Breaking News

कल की डायन , अब बनी पद्मश्री

 



ए कुमार

नईदिल्ली ।। 25 साल पहले जिस महिला को भरी पंचायत ने डायन घोषित करके उसके साथ मानवता को शर्मसार करने वाला कृत्य किया था, उस पीड़ित ने अपनी जीवटता से न सिर्फ अपने उर के डायन के लांछन को हटाया है बल्कि ऐसी हजारो महिलाओ को भी संगठित करके सामाजिक अत्याचारों से छुटकारा दिलाया है । मोदी सरकार ने इस जीवट महिला के संघर्ष को सलाम करते हुए इस साल पद्मश्री से सम्मानित किया है ।

बता दे कि 1995 में झारखंड के बिरबाँस गांव में तांत्रिक और पंचायत नें एक महिला को डायन घोषित कर दिया था और इसके साथ ही 500 रुपए जुर्माना भी लगाया था  । महिला को लगा जुर्माना चुकाकर वो छूट जाएगी मगर नही,एक सुबह भीड़ ने दरवाजा तोड़ा और ज़बरदस्ती मानव मल पिलाया । 

वो रोती रही, छोड़ने की विनती करते रही  ।गांव वाले उसे कभी भी मार सकते थे इसीलिए एक  रात अपने 4 बच्चों को लेकर  घर से भाग निकली।जिस समाज ने उन्हें डायन घोषित करके मानव मल पिलाया,बलात्कार करने की कोशिश की,उसी समाज मे छुटनी महतो ने डायन का ठप्पा लगी औरतों को संगठित करके उन्हें इससे लड़ना सिखाया। डायन के नाम से समाज का तिरस्कार झेल रही महिलाओं का एक संग़ठन खड़ा करके 25 सालों तक जनजागरण अभियान चलाकर समाज से इस कुप्रथा को ख़त्म किया है । नरेंद्र मोदी सरकार ने इस साल छुटनी महतो के इस संघर्ष को नमन करते हुए उन्हें "पद्म श्री पुरस्कार" से सम्मानित किया है।