सरकारी दावा : नरही में एक भी नही मरे कोरोना से,सरकारी दावों की खुली पोल
मधुसूदन सिंह
बलिया ।। फेफना विधान सभा के सोहांव ग्राम सभा के एक मजरे में मौत के तांडव वाली खबर की तपिश अभी ठंडी भी नही हुई थी कि इसी विधान सभा के नरही गांव में कोरोना से मृत व्यक्तियों के परिजनों ने सरकारी दावों की पोल खोल कर रख दी है । इन लोगो की माने तो इस गांव में भी दो दर्जन से अधिक लोगो की मौत कोरोना से हुई है । लेकिन सरकारी दावों में इस गांव में कोरोना से एक भी मौत नही हुई है । एक तरफ कैमरे पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नरही पर तैनात बीपीएम धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि इस गांव में 109 लोग पॉजिटिव पाये गये थे जिनमें से मात्र 14 अभी एक्टिव है शेष स्वस्थ हो गये है और किसी भी नरही के मरीज की मौत नही हुई है । तो वही इसके उलट संगिनी अनामिका राय का कहना है कि इस गांव में 15-20 लोग कोरोना या इससे मिलते जुलते लक्षणों के चलते तो मरे ही है । वही जो मरीज सरकारी जांच में पॉजिटिव पाया गया हो,उसकी मौत हो गयी हो,बावजूद अगर सरकारी रिकार्ड में एक भी मौत न हो तो क्या कहेंगे ? क्या यह आंकड़ो की बाजीगरी के द्वारा कोरोना मुक्त करने की बलिया के स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की नही है ?
माननीय मुख्यमंत्री जी आप प्रदेश से कोरोना को मुक्त करने के लिये दिन रात एक किये हुए है,आपका ही प्रयास है कि इसके संक्रमण में लगातार कमी आ रही है । लेकिन आपको बलिया जिले में किस तरह यहां के जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग लोगो के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहा है,इसको भी संज्ञान में लेना चाहिये । जब एक मंत्री के समर्थकों के गढ़ में बलिया का स्वास्थ्य विभाग इतनी बड़ी लापरवाही कर रहा है तो अन्य क्षेत्रों की क्या स्थिति है आप स्वयं अनुमान लगा लीजिये ।
कोरोना संक्रमितों के मौत को लेकर जहां सियात में बयान- बाजी का दौर चल रहा है । जहाँ विपक्षी पार्टियां केंद्र और प्रदेश सरकार पर एक के बाद एक हमला कर रही है । वही नरही थाना अंतर्गत नरही गांव का एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है । दरअसल मामला कोरोना संक्रमितों के मौत से जुड़ा है जिनके आंकड़े स्वाथ्य विभगा में नही होने का दावा सामने आया है।ग्राउंड रिपोर्ट से बनी इस खबर को दिखाने और बताने से पहले आप को साफ तौर पर बताते चले कि गांव में कोविड से कितनी मौते हुई इसकी पुष्टि हम नही कर रहे है,हम यहां के ग्रामीणों के बयान के आधार पर कह रहे है। ग्रामीणों के बयान के मुताबिक इस गांव में 2 दर्जन के आस पास कोविड से लोगो की मौते हुई है । लेकिन बात अगर सामुदायिक स्वस्थ्य केंद्र नरही की करे तो यहां दो तरह का जवाब सामने आया । जहां एक तरफ सीएचसी नरही पर तैनात बीपीएम की माने तो नरही गांव में 109 लोगो की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है जिनमे से ज्यादे स्वस्थ हो चुके है और कुछ लगभग 14 अभी एक्टिव है वही बात संक्रमितों के मौत की करे तो जवाब हैरान करने वाला मिला । बीपीएम द्वारा नरही गांव में में किसी की भी कोविड मरीज की मौत से इनकार किया गया । यानी गांव में किसी की भी कोविड से मौत हुई