicate करने की जरूरत है। मुझे जानकर हैरानी हुई कि पूरे प्रदेश में 80 हजार से अधिक Home Stay facilities है।
मुझे याद है हिमाचल में Home Stay facilities का चलन 2008 में जब प्रो. प्रेम कुमार धूमल जी यहां मुख्यमंत्री थे, तब शुरू हुआ था। उसी साल दुनिया की जानी मानी Home Stay कंपनी 'Air Bnb' की भी शुरुआत हुर्इ थी। आज Air Bnb के अंतर्गत 40 लाख घर जुड़े हुए हैं। यदि हिमाचल प्रदेश के Home Stay Model को सफलतापूर्वक अन्य प्रदेशों में भी अपनाया जाए तो अकेले भारत में एक नहीं तीन-चार 'Air Bnb' जैसी Lodging कंपनी खड़ी हो सकती है।
पर्यटन 21वीं सदी का सबसे बड़ा Employment Generating Sector है। भारत में इसकी अपार संभावनाएं हैं। विदेशी पर्यटकों के साथ-साथ हमें घरेलू पर्यटकों पर भी ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। हिमाचल प्रदेश एक मामले में भारत का 'Tourism Model' बन सकता है, ऐसा मेरा विश्वास है।
साथियों, आज हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा किए गए कर्इ कामों की चर्चा यहाँ पर हुर्इ है। कुछ कामों का जिक्र मैं भी जरूर करना चाहूँगा, जो जनता के कल्याण के लिए किए गए हैं।आयुष्मान भारत, देशभर में गरीबों, वंचितों का इलाज सुनिश्चित करने के लिए सबसे बड़ी योजना तो है ही, पर सरकार द्वारा शुरू की गयी ‘हिम केयर योजना’ उन परिवारों के इलाज को भी सुनिश्चत करता है जो इस आयुष्मान भारत योजना के लाभ से वंचित रह जाएंगे। इसी तरह ‘गृहणी योजना’ भी, ‘उज्जवला’ की एक्सटेंशन योजना है, जो ‘उज्जवला’ योजना से बाहर की महिलाओं को, मुफ्त गैस कनेक्शन प्रदान कर उन्हें खुशहाल जीवन प्रदान करता है। संभवत: हिमाचल देश का पहला राज्य है जिसने इस योजना को प्रारंभ किया है, इसके लिए जयराम ठाकुर जी की कोशिशों के लिए बधाई।
एक योजना जिसके बारे में मुझे पता चला और जिसका मैं जिक्र यहाँ करना चाहता हूँ वह हैं ‘‘बेटी हैं अनमोल योजना’’। इस योजना के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश की बेटियों को उनकी पढ़ाई के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। बेटी का जन्म होने पर हिमाचल प्रदेश सरकार ₹10000 की छात्रवृत्ति पोस्ट अफिस या फिर बेटी के बैंक खाते में जमा कर देगी। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश की बेटियों को पहली कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा तक ₹300 से लेकर ₹12000 तक की आर्थिक सहायता किताबें तथा यूनिफॉर्म खरीदने के लिए प्रदान की जाएगी। यदि बेटी बारहवीं कक्षा के बाद स्नातक के पाठ्यक्रम में अपनी पढ़ाई जारी रखती है तो उसे ₹5000 की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।
हिमाचल प्रदेश के युवाओं के लिए ‘मुख्यमंत्री Start-Up योजना’, बुजुर्गो के लिए ‘सामाजिक सुरक्षा पेंशन’, पीने के लिए स्वच्छ जल की व्यवस्था, पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को समर्पित ‘अटल आदर्श विद्या केंद्र’, जिनमें कई विद्यालय केवल बालिकाओं के लिए बनाये जायेंगे, राज्य सरकार की, जनता के प्रति निष्ठा और समर्पण को दर्शाता है।
आज हिमाचल विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा हैं और इसका प्रमाण हैं की अभी कुछ दिन पहले ही हिमाचल प्रदेश के मंडी, शिमला, कांगड़ा और सिरमौर जिलों की चार पंचायतों को भारत सरकार के ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग की वार्षिक पत्रिका में स्थान मिला है। यह उपलब्धि मनरेगा, स्वच्छ भारत अभियान, पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण में सराहनीय पहल करने पर मिली है। इनमें से मैं भवारना विकास खंड की आइमा पंचायत को खास कर के बधाई देना चाहता हूँ जिसने मात्र 3 माह में स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत ठोस कचरा प्रबंधन के लिए एक प्लांट तैयार किया और लोगों को रोजगार दिया गया। इस प्लांट से पूरे शहर के किचन वेस्ट और अन्य waste को खाद में परिवर्तित करके इसका उत्पाद तैयार किया जाता है।
जय राम ठाकुर जी सरकार लोगों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और हमेशा यह सुनिश्चित करती है कि राज्य और उसके लोगों के विकास के बीच कुछ भी नहीं आना चाहिए। इसीलिए मुझे बताया गया हैं की ‘नई राहें-नई मंजिलें’ योजना के तहत क्रियान्वित की जा रही विभिन्न परियोजनाओं को पूर्ण करने में देरी को गंभीरता से लिया जाएगा और देरी के लिए संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाई की जाएगी।
अंत में, इतना ही कहना चाहूंगा कि जयराम जी के नेतृत्व में हिमाचल और हिमाचल वासियों के विकास के लिए निरंतर कार्य किया जा रहा है। मैं एक बार फिर, हिमाचल की जनता, हिमाचल की सरकार, मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर जी के कुशल नेतृत्व के तीन बेमिसाल साल पूरे होने पर, उन्हें अपनी ओर से बधार्इ देता हूं, और आगामी वर्षों में वे इसी ऊर्जा और उत्साह के साथ काम करते रहें, ऐसी शुभकामनाएं देता हूं।
आप सब का बहुत-बहुत धन्यवाद!