Breaking News

यूपी में मंत्री के रिश्तेदार नहीं लड़ पायंगे पंचायत चुनाव...केवल पार्टी के कार्यकर्ताओं को ही मिलेगा चुनाव लड़ने का मौका- सीएम योगी

 



ए कुमार

लखनऊ।। उतर प्रदेश में किसी भी मंत्री/MP/MLA/MLC या पदाधिकारी के रिश्तेदार नहीं लड़ेंगे पंचायत चुनाव केवल पार्टी के कार्यकर्ताओं को ही मिलेगा चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा। 

बीजेपी से किसी भी सांसद,विधायक के परिजनों को नहीं मिलेगा टिकट यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार ने किया फैसला ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत चुनावों को लेकर उत्सुकता है। प्रधान, बीडीसी सदस्य, जिला पंचायत सदस्य और ग्राम पंचायत सदस्य बनने के लिए संभावित प्रत्याशियों ने लोगों से मिलना जुलना शुरू भी कर दिया है। हालांकि चुनाव की तारीख अभी फाइनल नहीं है। 31 मार्च से पहले चुनाव कराने की रणनीति बन रही है। इसलिए ग्रामीणों में तारीखों के निर्धारण का इंतजार है। जिला प्रशासन पंचायतों के चुनाव के लिए आवश्यक तैयारियां पहले से कर रहा है। इसी क्रम में पंचायत चुनाव को लेकर बीजेपी का बड़ा फैसला सामने आया है। यूपी में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर योगी सरकार ने शनिवार को बड़ा फैसला लिया है। उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव में अब बीजेपी से किसी भी सांसद, विधायक या मंत्री के परिवार का कोई सदस्य चुनाव नहीं लड़ सकेगा। मुख्यमंत्री आवास पर हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में सरकार और संगठन के बीच यह निर्धारित हुआ और सभी मंत्रियों को सीधे तौर पर यह कहा गया है कि अपने क्षेत्र में किसी के घर-परिवार का कोई सदस्य पंचायत चुनाव नहीं लड़ेगा न ही उसे टिकट दिया जाएगा। यह निर्देश सभी मंत्रियों को दिया गया है। फिर वह चाहे कैबिनेट मंत्री और राज्यमंत्री हो या फिर स्वतंत्र प्रभार मंत्री हो।

गौरतलब है कि अप्रैल 2021 में आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की तैयारियां पूरी होने से पहले ही नया कानून लागू करने की कवायद शुरू हो चुकी है। कोरोना महामारी के चलते यूपी में तय समय पर पंचायत चुनाव की तैयारियां पूरी नही हुई हैं। इसलिए इसे आगे बढ़ा दिया गया है। पंचायत चुनाव दिसंबर 2020 में प्रस्तावित थे। परिवारवाद को खत्म करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संगठन के साथ मिलकर यह फैसला किया है। दरअसल, सपा और बसपा पर अक्सर यह आरोप लगता रहा है कि वह परिवारवाद की राजनीति करते हैं और इसको बढ़ावा देते हैं। अब बीजेपी सरकार इसको समाप्त करने जा रही है। इसीलिए पार्टी ने अपने सभी नेताओं को स्पष्ट करते हुए कहा कि वंशवाद को बढ़ावा नहीं दिया जाएगा। इसीलिए किसी भी विधायक, सांसद और मंत्री के घर के सदस्य को टिकट नहीं मिलेगा।

पंचायतीराज विभाग द्वारा तैयार इस प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार पंचायतों के पुर्नगठन का काम 22 दिसम्बर से 31 दिसम्बर के बीच चलेगा। इसके बाद एक जनवरी से 20 जनवरी तक परिसीमन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। राज्य स्तर पर पंचायतों के आरक्षण की प्रक्रिया 21 जनवरी से 30 जनवरी के बीच पूरी की जाएगी और फिर जिला स्तर पर आरक्षण एक फरवरी से 21 फरवरी के बीच पूरा किया जाएगा।