असहायों की सेवा करना भारतीय संस्कृति की मूल पहचान: विद्यार्थी
दुबहड़ बलिया ।। असहायों एवं निराश्रितों की नि:स्वार्थ भावना से सेवा करना हमारे भारतीय संस्कृति की मूल पहचान है। जरूरतमंदों की सेवा एवं परोपकार करते रहने से स्वार्थ की भावना नष्ट होकर विचार उत्तम होते हैं।
उक्त उद्गार सामाजिक चिंतक बब्बन विद्यार्थी ने शहीद मंगल पांडेय के पैतृक गांव नगवा में रविवार को दर्जनों असहाय एवं निराश्रित महिलाओं में गर्म वुलेन शाल का वितरण करते हुए व्यक्त किया। श्री विद्यार्थी ने कहा कि स्वर्गीय विक्रमादित्य पांडेय शिष्ट व्यक्तित्व के धनी ही नहीं बल्कि एक कुशल लोक सेवक भी थे। उन्होंने अपने जीवन काल में परिचित-अपरिचित सभी जरूरतमंदों की नि:स्वार्थ भाव से सेवा की थी। उनके द्वारा किए गए कार्य एवं नि:स्वार्थ सेवा भावना आज भी प्रासंगिक एवं प्रेरणाप्रद है। जनपद वासियों को स्वर्गीय पांडेय जी की कमी हमेशा खलती है। केके पाठक ने कहा कि बब्बन विद्यार्थी द्वारा सदैव जरूरतमंदों की सेवा करते रहना नेक एवं सराहनीय ही नहीं सामाजिक दृष्टिकोण से प्रशंसनीय है।
इस मौके पर विश्वनाथ पांडेय, उमाशंकर पाठक, श्यामबिहारी सिंह, डॉ सुरेशचंद्र प्रसाद, कृष्ण कुमार पाठक, अजीत पाठक सोनू, संजय जायसवाल आदि मौजूद रहे।