ही नही। वही दूसरा जवाब नरही सीएचसी पर तैनात आशा संगनी अनामिका राय के तरफ से मिला जिन्हें गांव में कोविड के तहत मरीज़ो का हाल-चाल लेने से लेकर उनको दवाएं तक मुहैया कराने का काम किया है । श्रीमती राय द्वारा बताया गया कि गांव में लगभग 110 से ऊपर कोविड के मरीज मिले है । वही मृतको के मामले में कहा कि इसकी पूरी जानकारी नही है लेकिन लगभग 15 से 20 ऐसे लोगो की मौत हुई है जिनकी इम्युनिटी पावर कम रही है या पूर्व से किसी अन्य बीमारी से ग्रसित रहे है। अब सवाल ये उठता है कि गांव में कोरोना से किसी एक की मौत हुई हो या उससे अधिक मौते हुई हो ,ऐसे किसी भी संक्रमित के मौत की जानकारी स्वाथ्य विभाग के पास क्यों नही है। जीरो ग्राउंड की रिपोर्ट से ये बात निकल कर सामने आयी कि गांव में कोविड से मौत की बात ग्रामीण कर तो रहे लेकिन स्वास्थ्य विभाग के पास इसका कोई अकड़ा मौजूद नही है।यहाँ तक कि ग्रामीणों का प्रशासन पर आरोप है कि न तो गांव में दवाओ का छिड़काव कराया गया ,न ही किसी प्रकार की सुविधा दी गयी। यहां तक कि कांटेक्ट ट्रेसिंग का कार्य भी गांव में होता नही दिखाई दिया और न ही शासन-प्रशासन ने इस गांव की कोई सुध ली तो फिर आखिर कहा गए वो मौत के आकड़े जिनका ग्रामीण जिक्र कर रहे है। क्या प्रशासन कोविड से मरने वालों की सही जानकारी छुपाने का प्रयास कर रहा है? या इन आकड़ो के पीछे कोई राज छुपा है? या फिर भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गयी नरही गांव में कोविड से मारने वाली संख्या? लगातार नदी में मिलने वाले अज्ञात शव चीख रहे थे कुछ तो है जो बाकी रह गया। इन सबके के पीछे वजह क्या है ये तो जांच के बाद ही पता चलेगा । अगर गांव में कोविड से मौत हुई है तो फिर जांच के साथ ही सरकार को ऐसे मामलों पर भी अलर्ट रहने की जरूरत है ताकि आम जनता को उनका हक मिल सके। जिन्होने अपनो को खोया है वो वापस लौट के आ तो नही सकते लेकिन सरकार को जिन उम्मीदों के लिए वोट दिया उस अधिकार के लिए सरकार के तरफ टकटकी जरूर लगा सकते है।
सरकारी धन की लूट में लगा है स्वास्थ्य विभाग,जनता का स्वास्थ्य राम भरोसे
वर्तमान समय मे यहां के स्वास्थ्य विभाग के आलाधिकारी सरकारी धन की लूट में लगे हुए है । इसका प्रमाण जिलाधिकारी द्वारा करायी गयी जांच है जिसमे आर्डर किसी कम्पनी का और सामान किसी लोकल कम्पनी का पाया गया ।इस जांच के बाद हुई कार्यवाही भी कम हैरान करने वाली नही है । इसके लिये मात्र स्टोरकीपर को जिम्मेदार ठहराते हुए निलंबित कर के जांच की इतिश्री कर ली गयी है । जबकि आर्डर करने के लिये प्रभारी अधिकारी व भुगतान करने के लिये सीएमओ जिम्मेदार है । इन दोनों लोगो की ही ऐसे घोटालो में बड़ी संलिप्तता होती है ,बावजूद इसके प्रभारी अधिकारी व सीएमओ के खिलाफ कार्यवाही न होना,दाल में काला है,की तरफ इशारा कर रहा है । जो सीएमओ कोरोना जांच व इलाज में लगे चिकित्सको को कोरोना से बचाव के लिये असली एन95 मास्क,ग्लब्स,पीपीई किट,सेनिटाइजर तक न दे पाता हो,उससे जनपद के लोगो के स्वास्थ्य को ठीक रखने की अपेक्षा करनी ही बेमानी होगी ।या यूं कहें कि बलिया की जनता का स्वास्थ्य राम भरोसे ही ठीक है ।
बाईट-ग्रामीण कट टू कट
बाईट - धर्मेंद्र सिंह ब्लाक कार्यक्रम प्रबन्धक और आशा संगिनी अनामिका राय