Breaking News

गो आश्रय स्थल सोहांव बना भ्रष्टाचार का केंद्र,गो वंश हो जाते है गायब,नही है कोई जांच करने वाला उच्चाधिकारी

 



         उपरोक्त फोटो को देखिये और गिनती कीजिये,क्या 41 है ?

मधुसूदन सिंह

बलिया ।। पिछले साल 21 मई 2020 को बलिया एक्सप्रेस ने गो आश्रय स्थल सोहांव में हो रहे भ्रष्टाचार को अपनी खबर के माध्यम से उजागर किया था । गुरुवार 16 सितंबर 2021 को पुनः इस केंद्र की जांच पड़ताल की गई तो पिछले साल से भी भयावह स्थिति दिखी । 21 मई 2020 को कुल 41 बछड़े थे जिनमें 36 के कानों पर टैग था,5 पर नही । इसी बीच मई 2021 में नरही पुलिस द्वारा गो तस्करो से पकड़ कर 11 गो वंश इनको दिये गये जिसमे दुधारू गाये भी थी । मई 2021 में ही चोरों ने आश्रय स्थल की दीवार तोड़कर 7 गायों की चोरी कर ली । यह चोरी तब हुई जब इस केंद्र पर 2 सफाई कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है । बीडीओ सोहांव चोरी की चिट्ठी थाना नरही को दे कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो गये और सफाई कर्मियों को इस बावत न तो कोई जबाब देना पड़ा न ही निलम्बित होने की ही नौबत आयी । आज की तारीख में यहां 41 गोवंश होना एडीओ पंचायत द्वारा बताया गया है जिसमे बछड़ो वाली गाये भी शामिल है ।

पिछले एक साल मे कम हुई संख्या

21 मई 2020 को 41 बछड़े थे और आज भी कुल 41 की ही संख्या है जिसमे 4 बछड़ो वाली गाये है । ऐसे में 4 गाय व बछड़ो को निकाल दिया जाय तो कुल 37 बड़े बछड़ो की संख्या बचती है । यानी पिछले साल वालो में से 4 बछड़े कम हो गये ।  आखिर सुरक्षा के लिये दो सफाई कर्मियों के रहते यह कैसे संभव है ? जबकि हकीकत में हमारे कैमरे में जो संख्या दिख रही है वह कही से भी 41 की संख्या की पुष्टि नही कर रही है ।

आखिर बछड़ो की क्यो नही होता है शारीरिक विकास

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गो वंशीय पशुओं को दर दर भटकने से मुक्ति दिलाने के लिये हो आश्रय स्थलों का निर्माण कराया । आवारा घूमने वाले गो वंशीय पशुओं को रहने के लिये आवास बनवाया,खाने की व्यवस्था की,लेकिन भ्रष्टाचारियो ने इसमें भी घोटाले की जगह ही नही खोजी बल्कि संभवतः यहां रहने वाले गो वंशो को गोकशी करने वालो के हवाले भी करने का काम शुरू कर दिया ।

  यहां पर रखे गये बछड़ो की शारीरिक विकास को अगर जांच करा दी जाय तो यहां गोकशी का बड़ा खेल सामने आ सकता है । सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या कारण है कि लगभग 2 साल से रहने वाले बछड़ो की शारीरिक बनावट युवा की जगह बछड़े की ही दिखती है ? जबकि इतने समय मे ये बछड़े युवा हो जाते है और इनके उम्र का निर्धारण करने वाले दांत भी निकल आते है ।



साफ सफाई नदारद,भूसा चोकर में कमाई

करोड़ो रूपये की लागत से सरकार द्वारा बनवाया गया गो आश्रय स्थल आज बदहाली के चलते आंसू बहा रहा है । दो सफाई कर्मियों की 24 घण्टे की ड्यूटी के बावजूद पशुओं को गंदगी में ही रहना मजबूरी है । कोई यहां की कमियों को उजागर न कर दे ,इसके लिये इस केंद्र में हमेशा ताला लटका रहता है । लोगो की माने तो पशुओं को मिलने वाले चारे व चोकर में भी सफाई कर्मियों द्वारा कटौती की जाती है ।

डॉ के के मौर्या ने कहा-शारीरिक विकास उचित भोज्य पदार्थ न मिलने के कारण अवरोधित,कागजी हिसाब चकाचक

सोहांव ब्लॉक के पशु चिकित्सक डॉ के के मौर्या ने कहा कि यह कहना गलत है कि बछड़ो को बड़े होने पर गोकशी करने वालो के हाथों अवैध तरीके से सौप दिया जाता है । कहा कि पुराने बछड़ो का शारीरिक विकास कम होने के कारण वो भी नये बछड़ो की तरह लगते है । सरकार द्वारा मिलने वाली प्रति पशु प्रतिदिन की धनराशि 30 रुपये है जो बहुत कम है। कहा कि पशुओं को हरा चारा मिले इसके लिये प्रधानपति जयपाल यादव के निजी खेत मे 10 मंडे में चारा की बोवाई की गई है । एक माह बाद से सभी पशुओं को पूरे साल हरा चारा मिलने लगेगा । कहा कि इस साल लगभग 4 पशुओं की मौत हुई है । यानी डॉक्टर साहब ने 41 की संख्या को सत्यापित कर दिया ।

