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पत्रकार उत्पीड़न किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं - शिवा शंकर




भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ की बैठक, फिर उठा पत्रकारों दुर्दशा का मुद्दा

ए कुमार

प्रयागराज ।। भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के सोरांव तहसील इकाई की बैठक में पत्रकारों की बिगडती दशा का मुद्दा फिर से एक बार प्रमुखता से उठाया गया । करीब तीन घंटे से ज्यादा चली बैठक में पत्रकारों की उपेक्षा, भेदभाव और  शासन- प्रशासन के सौतेले व्यवहार की चर्चा रही । कहा गया कि कस्बाई और ग्रामीण अंचल में पत्रकारिता करने वाले मीडियाकर्मियों की लगातार उपेक्षा की जा रही है । ये दुर्दशा के शिकार हो रहे हैं । देश के करीब अस्सी फीसदी हिस्से में ये पत्रकार दिन- रात लगकर कार्य को बखूबी  अंजाम दे रहे हैं । दुर्भाग्य है कि शासन- प्रशासन से लेकर मीडिया संस्थान तक दोयम दर्जे तक ट्रीट कर रहे हैं l दो बार से लगातार अध्यक्ष रहे राकेश शुक्ला को जिला प्रतिनिधि के पद पर चुना गया जबकि रिजवान सैफ खान को सोरांव का तहसील अध्यक्ष सर्वसम्मति से बनाया गया । शिव पंकज यादव को महासचिव पद की जिम्मेदारी दी गयी ।

 नवाबगंज में 27 दिसम्बर को भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ सोरांव की बैठक में बडी तादाद में पत्रकार जुटे । बैठक की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार मंगलेश्वर पांडेय और संचालन निवर्तमान तहसील अध्यक्ष राकेश शुक्ला ने किया । दिल्ली की पत्रिका सबलोग के यूपी ब्यूरोचीफ व महासंघ के प्रदेश महासचिव शिवा शंकर पांडेय ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि देश के प्रमुख हिस्से कस्बा और तहसील- ब्लॉक क्षेत्र में कार्य करने वाले पत्रकारों को ग्रामीण पत्रकार के तौर पर दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है, जबकि समाचार के लिए इनको पूरी तरह जवाबदेह माना जाता है । खबर छूट जाने या गलत छप जाने पर इनको मीडिया हाउस से लेकर शासन-प्रशासन तक जिम्मेदार मानता है । ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत इन पत्रकारों को रोजाना आठ से दस- पंद्रह किमी रेंज तक हर बीट पर कार्य करना पड़ता है । यहाँ तक कि प्रसार और विज्ञापन तक का कार्य इन पत्रकारों के जिम्मे रहता है l इसके बदले कोई मानदेय भत्ता को कौन कहे, मीडिया हाउस परिचयपत्र तक नहीं दिया जाता है । इससे इन पत्रकारों को कई बार मुसीबत का सामना करना पड़ता है । बीस- पचीस साल के अनुभव वाले पत्रकारों को मान्यता नहीं दी जाती । श्री पांडेय ने कहा कि प्रेस स्थाई समिति की में ग्रामीण पत्रकारों को शामिल नहीं किया जाता । सबका साथ सबका विकास का नारा देने वाली भाजपा सरकार भी ग्रामीण पत्रकारों की उपेक्षा करने में पीछे नहीं है । कई राज्यों में लागू होने के बावजूद यूपी में पत्रकारों की पेंशन और पत्रकार सुरक्षा कानून लागू नहीं किया जा सका है । राकेश शुक्ला, राम सुरेश निर्मल, डाo रामेश्वर पटेल, शिव पंकज यादव, मोo एखलाक, ऋतुराज पांडेय, अनिकेत शुक्ला ने पत्रकारों के बढ़ते उत्पीड़न का मुद्दा उठाया । सर्वसम्मति से कहा गया कि पत्रकारों का उत्पीड़न किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा । यह भी सुझाव दिया गया कि पत्रकार बिचौलिए और दलाल न बनकर केवल पत्रकारिता निडर होकर करें, इस पर भी अगर उत्पीड़न किया गया तो संगठन ऐसे लोगों से बखूबी निबटना जानता है । इस अवसर पर वर्ष 2020 की इकाई भंग कर वर्ष 2021 इकाई की घोषणा की गयी । संगठन के पुराने परिचयपत्र अमान्य कर सभी पुराने परिचयपत्र को अवैध घोषित किया गया । साफ तौर पर कहा गया कि ऐसे कार्ड धारक के पकड़े जाने पर संगठन कोई जिम्मेदारी नहीं लेगा l नई कार्यकारिणी के सदस्य- पदाधिकारियों को फूल माला पहना कर स्वागत और पुराने पदाधिकारियों को पदमुक्त किया गया । बैठक में तीन नए लोगों को शामिल किया गया । जय कुमार राजा कोषाध्यक्ष, मुश्ताक अहमद वरिष्ठ उपाध्यक्ष, रवि चंद्रा को सह आय व्यय निरीक्षक, अतुल द्विवेदी कार्यालय प्रभारी, अनिकेत शुक्ला सह कार्यालय प्रभारी, रामेश्वर पटेल तहसील प्रवक्ता, राम सुरेश निर्मल को सचिव पद की जिम्मेदारी दी गयी ।

इस अवसर पर सुरेश मौर्य, दारा सिंह, रूपेन्द्र पटेल, जयराम सिंह,  अंशू सिंह, विजय कुमार समेत कई पत्रकार उपस्थित रहे ।