सरकार देखिये अपने सरकारी तंत्र का कमाल : पात्र तंग फटे हाल,अपात्र मालामाल,98 साल का बुजुर्ग चना बेचने को लाचार
ए कुमार
रायबरेली।। पूर्व पीएम राजीव गांधी ने कहा था कि केंद्र सरकार सहायता के रूप में पात्रों तक जो धनराशि भेजती है उसका 90 प्रतिशत बिचौलिये खा जाते है । वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने लाल किले की प्राचीर से स्व राजीव गांधी की उपरोक्त स्वीकारोक्ति को कांग्रेस राज में लूट का खेल बताते हुए कहा था कि अब हमारी सरकार अगर 100 रुपये भेजेगी तो पात्र तक 100 रुपये जरूर पहुंचेंगे । लेकिन रायबरेली के 98 वर्षीय बृद्ध को चना बेचकर दो जून की रोटी जुटाने के प्रयास को देखने के बाद डंके की चोट पर कहा जा सकता है कि आज भी पात्रों के हक पर अपात्रों ने डाका डालने का काम नही छोड़ा है,अगर ऐसा नही होता तो यह बुजुर्ग भी सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित नही होता ।
कहते है कि पापी पेट का सवाल है,ये पापी पेट न उम्र को देखता है न ही मौसम देखता है।पेट की आग और परिवार की वो जिम्मेदारी है जो हर उमर में ये रात की चैन की नीद और सुकून को निगल जाता है। तस्वीरों में 98 वें वर्ष के बुजुर्ग को देखिए। अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए उम्र के इस आखरी पड़ाव में भी होने के बाद भी चने का ठेला लगे रहे हैं।पूरे दिन में चने बिकने से जो कमाई होती है उसी से बुजुर्ग अपने परिवार का खर्च चलाते है। 98 वें वर्षीय बुजुर्ग विजयपाल सिंह उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के हरचंदपुर थाना क्षेत्र के कंडोरा गांव के निवासी हैं और इनके कमजोर कंधों पर परिवार के जिम्मेदारी का बहुत बड़ा दायित्व है।सुबह होते ही बुजुर्ग ठेले पर चना लेकर सड़कों पर बेचने के लिए निकलते हैं।
विजयपाल सिंह बताते हैं कि एक बेटा है वो अपना परिवार लेकर दिल्ली में मजदूरी करता है।जो आमदनी उसकी हो रही अपना खर्च चलाना मुश्किल है।बेटे पर तीन बेटियों की शादी की भी बड़ी जिम्मेदारी है। उसके हिस्से का जो थोड़ा बहुत खेत है उसे भी विजयपाल सिंह खुद देखरेख करते हैं।
विजयपाल सिंह कहते हैं कि इस उमर में ठेला लगा कर हम अपना खर्च किसी तरह निकाल लेते हैं। 22 साल पहले उनके हाथ की उंगली तक कट गई लेकिन उन्होंने हिम्मत नही हारी अभी तक रोज ठेला लेकर निकलते हैं।
घर का हाल ये है कि न ही सरकारी हैंडपंप है और न ही शौचालय। इससे साफ साफ प्रतीत हो रहा है कि सरकार के जिम्मेदार अधिकारियों ने इस बुजुर्ग विजयपाल सिंह की तरफ ध्यान नही दिया है।जिम्मेदार अधिकारी बुजुर्ग विजयपाल सिंह की तरफ ध्यान देना मुनासिब नहीं समझ रहे है।