आंदोलनों पर संसद में पीएम की टिप्पड़ी अधिनायक वाद की द्योतक : सुशील पांडेय
बलिया। हमारे देश का इतिहास अनेक आन्दोलनों और क्रांति का इतिहास है या यूं कहा जाय कि देश की बुनियाद ही आंदोलन है क्योंकि देश को आज़ादी खैरात में नही मिली ,आन्दोलन से ही मिली है।देश का कोई कोना ऐसा नही होगा जहां किसी न किसी आंदोलनकारी क्रांतिकारी का स्मारक न हो जिसमें से कुछ आंदोलन सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ भी हुए है तो कुछ राज सत्ता के खिलाफ । जैसे सती प्रथा के खिलाफ श्रद्धेय राजा राम मोहन राय के नेतृत्व में आन्दोलन, विनोबा भावे का भूदान आंदोलन ,राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया नील आंदोलन, 1942 का अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन,बारदोली आंदोलन, लोकनायक जय प्रकाश नारायण के आह्वाहन पर सम्पूर्ण क्रांति आन्दोलन, अंग्रेजी हटाओ आंदोलन,जाति तोड़ो आंदोलन,असम का छात्र आंदोलन इन सभी आंदोलनों से भरा भारत का इतिहास और उसी भारत मे देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठ कर देश की आत्मा संसद में कोई व्यक्ति आंदोलन और आंदोलनकरियो का मजाक उड़ाए यह उसके अंदर का अहंकार दर्शाता है, यह अधिनायक वाद का परिचायक है।
उक्त बातें समाजवादी पार्टी के जिले के प्रवक्ता सुशील पाण्डेय"कान्हजी"ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कही प्रेस विज्ञप्ति में उन्होंने कहा कि वैसे तो उतने उचे और संवैधानिक पद पर आसीन ब्यक्ति (प्रधानमंत्री जी)के बयान पर मुझे कुछ कहना उचित नही है लेकिन देश का एक नागरिक होने के नाते जब देश के आंदोलनों और उसे खड़ा करने वाले क्रांतिकारियों का मजाक उड़ाया जाने लगे तो उस समय चुप बैठना भी राष्ट्र द्रोह है । देश की संसद में आंदोलनकारियों के लिए अशोभनीय शब्द का इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति को किसी बड़े शहीद स्मारक पर जा कर देश के लोगो से ,शहीदों के परिवार से एवं क्रांतिकारियों के स्मृतियों से माफी मांगनी चाहिए,अन्यथा इतिहास कभी माफ नही करेगा।
कान्हजी ने कहा कि किसी भी आंदोलन से निकला व्यक्ति आंदोलन के सम्बंध में इस भाषा का इस्तेमाल नही कर सकता है जो ताल तिगड़म से सत्ता में आएगा उसका नजरिया यही होगा।इनके विचारधारा के लोगो का आज़ादी के आंदोलन से भी दूर-दूर तक वास्ता नही रहा था तो उनसे इससे अधिक उम्मीद भी नही की जानी चाहिए।कहा कि ऐसे लोग जिस तेजी से आते ही उसके कई गुना तेजी से वापस भी जाते है और वही इनके साथ होने जा रहा है। इस क्रांति को लिखने वाला देश का किसान है तो निश्चित ही इसका परिणाम सुनहरा होगा और देश से अधिनायकवाद का खात्मा होगा।