मुख्यमंत्री जी बलिया शहर का हवाई सर्वेक्षण कर लीजिये,आमजन की पीड़ा से हो जाएंगे आप दो चार
कटहर नाला पुल के दोनों तरफ गंदगी को छुपाने के लिये लगाये गए करकट
मधुसूदन सिंह
बलिया ।। वैसे तो कल जब मुख्यमंत्री जी बलिया आएंगे ,अस्पताल का निरीक्षण करेंगे,वार्ड एवं ग्राम निगरानी समितियों से वार्ता करेंगे,प्रशासन द्वारा कमियों को दुरुस्त करके पहले से चिन्हित किसी गांव का भ्रमण भी करेंगे और सबकुछ ठीक ठाक मिलेगा । माननीय मुख्यमंत्री जी को वह सब /उन समस्याओं को अधिकारी देखने ही नही देंगे जो आमजन को परेशान कर रही है । जैसे --
गेहूं क्रय केंद्रों पर ऑनलाइन डेट मिलने के बाद भी किसान अपने गेहूं को 15 दिनों से ट्रैक्टर पर लाद कर अपनी बारी का इंतजार कर रहे है और इनकी ट्राली के टायर की हवा भी निकल गयी है । आखिर सरकार की मंशा को लागू करने में जिला प्रशासन क्यो लापरवाही बरत रहा है ।
पिछले 3 सालों से बलिया शहर के लिये बरसात बाढ़ जैसी विभीषिका लेकर आती है । शहर के कई मुहल्ले अभी तीन दिन की बरसात में ही जलमग्न होने लगे है । नालियां कूडो से भरी है,पानी की निकासी नही है,जिला मुख्यालय होने पर भी प्रशासनिक अधिकारी ऐसे सोये है जैसे शहर में कोई समस्या है ही नही । शहर को नरक बना देने,नगर पालिका में भ्रष्टाचार का प्रामाणिक खेल खेलने के बावजूद लगभग 30 भ्रष्टाचार की जांचों का सामना कर रहे अधिशाषी अधिकारी दिनेश विश्वकर्मा के खिलाफ प्रशासनिक अधिकारी क्यो चुप्पी साधे हुए है यह चर्चा का विषय बना हुआ है ।
कोरोना की इस महामारी में कोरोना वॉरियर्स को कोरोना से लड़ने के लिये उपकरणों की खरीद में जबरदस्त घोटाला हुआ,जांच में प्रमाणित भी हुआ फिर भी मात्र स्टोरकीपर को निलंबित करके इतिश्री कर ली गयी । जिला स्वास्थ्य समिति की अध्यक्ष जिलाधिकारी भी लंबी चुप्पी साध ली है । सवाल यह उठता है कि क्या स्टोरकीपर ही एक मात्र घोटाले का जिम्मेदार है ? सामान आने के बाद बिल को सत्यापित करने वाला और बिल का भुगतान करने वाले अधिकारी निर्दोष है ? या यह समझा जाय कि स्टोर कीपर ही सत्यापन व भुगतान करने के लिये भी अधिकृत है ,अगर नही तो अधिकारियों पर कब कार्यवाही होगी ।
चाहे जिलाधिकारी हो,पुलिस अधीक्षक हो या अन्य कोई जिला स्तरीय अधिकारी है सब के लिये एक कार्यालय है । ये लोग कार्यालय अवधि में आमजन की समस्याओं को दूर करने के लिये बैठते है । कार्यालय अवधि के बाद अपने आवास से भी जरूरी सरकारी कार्यो का निष्पादन करते है । लेकिन बलिया के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ राजेन्द्र प्रसाद ऐसे जिला स्तरीय अधिकारी है जो अपने कार्यालय को आवास पर ही संचालित कर रहे है । इनसे सम्बंधित दो चार बाबू बंगले पर रहते है और ये वही से सरकारी कार्यो का तो निष्पादन कर ले रहे है लेकिन जनता जनार्दन जो सीएमओ कार्यालय पहुंचती है,मुंह लटकाये वापस चली जाती है । इससे जनता के बीच सरकार के इकबाल की गलत तस्वीर उभर रही है ।
पहले कोरोना काल मे जिलाधिकारी बलिया रहे श्रीहरि प्रताप शाही जहां जनता से सीधे संपर्क में रहते थे तो वही मीडिया को अपने हर कदम पर साथ रखते थे । यही कारण था कि जब पहली लहर के लॉक डाउन में चारो तरफ जनमानस में हाहाकार मचा था,बलिया के डीएम एक सच्चे अभिभावक के रूप में जनता के बीच रहकर न सिर्फ लोगो को रोजगार दिलाया बल्कि कोरोना के प्रति लोगो को जागरूक भी किया । उनका साथ दो नये आईएएस दम्पति ने खूब निभाया । एक नए जहां लोगो के इलाज,बाहर से आने वाले के लिये अधिक से अधिक कोविड अस्पतालों को शुरू कराया तो पत्नी ने महिलाओ के बीच स्वयं सहायता समूहों को जागृत करके स्वावलंबी बनाया था।
लेकिन मात्र 3 आईएएस अधिकारियों तत्कालीन जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही,सीडीओ डॉ विपिन जैन व इनकी पत्नी तत्कालीन जॉइंट मजिस्ट्रेट मजिस्ट्रेट वर्तमान में सीडीओ अन्नपूर्णा गर्ग के बलिया से जाने के बाद बाकी पुराने अधिकारियों के होने के बावजूद कोरोना की दूसरी लहर में सब कुछ खिंच खाँच के ही चला ।
सबसे बड़ी बात प्रशासनिक अधिकारियों का मीडिया से दूरी बनाना है । वर्तमान जिलाधिकारी तो मीडिया से संपर्क करना भी मुनासिब नही समझती है । ऐसे में शासन की मंशा के अनुरूप जनमानस के कल्याण वाली योजनाओं को मीडिया के माध्यम से जिस स्तर तक प्रचार प्रसार होना चाहिये, वो हो नही पा रहा है । इस व्यवस्था को सुव्यवस्थित करना जरूरी है ।
अगर मुख्यमंत्री जी वास्तविक तौर पर समस्याओं से आप अवगत होना चाहते है तो मेरी आप से विनती है कि अपने हेलीकॉप्टर से ही शहर का चक्कर लगाकर निरीक्षण कर लीजिये,जनता के दुःख दर्द को स्वतः आप जान जाएंगे ।
तैयारियों को जरा देखिये जो कमियों को छुपाने के लिये हो रही है