I.I.I.T वड़ोदरा के इंटरनेशनल कैम्पस के पहले शैक्षिक सत्र की राष्ट्रपति ने की शुरुआत ,बोले-दीव शहर के पूर्ण सौर ऊर्जा से रौशन होने वाला शहर बनने पर है गर्व
दीव (गोवा) ।। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शनिवार को गुजरात व महाराष्ट्र के निकटवर्ती केंद्र शासित प्रदेश दादर व नगर हवेली के दीव में मौजूद थे। उन्होंने संघ राज्य क्षेत्र के उत्साहपूर्ण प्रयासों की प्रशंसा करते हुए सौर ऊर्जा क्षेत्र में सफलता का परचम लहराने का भी जिक्र किया। राष्ट्रपति ने कहा, 'संघ राज्य-क्षेत्र के उत्साहपूर्ण प्रयासों से अब दीव शहर भारत का ऐसा पहला नगर बन गया है, जो दिन के समय अपनी ऊर्जा की शत-प्रतिशत जरूरत सौर ऊर्जा से पूरी कर रहा है। दीव में पर्यटकों की विशेष पसंद वाली अनेक ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण और सौंदर्यीकरण के विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। मुझे प्रसन्नता है कि दीव जिले में भी, आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल का अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है।' बता दे कि श्री कोविद ,I.I.I.T वड़ोदरा के इंटरनेशनल कैम्पस पहले शैक्षिक सत्र की राष्ट्रपति ने की शुरुआत करने दीव पहुंचे थे ।
महामहिम ने दीव की तारीफ करते हुए कैप्टन महेंद्र नाथ मुल्ला की तारीफ करते हुए कहा कि भारत-पाकिस्तान युद्ध में 09 दिसम्बर 1971 को देश की रक्षा करते हुए भारतीय नौसेना के कैप्टन महेन्द्र नाथ मुल्ला ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था। अंतिम समय तक वे अपने साथी अधिकारियों और नौसैनिकों के बचाव में लगे रहे।
उनकी असाधारण वीरता और बलिदान के बारे में ठीक ही कहा गया, “In this brave and heroic action, Captain Mulla teaches us not only how to live, but how to die”
कहा कि संघ राज्य-क्षेत्र के उत्साहपूर्ण प्रयासों से अब दीव शहर भारत का ऐसा पहला नगर बन गया है, जो दिन के समय अपनी ऊर्जा की शत-प्रतिशत जरूरत सौर ऊर्जा से पूरी कर रहा है। सरकार की दीव में ‘एजुकेशन हब’ स्थापित करने की संकल्पना सराहनीय है।
कहा कि राष्ट्रीय महत्व के संस्थान I.I.I.T वड़ोदरा के इंटरनेशनल कैम्पस पहले शैक्षिक सत्र की शुरुआत करते हुए मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। मुझे प्रसन्नता है कि दीव जिले में भी, आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल का अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है।
दीव में पर्यटकों की विशेष पसंद वाली अनेक ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण और सौंदर्यीकरण के विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। यह बहुत प्रसन्नता का विषय है कि संघ राज्य-क्षेत्र के तीनों जिले ‘खुले में शौच से मुक्त’ घोषित किए जा चुके हैं। दीव के निवासियों की, सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं में सराहनीय भागीदारी रहती है|
वही स्थानीय प्रशासन ने हर घर से कूड़ा उठाने की जिम्मेदारी निभाकर पूरे देश के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। जनता की उत्साहपूर्ण भागीदारी और प्रशासन के अथक प्रयासों के बल पर ही वर्ष 2019 के ‘स्वच्छ सर्वेक्षण’ में दमन और दीव को पहला स्थान प्राप्त हुआ था ।
इस सुन्दर द्वीप की विकास यात्रा जारी रहे, आप सब लोग स्वस्थ व सुखी रहें और अपनी धरती तथा देश की प्रगति व खुशहाली के लिए सदैव तत्पर बने रहें, इसी मंगल कामना के साथ मैं आप सभी को नव वर्ष 2021 के लिए हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं ।
2018 में ही सौर ऊर्जा के क्षेत्र में मिली थी सफलता
दरअसल वर्ष 2018 की शुरुआत में ही अक्षय ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की ओर कदम बढ़ाते हुए दीव सौर ऊर्जा से 100 फीसद चलने वाला देश का पहला केंद्र शासित प्रदेश बन गया। वहां सौर ऊर्जा का उत्पादन काफी तेजी से बढ़ा है। रोचक यह है कि मात्र 42 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल वाले दीव में जमीन की कमी है लेकिन फिर भी करीब 50 एकड़ से भी अधिक क्षेत्र पर सोलर पावर प्लांट्स लगाए गए हैं। उल्लेखनीय है कि यहां कोरोना वायरस संक्रमण का मामला भी देर से आया था।
13 मेगावॉट बिजली का होता है उत्पादन
दीव कुल 13 मेगावॉट बिजली सोलर पावर से उत्पादन करता है। इसमें से करीब 3 मेगावॉट बिजली छतों पर लगे सोलर प्लांट्स और 10 मेगावॉट अन्य सोलर पावर प्लांट्स से उत्पादन किया जाता है। इससे पहले तक गुजरात सरकार की ग्रिड से दीव को बिजली मिलती थी जिसमें बड़ी मात्रा में बिजली बर्बाद हो जाती थी। जब से यहां की पावर कंपनी ने सौर ऊर्जा से बिजली बनाना शुरू किया तब से ही इसकी बर्बादी काफी कम हो गई है ।
सोलर प्लांट लगा आत्मनिर्भर बना दीव
सोलर प्लांट के विकास से पहले पानी और बिजली के लिए गुजरात सरकार का आसरा था और इसलिए यहां सोलर प्लांट लगाने का निर्णय लिया गया। 2018 में दीव में बिजली की डिमांड 7 मेगावॉट तक थी और सोलर प्लांट लगने के बाद करीब 10.5 मेगावॉट बिजली का उत्पादन सौर ऊर्जा से किया जाने लगा। सोलर पावर के इस्तेमाल से लोगों को राहत मिली, 12 फीसद तक बिजली बिल कम हो गए। दो साल पहले संयुक्त राष्ट्र ने सौर उर्जा के लिए बेहतरीन काम करने को लेकर भारत की सराहना की थी। वर्ष 2015 में केरल का कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पूरी तरह से सौर ऊर्जा से संचालित दुनिया का पहला हवाईअड्डा बन गया था।