भोजपुरी में लिखना और रंगकर्म करना उतना ही अच्छा लगता है जितना मां के हाथ का भोजन ,भोजपुरी एकेडमी खोलने की सरकार से मांग
होली खेले महादेव काशी में गंगा जी के तीरे.....
प्रख्यात लोकगायक विजय यादव बागी
वाराणसी ।। अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की बधाइ और शुभकामनाएं देते हुए पूर्वांचल के प्रख्यात लोकगायक अपनी भोजपुरी मातृभाषा पर संगीत की नगरी काशी से दुनिया के सभी भोजपुरी वासियों को बधाई अपने मनमोहक फगुआ गीत के माध्यम से दिए....
होली खेले महादेव, काशी में गंगा जी के तीरे...
ब्रज के दुलारा कान्हा, खेलत तारे संगे संगे।
आगे बताते चलें कि हिंदी और भोजपुरी भाषा नहीं भावों की अभिव्यक्ति है,पूरे विश्व में 6900 भाषाएं बोली जाती है,जिसमें 42.2 करोड़ों लोगों की मातृभाषा हिंदी है,यानी 4.46 फीसदी लोग सिर्फ हिंदी बोलते हैं,अन्य भाषाओं के बीच हिंदी दूसरी भाषा के रूप में लोकप्रिय है,भारत में 1652 भाषाएं बोली जाती है फिलहाल 1365 भाषाएं हैं जिसका क्षेत्रीय आधार अलग-अलग है,
अंतर्राष्ट्रीय भोजपुरी संगम के संयोजक ,पूर्वांचल के भोजपुरी लोककला संरक्षक अरविंद चित्रांश ने कहा कि भोजपुरी सिर्फ एक भाषा नहीं भावों का भंडार है, यह विचार भी है और संस्कार भी,यह मां की रसोई में भी है तो कहानी सम्राट मुंशी प्रेमचंद के होरी के खलिहान में भी, यह तपस्वी गोरखनाथ की योग क्रिया की संप्रेषण शक्ति है, तो महेंद्र मिसिर की पुरबिया तान भी। इसमें भिखारी ठाकुर के विदेसिया की विरह वेदना है, तो कबीर की चेतना का ताना बाना भी है, यह मोती बी. ए के महुआबारी की बहार भी है तो अरविंद चित्रांश द्वारा लिखित और निर्देशित लोकनाट्य "बिटिया की विदाई" में संस्कार गीतों और पारंपरिक लोकधुनों की मर्यादा है,हमें गर्व है कि आज हमारी भोजपुरी मातृभाषा कला साहित्य के माध्यम से हमारे आंगन,खेत खलिहान, कछार, मैदान से निकलकर फिजी, सूरीनाम, मॉरीशस की गलियों में अपनी पहचान बनाई हुई है ।
भोजपुरिया जवान देश-विदेश में जहां भी गये हैं,अपनी माटी की सुगंध, संस्कृति लेकर गये हैं,अब भोजपुरी वस्तुतः विश्वव्यापी हो गयी है ,भोजपुरी का हृदय इतना विशाल और उदार है कि यह तमाम संस्कृतियों को आत्मसात् कर लेती है,झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास द्वारा बतौर मुख्यमंत्री भोजपुरी को द्वितीय राजभाषा का दर्जा देकर इसके प्रचार-प्रसार व विकास में अपना योगदान देकर उत्तर प्रदेश बिहार के लिए एक रास्ता खोल दिए हैं, इसलिए हम सभी पूर्वांचलवासी भोजपुरी अकैडमी उत्तर प्रदेश की मांग सरकार से करते हैं ।