संचारी रोग नियंत्रण अभियान को अधिक प्रभावी बनाने में जुटा स्वास्थ्य विभाग,लोगों को किया जा रहा जागरूक
- मच्छर पनपने वाले स्रोतों का हो रहा निस्तारण
बलिया ।। जिले में संचालित संचारी रोग नियंत्रण अभियान के तहत जलजमाव वाले स्थलों और नालियों में कीटनाशक दवा का छिड़काव और मच्छरों के लार्वा को खत्म करने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है।अभियान के दौरान जापानी इंसेफेलाइटिस के वाहक सूअर बाड़ों को चिन्हित कर आबादी से दूर किया जा रहा है। यह जानकारी कार्यवाहक जिला मलेरिया अधिकारी डॉ0 नीलोत्पल कुमार ने दी।
डॉ0 नीलोत्पल ने बताया कि रोस्टर बना कर नगर पालिका के सहयोग से अभी तक शहरी क्षेत्र में अंबेडकरनगर जगदीशपुर/ बनकटा, काजीपुर हरिजन बस्ती/ विजयीपुर, अमृत पाली/मिड्ढी, हरपुर/ ओकडेन गंज, जपालिनगंज बालेश्वरमंदिर/ भृगुआश्रम,विशुनीपुर/कलेक्ट्रेट कॉलोनी, रामपुर उदयभान/ राजपूत नेवरी, टैगोर नगर/भृगु आश्रम, शास्त्री नगर ,जगदीशपुर, विजयीपुर, राजेंद्र नगर ,कदम चौराहा/ विशुनीपुर,चमन सिंह बाग रोड में छिड़काव का कार्य सम्पन्न हो चुका है। शेष वार्डों में छिड़काव का कार्य हो रहा है। इसके साथ ही स्वास्थ्य जागरूकता के लिए टीम द्वारा प्रचार सामग्री जैसे पोस्टर, हैंडबिल आदि के माध्यम से प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है।
डॉ0 नीलोत्पल ने बताया कि यह अभियान 1 जुलाई से 31 जुलाई तक चलाया जा रहा है। अभियान के तहत लगभग 3400 लोगों को जागरूक किया जा चुका है। वहीं अभी तक 490 जल जमाव वाले पात्रों (कूलर, फ्रीज़, गमले, मिट्टी पात्र, टायर आदि) में एकत्रित जल का निस्तारण किया जा चुका है। अभियान के तहत अभी तक बुखार पीड़ितों की मलेरिया जांच के लिए 29 रक्त पट्टीकाएं बनाई जा चुकी हैं। अभी तक ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण समिति (वीएचएसएनसी) के माध्यम से गांव में प्रधानों और आशा कार्यकर्ताओं के सहयोग से 25 ग्राम पंचायतों में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कराया जा चुका है। अभियान की सप्ताहिक समीक्षा कर रिपोर्ट शासन को नियमित रूप से भेजी जा रही है। इस अभियान को प्रभावी बनाने के लिए जुड़े विभाग पूरे समर्पण भाव से सहयोग कर रहे हैं।
कार्यवाहक जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि डेंगू के मरीजों का समुचित उपचार कराए जाने के उद्देश्य से जिला अस्पताल पर 10 बेड, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर पाँच बेड एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर दो बेड आरक्षित कराए गए हैं। कुपोषित बच्चों में से अति कुपोषित बच्चों को चिन्हित करके पोषण पुनर्वास केंद्र भेजा जा रहा है। उन्होंने बताया कि जापानी इंसेफेलाइटिस रोग का सूअर प्रथम वाहक है तथा बीमारी फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इसके लिए आबादी से बाहर सूअर बाड़े स्थानांतरित कराने के लिए सूअर पालकों का संवेदीकरण किया जा रहा है तथा प्रशासनिक अधिकारियों से सहयोग लिया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र/ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के माध्यम से जलजमाव वाले स्थानों पर एवं नालियों मे लार्वीसाइड का छिड़काव कराया जा रहा है। वर्षा तथा दूषित जल से होने वाले बीमारियों से बचाव के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को पीने का पानी उबालकर प्रयोग में लाने की सलाह दी जा रही है। तथा आशा कार्यकर्ता के द्वारा क्लोरीन टेबलेट वितरण किया जा रहा है।