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गड़हांचल के तटवर्ती इलाकों से लोगों का पलायन शुरू,प्रशासनिक सहायता नदारद






ओमप्रकाश राय,पवन यादव की रिपोर्ट

नरही(बलिया) ।। बाढ़ की विभीषिका से गड़हांचल के तटवर्तीय इलाकों से लोगों का पलायन शुरू हो गया है। लोग भागकर सुरक्षित जगहों पर पहुंचना शुरू कर दिए हैं। बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित गांवों रामगत का डेरा,सरवन पुर का डेरा, बड़का खेत (पलियाखास)कुल्हाड़ियां, शाहपुर बभनौली, इच्छा चौबे का पुरा आदि गांव के लोगों का बाढ़ के पानी में चारों तरफ से घिर जाने से कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ लोग तो भागकर राष्ट्रीय राजमार्ग 31 पर सड़क किनारे तिरपाल डालकर अपना ठिकाना बना रहे है। वहीं कुछ लोग आई टी बन्धे पर अपना ठिकाना तलाश रहे हैं। इन पीड़ितों के सामने सबसे बड़ी समस्या मवेशियों के चारे को लेकर है। गंगा घाट कथरिया मार्ग पर पानी चढ़ जाने से दबाव बना हुआ है। मार्ग टूटने की संभावना बनी हुई हैं‌ ।बढ़ रहे पानी के दबाव से अगर मार्ग टूटा तो आसपास के गांव के लोगों को बहुत ही परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

 लक्ष्मणपुर पालियाखास गंगा घाट मार्ग के ऊपर से गुजरते हुए बाढ़ के पानी के कारण  पालिया खास, सरवन कुल्हाड़ी ,56 का डेरा का आवागमन ठप्प हो गया है ।







             पलिया खास बढ़ का खेत प्राथमिक विद्यालय


पलियाखास निवासी प्रधान प्रतिनिधि रघुनाथ मास्टर ने बताया कि बाढ़ का पानी इन गांवों में घुस जाने से लोगों को बहुत ही परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। तत्काल राहत की जरूरत है। सबसे पहले जरूरी है नाव की व्यवस्था ताकि चारों तरफ से पानी से घिरे लोग सुरक्षित जगह पर आ सके।


सपा नेताओं ने किया बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा,वितरित किये लंच पैकेट


सोहाव ब्लॉक के दर्जनों बाढ़ प्रभावित गांवो के बाढ़ पीड़ितों की परेशानियों को समझने समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा करके लोगो से उनकी परेशानियों के सम्बंध में बातचीत की  ।  वही वरिष्ठ सपा नेता सनातन पांडेय, सपा जिला अध्यक्ष राज मंगल यादव तथा ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि वंशीधर यादव0 व जिला पंचायत सदस्य वीरलाल यादव ने बाढ़ पीड़ितों में लंच पैकेट का वितरण किया ।

बाढ़ चौकी पर नही है कोई सुविधा

बता दे कि पिछले तीन दिनों से यह क्षेत्र बाढ़ की चपेट में है । बुधवार को तो इन गांवों का संपर्क सड़क मार्ग से कट भी गया है । अब इन लोगो को नाव का ही सहारा है । बावजूद इन क्षेत्रों में प्रशासन की तरफ से जो नावों की व्यवस्था की गई है , वह ऊंट के मुंह मे जीरा जैसी है । वही खानापूर्ति के नाम पर बैरिया में एक बाढ़ चौकी बनी तो है लेकिन वहां राजस्व विभाग के लोगो के अलावा न तो स्वास्थ्य विभाग की टीम है,न ही पशु विभाग की । वही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नरही पर लोगो के तीन दिनों से बाढ़ के पानी मे चलने से सड़ गये पैर में लगाने के लिये  पूरी दवा भी उपलब्ध नही है । अभी तक चारो तरफ से पानी से घिर गये लोगो तक प्रशासन की तरफ से न तो भोजन का पैकेट ही बंटा है,न तिरपाल और न ही पशुओं के लिये चार ।