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पराक्रम दिवस के रूप में मनायी गयी राष्ट्र नायक सुभाष चंद्र बोस की 124वीं जयंती

 






बलिया: आज दिनांक 23 जनवरी 2021 को हरपुर, बलिया स्थित शैक्षणिक एवं औद्योगिक संस्थान के कार्यालय पर आज़ाद हिंद फ़ौज की स्थापना करने वाले नेता जी सुभाष चंद्र बोस की 124वीं जयंती पराक्रम दिवस के रूप में मनायी गयी ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. अशोक उपाध्याय  ने की. उन्होंने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में नेता जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुये उनके अप्रतिम संघर्ष का वर्णन किया और बताया कि अभी तक इतिहास में उनके जीवन और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके तरीक़ों का जिस प्रकार विश्लेषण किया गया उसे एक तरफ़ा कहा जा सकता है. उनका जीवन राष्ट्रीयता से ओत-प्रोत था और यही कारण था कि उन्होंने ब्रिटिश काल में होने वाली प्रशासनिक सेवा में चतुर्थ स्थान आने के बाद भी भारत को स्वतंत्र कराने में अपना जीवन समर्पित कर दिया. उन्होंने कहा कि भारत की आज़ादी में जितना योगदान महात्मा गाँधी का माना जाता है उतना ही योगदान सुभाषचंद्र बास का भी रहा. सुभाष चंद्र बोस ने कभी हार नहीं मानी, वे लगातार  अपने ध्येय को पाने के लिए  लगे रहे ।

मुख्य अतिथि दिनेश सिंह ने अपने व्यक्तव्य में कहा कि नेता जी ने निःस्वार्थ होकर बिना यह सोचे बिना कि स्वाधीनता तक वे जीवित रहेंगे या नहीं, अपना जीवन भारत माता के चरणों में न्योछावर कर दिया. संदीप यादव ने नेता जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए यह बताया कि उनके जीवन पर स्वामी विवेकानंद जी का प्रभाव रहा. बलिराम सिंह ने नेता जी के महात्मा गाँधी के साथ रहे मतभेद की बात बतायी और यह बताया की नेता जी का लक्ष्य भारत की आज़ादी थी और उसका रास्ता अलग था. नगवाँ के प्रधान प्रतिनिधि विमल पाठक ने नेता जी सुभाष चंद्र बोस के बारे में बताते हुए कहा कि नेता जी प्रगतिशील विचार रखते थे और साथ ही भविष्य के लिए सोचते थे. उन्होंने देश की प्रगति के लिए अलग-अलग क्षेत्र जैसे विज्ञान, कृषि इत्यादि में कमेटी बनायी और उसे प्रशिक्षण के लिए विभिन्न देशों में भेजा, ताकि देश आज़ाद होने बाद लगातार विकासशील रह सके ।


शैक्षणिक औद्योगिक एवं सेवा संस्थान की प्रबंधक डॉ प्रीति उपाध्याय ने इस कार्यक्रम का संचालन किया और नेता जी के विषय में अपने विचार रखते हुए कहा कि सुभाष चंद्र बोस एक ऐसे सेनानी थे, जिन्हें अपनी मातृभूमि से असीमित प्रेम था. अपने इस प्रेम को वह अपनी माता को लिखे पत्रों के माध्यम से दर्शाते थे. महिलाओं के लिए उनका बराबरी का विचार ही था जिससे उन्होंने आज़ाद हिंद फ़ौज में रानी लक्ष्मीबाई रेजिमेंट की स्थापना की. उनके एक पत्र जो उन्होंने अपने मित्र हेमंत कुमार सरकार को लिखा था उसके मुताबिक़ उन्हें भविष्यवक़्ता बनना था, प्रगति के नए नियम तलाशने थे जिसमें सभ्यताओं की प्रवृति और मानव के विकास का लक्ष्य तय करना था. नेता जी के कथनानुसार इन आदर्शो की पूर्ति एक राष्ट्र के रूप में हो सकती थी, और उसका आरम्भ वे भारत से करना चाहते थे ।

इस अवसर पर चंदा तिवारी, दीपक कुमार, अंकित चौबे, अंकित सिंह, अजय साहनी, सुरजीत यादव  और महेश यादव उपस्थित रहे। सभी ने नेता जी सुभाष चंद्र बोस के जीवन-कृतित्व-और कर्तृत्व का स्मरण कर पुष्पांजलि संग श्रद्धांजलि अर्पित की और आज पराक्रम दिवस को उत्साह के साथ मनाया ।