कटाई के सीजन में भूसा एकत्र करने पर क्यो नही दिया जाता ध्यान

बलिया एक्सप्रेस से इस पूरे प्रकरण में यह देखा कि पूरे साल इन केंद्रों को भूसा की समस्या से जूझना पड़ता है । जबकि बलिया एक्सप्रेस का मानना है कि कटाई वाले सीजन में किसानों से इस केंद्र के लिये भूसा एक साल के लिये दान में लिया जा सकता है । बस इसके लिये प्रत्येक केंद्र पर एक बड़ा सा भूसा घर बनवाना पड़ेगा । भूसा की खरीद बन्द होने पर 30 रुपये में एक पशु को अच्छी मात्रा में पुष्टाहार दिया जा सकता है जो पशुओं को तंदरुस्त कर सकता है । बस इसके लिये सभी खण्ड विकास अधिकारियों को इच्छा शक्ति दिखानी होगी ।

गोकशो के सहयोगी है  सुपुर्दगी लेने वाले

बलिया एक्सप्रेस का मानना है कि पुलिस द्वारा गो वंशो को तस्करो से पकड़ने के बाद इन जानवरों को पालने के लिये ग्रामीणों की सुपुर्दगी में सौपने की नीति को छोड़कर सीधे गो आश्रय केंद्रों को सौंपना चाहिये । पड़ताल में जो बातें निकल कर आयी है, वह यह है कि सुपुर्दगी में दिये गये जानवर अधिकतम तीन दिन के अंदर गो कशो के पास पहुंच जाते है । यह बड़ा रैकेट है सुपुर्दगी लेने वालों का । इसमें पुलिस कर्मियों के अलावा सफेदपोश व मीडिया कर्मी भी शामिल होते है । पुलिस अधीक्षक बलिया को अगर इसकी हकीकत जननी हो तो मात्र 2 साल के अंदर विभिन्न थानों ने गो वंशो को किनको किनको सुपर्द किया है,उनकी पड़ताल करा लें,जानवरो की शिनाख्त करा लें, हकीकत सामने आ जायेगी ।



21 मई 2020 को प्रकाशित खबर

योगी जी जरा बलिया को भी देखिये :गौ आश्रय स्थल की हालत बद से बदतर,सोहांव का गो आश्रय केंद्र जहां गोवंशों की उम्र बढ़ती नही घटती है





नरही,बलिया ।। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक पशु आश्रय स्थल योजना बलिया में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ कर दम तोड़ती नजर आ रही है। थाना क्षेत्र के सोहाव गांव में बने पशु आश्रय स्थल जमीनी हकीकत को देखने के बाद यह साफ नज़र आता है कि पूरी योजना केवल कागजों पर ही चल रही है तथा पशुओं के जान की परवाह भी नहीं की जा रही है।स्थलीय निरीक्षण में इस गौ शाला में 36 बछड़े मिले जिनकी टैगिंग थी,जो केवल भूसा खा रहे थे,पूरे गौ शाला में गंदगी का अंबार लगा हुआ था तो पीएम मोदी के स्वच्छ भारत अभियान की खिल्ली उड़ाता दिख रहा है । इस केंद्र पर 5 बछड़े बिना टैगिंग के थे।ग्रामीणों का आरोप है कि पिछले कई दिनों से इस गौ शाला के बछड़े रोज मर रहे है तथा उनको रातो रात इसमें से गायब कर दिया जा रहा है।इस संबंध में जब पशु चिकित्साधिकारी केके मौर्य से बात की गई तो उन्होंने बताया कि गौ शाला में इस समय 46 बछड़े है तथा जब से गौ शाला बनी है केवल 6 बछड़े मरे है जबकि वर्तमान में टैगिंग वाले केवल 36 बछड़े है।बिना टैग वाले बछड़ों के संबंध में उन्होंने कहा कि जब ग्राम प्रधान और सचिव उनको सूचना देंगे तो उनकी भी टैगिंग कराई जाएगी,अभी इस संबंध में कोई सूचना उनको नहीं मिली है,परन्तु मौके पर 5 बिना टैगिंग वाले बछड़े भी मौजूद थे। सवाल यह कि पिछले 15 माह में छूटे हुए बछड़ो की टैगिंग का किसी को ख्याल ही नही आया ? या कोई बात छुपाई जा रही है ?

पिछले साल के फरवरी में बने इस स्थल में एक भी बछड़ा 1 साल से ऊपर का प्रतीत नहीं हो रहा जबकि डॉ मौर्य का कहना है कि शुरुआत में 6 -7 महीने के बछड़े आए थे और 15 महीने बीत जाने के बाद भी उसी अवस्था में बने है उनका विकास नहीं हो रहा ? या जो पहले आये थे वो चारे के अभाव में दम तोड़ दिये और उनकी जगह पर नये बछड़ो को रख कर संख्या पूरी कर दी गयी है ? यह तो बाहर की उच्च स्तरीय जांच से ही पता लग पायेगा ? स्थानीय जांच पर ग्रामीणों को संदेह है । ग्राम पंचायत अधिकारी रितेश राय इस संबंध में पूछने पर कुछ भी बोलने से मना कर दिए।ग्राम प्रधान सचिता से संपर्क करने पर भी फोन नहीं उठा। पूरे प्रकरण को देखने और समझने के बाद ग्रामीणों की आशंका को बल मिल रहा की पशु खाने बिना मर रहे है तथा उनकी जगह पर नए पशुओं को डाल दिया जा रहा है । सवाल यह उठ रहा कि क्या बलिया के अधिकारी सीएम योगी के अतिमहत्वाकांक्षी योजना को भी पलीता लगा रहे है ?
रिपोर्ट मधुसूदन सिंह