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धैर्य और आत्मविश्वास से कोरोना को दी मात - डॉ०सिद्धार्थ




न घबराएँ, न डरें, सकारात्मक सोच से ही दूर होगा कोरोना 

 होम आइसोलेशन के दौरान ऑक्सीज़न सेचुरेशन पर रखी नजर 

होम आइसोलेशन में भी टेलीमेडिसिन के जरिये देते रहे परामर्श


बलिया ।। कोरोना के प्रति डर को मन से निकाल दिया जाए , समय-समय पर जांच की जाए, समाज का बर्ताव ठीक हो और इसके साथ ही धैर्य व आत्मविश्वास हो तो कठिन परिस्थितियों में भी इस बीमारी को मात दी जा सकती है। यह कहना है जिला महिला अस्पताल स्थित प्रसवोत्तर केंद्र में कार्यरत वरिष्ठ नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सिद्धार्थ मणि दुबे का । 

 डॉ. दुबे ने कहा – “ कोरोना से जंग जीत कर दोबारा  काम पर लौट आया हूं। कोरोना होने और इसके खिलाफ जीत की कहानी लंबी तो है, लेकिन कोरोना को हराना मुश्किल नहीं है। यह बीमारी हमेशा जानलेवा नहीं होती। धैर्य और आत्मविश्वास के अलावा  कुछ एहतियात और सावधानियों के साथ इस पर जीत हासिल की जा सकती है”। वर्तमान में डॉ० दुबे इंटीग्रेटेड कोविड कमांड एवं कंट्रोल सेंटर में होम आइसोलेशन टीम को चिकित्सकीय परामर्श देने में सहयोग कर रहे हैं।

डॉ. दुबे ने बताया - बीते 16 अप्रैल को मरीज देखने के बाद  महसूस हुआ कि अचानक स्वाद की अनुभूति खत्म हो गई है । बार-बार छींक आ रही थी, लेकिन बुखार नहीं था। 17 अप्रैल को  अस्वस्थता महसूस हुई और साथ ही हल्का बुखार (99 डिग्री फॉरेनहाइट) भी था। अगले दिन यानी 18 अप्रैल को  कमजोरी महसूस होने लगी और बुखार 100 से 101 डिग्री तक पहुंच गया । उसके बाद  जांच कराई तो  कोरोना पॉज़िटिव था, लेकिन न तो  डरा और न ही घबराया । उसके बाद  होम आइसोलेशन में रहकर उपचार शुरू किया । विगत एक  मई को पुनः जांच कराई तो इस बार भी  रिपोर्ट पॉज़िटिव थी । इसके बाद  पत्नी और पिता जी की जांच कराई तो उनकी रिपोर्ट भी पॉज़िटिव निकली । 10 दिन से अधिक अपना और परिजनों का घर पर ही इलाज किया । 13 मई को  मेरी, पिताजी और पत्नी प्रिया की रिपोर्ट निगेटिव आई तो मन को थोड़ी राहत मिली । 

डॉ दुबे ने बताया कि होम आईसोलेशन के दौरान घर में हम तीनों लोगो के लिए अलग-अलग कमरे की व्यवस्था थी। साथ ही पल्स ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर, भाप लेने की मशीन आदि सभी की अलग-अलग व्यवस्था थी । सुबह की शुरुआत योग एवं प्राणायाम से होती थी। दोनों समय भाप लेना, काढ़ा पीना, गर्म पानी से गरारे  करना, मेडिकल किट की दवाओं का सेवन करना, ऑक्सीजन का स्तर जांचते रहना,पौष्टिक खानपान का सेवन करना एवं सकारात्मक भाव रखने वाली कहानियां एवं चर्चाएं साथ करना। तीनो लोगो की दिनचर्या थी। पूरी दिनचर्या के दौरान 2 गज की दूरी, मास्क का उपयोग एवं समय-समय पर साबुन और पानी से हाथ धोते रहने का ध्यान हमेशा रखते थे।होम आइसोलेशन के दौरान भी डॉ० दुबे ने टेलीमेडिसिन सेवा के जरिये बच्चों के इलाज में निरंतर परामर्श देते रहे । 14 मई को वह पूरी तरह स्वस्थ हो गए और  न तो बुखार था,  न ही कमजोरी ।  डॉ. दुबे ने कहा – “ लोगों को यही सलाह दूंगा कि कोरोना पॉज़िटिव होने की स्थिति में डरें नहीं । कोरोना हमेशा जानलेवा नहीं होता। संक्रमण के बाद ठीक होने तक मसालेदार भोजन की जगह ऊर्जा से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन किया। इससे मुझे कमजोरी पर शीघ्र काबू पाने में सहायता मिली”। 

उनका कहना है कि होम आइसोलेशन एक अच्छा विकल्प है, लेकिन इसमें सतर्कता अवश्य बरतनी चाहिए। अगर किसी को होम आइसोलेशन के दौरान सांस लेने में दिक्कत हो, ऑक्सीज़न लेवल 94 से नीचे हो तो सतर्क हो जाएँ , तुरंत चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए और अस्पताल में भर्ती होने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यद्यपि वह ड्यूटी के दौरान पूरी सतर्कता रखते हैं, लेकिन कहीं न कहीं कोई चूक हुई होगी, तभी वह संक्रमण की चपेट में आए। इसलिए सभी लोगों को चाहिए कि वह दो गज की दूरी, ट्रिपल लेयर के दोहरे मास्क के इस्तेमाल और हाथों की स्वच्छता के नियमों का पालन गंभीरता से करें । हम जिन हालात में काम कर रहे हैं, उनमें तमाम सावधानियों के बावजूद कभी भी किसी को भी संक्रमण हो सकता है, लेकिन इससे हारने और डरने की बजाय आत्मविश्वास बनाए रखें। सभी एहतियाती उपायों का पालन करते रहें । आखिर में जीत तय है।