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भारत का बजा दुनिया मे डंका : कोविड शील्ड को who ने दी अंतर्राष्ट्रीय आपात इस्तेमाल की अनुमति

 


जिनेवा: भारत में बनी कोरोना वैक्सीन कोविड शील्ड का दुनिया मे डंका बज गया है । अब who इसको अधिक से अधिक गरीब देशों में नागरिकों को लगाने के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आपात कालीन इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है जो भारतीय वैज्ञानिकों के लिये एक बहुत बड़ी उपलब्धि है ।

बता दे कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के द्वारा पिछले महीने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को देश में आपात इस्तेमाल को मंजूरी देने के बाद से भारत सरकार ने 16 जनवरी से टीकाकरण अभियान की शुरुआत की थी । इस अभियान के शुरू होने के बाद देशभर में 15 फरवरी तक 85 लाख 16 हजार 385  लोगों को कोरोना का टीका (Corona Vaccine) लगाया जा चुका है ।


भारत में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute Of India) द्वारा बनने वाली कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड (Covishield) का इस्तेमाल अब दुनियाभर में होगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका (Oxford-AstraZeneca) द्वारा विकसित की गई दो कोविड-19 वैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी है. इसमें सीरम इंस्टिट्यूट की वैक्सीन के अलावा दक्षिण कोरिया की एस्ट्राजेनेका-एसकेबायो की वैक्सीन है ।

डब्ल्यूएचओ (WHO की सलाह वैक्सीन उत्पादन में लायी जाय तेजी

डब्ल्यूएचओ (WHO) ने सोमवार को जारी बयान में बताया, 'ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजेनेका की वैक्सीन के दो संस्करणों को आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी गई है ताकि दुनिया भर में कोवैक्स के तहत टीकाकरण (Corona Vaccination) को आगे बढ़ाया जा सके.' इसके साथ ही डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस एडहानॉम कहा है कि हमें वैक्सीन के उत्पादन में तेजी लानी चाहिए ।

सूच्य हो कि डब्ल्यूएचओ (WHO) ने पिछले साल दिसंबर में ही फाइजर (Pfizer) की कोरोना वैक्सीन को आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी थी. बता दें कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका (Oxford-AstraZeneca) की कोरोना वैक्सीन फाइजर की वैक्सीन के मुकाबले काफी सस्ती है ।

गरीब देशों में भी तेज हो जायेगा कोवैक्स प्रोग्राम : who

डब्ल्यूएचओ (WHO) ने अपने बयान में कहा, 'ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजेनेका की इन दो कोरोना वैक्सीन को मंजूरी दिए जाने के बाद दुनियाभर के कई देशों में कोवैक्स प्रोग्राम के तहत टीका लगाने का काम तेज हो जाएगा. इसके बाद दुनिया के जिन देशों में अभी तक वैक्सीन नहीं मिल पाई थी, वहां पर अब कोरोना के टीकाकरण की शुरुआत की जा सकेगी. बता दें कि कोवैक्स प्रोग्राम के तरह डब्ल्यूएचओ द्वारा दुनियाभर के गरीब देशों में कोरोना वैक्सीन पहुंचाने की कोशिश करती है ।

(साभार)