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सिर्फ स्टोरकीपर पर ही क्यो कार्यवाही,सम्बन्धित सभी अधिकारियों व सीएमओ पर क्यो नही : सुरेंद्र सिंह

  


मधुसूदन सिंह

बलिया ।। स्वास्थ्य विभाग के केंद्रीय भंडार गृह में निम्न गुणवत्ता की दवाओं और मास्क,सेनिटाइजर,ग्लब्स और अन्य कोरोना की जांच में प्रयुक्त होने वाले सामानों खराब गुणवत्ता जांच में पाये जाने पर मात्र स्टोरकीपर पर ही कार्यवाही होने पर बैरिया विधायक सुरेंद्र सिंह ने सवाल खड़ा किया है । कहा कि स्टोरकीपर रखता है,खरीदता तो कोई अधिकारी है और अनुमोदन सीएमओ देता है । ऐसे में जिलाधिकारी की जांच में गड़बड़ी पाये जाने के बाद ऐसे सभी संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही न होना, दाल में काला होने की तरफ इशारा करता है । कहा कि आपदा के समय स्वास्थ्य कर्मियों की जान को निजी लाभ के लिये खतरे में डालने वाले इन अधिकारियों को कफ़न चोर और राक्षस कहा जाय,तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी । कहा कि मेरी मांग है कि इस प्रकरण में सिर्फ स्टोरकीपर ही नही उन सभी कर्मचारियों अधिकारियों पर कार्यवाही होनी चाहिये जो इस प्रकरण में संलिप्त है ।

बता दे कि कर्मचारी नेता सुशील कुमार त्रिपाठी द्वारा सीएमओ बलिया से कोरोना जांच में लगे लगभग 150 चिकित्सको कर्मचारियों को सुरक्षा के लिये मिल रहे मास्क ग्लब्स सेनिटाइजर आदि सामानों की गुणवत्ता को निम्न कोटि का बताते हुए शिकायत की गई थी और बताया गया था कि इन्ही सामानों की देन है कि जांच टीम के सदस्य संक्रमित होते जा रहे है । जब सीएमओ बलिया ने कोई कार्यवाही नही कि तो श्री त्रिपाठी ने जिलाधिकारी व आयुक्त आजमगढ़ से इसकी शिकायत की ,जिस पर जिलाधिकारी बलिया द्वारा जांच करायी गयी ।


 स्वास्थ्य विभाग के भंडार गृह में निम्न गुणवत्ता की दवाएं/सामान होने की शिकायत मिलने के बाद जिलाधिकारी अदिति सिंह के निर्देश पर मुख्य विकास अधिकारी प्रवीण वर्मा द्वारा पांच सदस्यीय टीम का गठन कर जांच कराई गई। जांच में अनियमितता मिलने पर जिलाधिकारी ने दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों एवं ठेकेदारों पर कार्रवाई करने का निर्देश सीएमओ को दिया है।

कोविड-19 नियंत्रण से सम्बन्धित आवश्यक सामग्री जैसे मास्क, सेनेटाइजर, थ्री लेयर मास्क, ग्लब्स, संक्रमित मरीजों की दवा किट आदि के सम्बन्ध में यह शिकायत मिली थी कि उच्चाधिकारियों के समक्ष अच्छे गुणवत्ता की उपरोक्त सामग्री प्रस्तुत की जाती है एवं सीएचसी-पीएचसी व अन्य स्तर पर निम्न स्तर की सामग्री भेजी जाती है। इसको गंभीरता से लेते हुए जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया, जिसमें डिप्टी कलेक्टर सीमा पांडेय, पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी राजीव यादव, ड्रग इंस्पेक्टर मोहित कुमार दीप, सहायक अभियंता लघु सिंचाई श्याम सुंदर यादव व शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅ सिद्धार्थमणि दूबे थे।  

जांच कमेटी द्वारा 17.05.2021 को प्रातः 10 बजे भंडार गृह एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का स्थलीय निरीक्षण किया गया, जिसमें यह पाया गया कि स्टाॅक रजिस्टर पर 4 मई तक ही अंकन किया गया है। निरीक्षण के दौरान स्टाॅक पंजिका पर चार प्रकार के सेनेटाइजर-वेस्ट केयर, माई बाॅडी केयर, यू-मेड कम्पनी तथा तीन प्रकार के मास्क, हैंड ग्लब्स (एक मेडीशील्ड कम्पनी का व एक बिना ब्राण्ड का) एवं तापमापी यंत्र (एम्प्रोव सिंगल प्वाइंट लेजर कम्पनी) का अंकन पाया गया। जबकि, स्थलीय सत्यापन के दौरान मौके पर स्वीस हर्बल हैंड सेनेटाइजर, कोरोफे सेफ प्लस हैंड सेनेटाइजर व इची साइन कम्पनी के हैंड सेनेटाइजर 100 एमएल के पाए गए। सर्जिकल मास्क की भी गुणवत्ता ठीक नहीं पाई गई। हैंड ग्लब्स दो प्रकार के मिले, जिसमें एक मेडीशील्ड का, जबकि दूसरा बिना ब्राण्ड का मिला। तापमापी यंत्र भी स्टाॅक पंजिका से इतर इन्फ्रा इंडिया, माइक्रोटेक, आईक्यूरा कम्पनी का पाया गया। उक्त के सम्बन्ध में जेम पोर्टल से क्रय के सापेक्ष इतर सामग्री मौके पर पाए जाने पर भण्डार लिपिक द्वारा कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया।

जांच समिति द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दुबहड़ का स्थलीय निरीक्षण करने पर पाया गया कि वहां पर अत्यंत निम्न गुणवत्ता का मास्क तथा कोरोफे सेफ प्लस ब्राण्ड का सेनेटाइजर 120 एमएल का पाया गया। इस प्रकार जांच समिति द्वारा स्थलीय जांच में शिकायत प्रथमदृष्टया सही पाई गई कि जेम पोर्टल से क्रय सामग्री एवं स्थलीय जांच में पाई गई सामग्री से इतर तथा क्रय आदेश एवं भंडार पंजिका पर अंकन के विपरीत दूसरे कम्पनी की एवं निम्न गुणवत्ता की जांच सामग्री पाई गई।

इस पर जिलाधिकारी ने सीएमओ को निर्देश दिया कि जांच में दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों एवं ठेकेदारों पर कठोर कारवाई करते हुए रिकवरी की कार्यवाही सुनिश्चित कराएं। जिलाधिकारी की ओर से मिले निर्देश के बाद सीएमओ डाॅ राजेंद्र प्रसाद ने स्टोर कीपर पारसनाथ राम को सीएमओ कार्यालय से सम्बद्ध करते हुए ड्रग वेयर हाउस में तैनात फार्माशिस्ट अशोक कुमार सिंह को भंडार गृह के स्टोर कीपर का चार्ज दे दिया है। इसके साथ ही स्टोर कीपर के खिलाफ कार्रवाई के लिए निदेशक (प्रशासन), चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा, लखनऊ को पत्र भेज दिया गया है।

बहुत दिनों से चल रहा था गोरखधंधा

स्वास्थ्य विभाग बलिया के केंद्रीय भंडार में दवाओं व अन्य उपकरणों की खरीद में बहुत पहले से गोरखधंधा चल रहा था । यही कारण था कि इस स्टोर में बहुत दिनों से चीफ फार्मासिस्ट की पोस्टिंग ही नही की गई और स्टोरकीपर से ही चीफ फार्मासिस्ट का भी काम लिया जाता रहा है । जिस जेम पोर्टल के माध्यम से यह सारा गड़बड़ घोटाला किया गया है,उसके माध्यम से ऑर्डर देने के लिये दो पासवर्ड होता है । एक पासवर्ड चीफ फार्मासिस्ट के नाम से बनता है और दूसरा स्टोर प्रभारी अधिकारी के नाम से । यहां घोटाला करने के लिये मात्र प्रभारी अधिकारी के ही नाम से पासवर्ड बना हुआ है और इसी से ऑर्डर जेनरेट और एप्रूव भी किया जाता है । बिल का भुगतान सीएमओ के द्वारा किये जाते है ।

 प्रभारी अधिकारी की पत्नी का कोरोना से संक्रमित होने के बाद इलाज कराने और मौत के बाद अंतिम संस्कार आदि में व्यस्तता के कारण इनके पासवर्ड का भरपूर दुरुपयोग हुआ होगा,इससे इनकार नही किया जा सकता है । इसी स्टोर से तत्कालीन जॉइंट मजिस्ट्रेट अन्नपूर्णा गर्ग ने जांच के बाद लगभग 2 करोड़ के सामानों को मानक विहीन व बिल में दर्शाये गये मानक के विपरीत होने पर वापस कराया गया था । इसमे बड़ी आलमारी बिल में दर्शाकर छोटी आलमारी मंगाई गई थी,टेबल कुर्सी आदि भी घटिया क्वालिटी के मंगाये गये थे,जबकि बिल स्टैंडर्ड क्वालिटी का था ।

इस जांच के बाद भी सीएमओ बलिया द्वारा चीफ फार्मासिस्ट की जगह फार्मासिस्ट की नियुक्ति करना,कई सवाल खड़ा कर रहा है । सूत्रों की माने तो स्वास्थ्य विभाग के निदेशालय से सेवानिवृत्त एक यूडीसी की लखनऊ में स्थित कम्पनी यहां के गोरखधंधे में संलिप्त है । ऐसे में यहां के इस घोटाले की सीबीआई से जांच कराई जानी चाहिये क्योंकि यह घोटाला छोटा मोटा नही है बल्कि कई करोड़ो का निकलेगा ।