छात्र-छात्राओं द्वारा गुरूओं के सम्मान में किया गया शिक्षक दिवस कार्यक्रम् का आयोजन
बलिया ।। शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया के हजारी प्रसाद द्विवेदी परिसर के सभागार में संकाय के छात्र- छात्राओं द्वारा सोमवार को शिक्षक दिवस समारोह का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता विश्वविद्यालय की सम्मानीय कुलपति प्रो० कल्पलता पाण्डेय ने किया,जब कि कार्यक्रम् की मुख्य अतिथि रहीं विश्वविद्यालय की पूर्व शैक्षणिक निदेशक डा०प्रतिभा त्रिपाठी। कार्यक्रम् का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर एवं माँ सरस्वती, भूतपूर्व राष्ट्पति स्व० डा० सर्वपल्ली राधाकृष्णन् एवं भूतपूर्व प्रधानमंत्री जननायक चन्द्रशेखर जी के चित्र पर माल्यार्पण कर एवं पुष्प अर्पित कर किया गया।
समारोह को संबोधित करते हुए बतौर मुख्य अतिथि डा० प्रतिभा त्रिपाठी ने कहा कि आज का दिन एक महान एवं पवित्र दिन है,क्योंकि यह दिन महान शिक्षक स्व० सर्वपल्ली राधाकृष्णन् जी का जन्मदिन भी है और उन्होंने अपना जन्मदिन जन्मदिन के रूपमें न मनाकर शिक्षक दिवस के रुपमें मनाने की प्रेरणा दी, तभी से शिक्षक दिवस मनाया जाने लगा। किंतु मात्र शिक्षक के सम्मान में मात्र वर्ष में एक दिन शिक्षक दिवस मना लेने से इतिश्री नहीं हो जाती। अपने शिक्षक के प्रति सम्मान तो क्षण- प्रति- क्षण हमारे अन्तर्मन में होना चाहिए।
विश्वविद्यालय के वर्तमान शैक्षणिक निदेशक डा० गणेश कुमार पाठक ने छात्र - छात्राओं को उनकी सफलता एवं जीवनपथ पर निरन्तर प्रगति की दिशा में अग्रसर होने हेतु आशिर्वचन देने हुए कहाकि एक सच्चा शिक्षक अपने शिष्य के सर्वांगीण विकास हेतु सदैव तत्पर रहता है। अपने ज्ञान कोश को अपने शिष्य के अन्दर समाहित करने हेतु उत्प्रेरित करता रहता है और गुरू को अपने जीवन में सबसे खुशी तब होती है,जब उनका शिष्य उनसे भी आगे निकल जाता है। डा० पाठक ने यह भी कहाकि वर्तमान समय में शिक्षा,शिक्षक एवं शिक्षार्थी तीनों में गिरावट आई है,जिस पर हमें विशेष ध्यान देना होगा। शिक्षक एवं शिक्षार्थी दोनों को ज्ञानवान,संस्कारवान एवं चरित्रवान बनना होगा। गिरते मानव मूल्यों के प्रति भी हमें सतर्क रहना होगा। क्योंकि यदि इन सबमें गिरावट आ गयी तो यह बेहद खतरनाक साबित होगा।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो० कल्पलता पाण्डेय ने सर्व प्रथम् सभी गुरूओं को प्रणाम् करते हुए कहा कि गुरू की भी कई श्रेणियाँ होती है। शिष्य के व्यक्तित्व के निर्माण में किसी एक गुरू की ही भूमिका नहीं होती है। माता प्रथम् गुरू होती है,जिसकी सबसे बड़ी भूमिका होती है। उसके बाद प्राथमिक स्तर से उच्च स्तर तक के सभी शिक्षकों की भूमिका अपने शिष्य को तराशकर उसे सही दिशा प्रदान करने एवं परिवार, समाज तथा देश के विकास में उसके उत्तरदायित्व के प्रति चेतना जगाने में अहम् भूमिका होती है। स्वतंत्रता के बाद से जो शिक्षा हमें दी जाती रही,वह दिशाहीन रही,किंतु हमारे गुरूओं ने विकट परिस्थिति में भी उसे सम्भालते हुए अपने शिष्यों को सही दिशा दिखाते रहे। आज समय आ गया है कि हम अपने को एवं अपने भारतीय संस्कृति को समझते हुए वर्तमान में जो नई शिक्षा नीति-2020 आई है, उसके सिद्धांतों ,उद्देश्यों एवं नीतियों के तहत शिक्षा प्रदान करें। कारण कि नई शिक्षा नीति छात्र- छात्राओं के सर्वांगीण विकास करने में समर्थ है,जिससे न केवल छात्रों- छात्राओं का बल्कि समाज का एवं देश का भी सर्वांगीण विकास होगा और भारत पुनः विश्व गुरू की भूमिका निभाते हुए विश्व का भी पथ-प्रदर्शक बनेगा।
इस कार्यक्रम् के दौरान शैक्षणिक निदेशक डा० गणेश कुमार पाठक द्वारा अपनी प्रकाशित दो पुस्तकों 'आपदा प्रबंधन' तथा 'सेवाकेन्द्र एवं ग्रामीण विकास' और अपने दो शोधार्थियों की प्रकाशित पुस्तक 'समन्वित ग्रामीण विकास में अवस्थापनात्मक तत्वों की भूमिका'तथा 'पारिस्थितिकीय विकास आयोजना' की प्रति छात्र-छात्राओं तथा शिक्षकों के अध्ययन- अध्यापन के लिए विश्वविद्यालय पुस्तकालय हेतु कुलपति महोदया को भेंट स्वरूप प्रदान किया गया।
इस अवसर पर छात्र - छात्राओं द्वारा अतिथियों एवं अपने गुरूजनों को बुके प्रदान कर उनके प्रति सम्मान प्रकट किया गया। इस अवसर पर छात्र- छात्राओं द्वारा भी अपने विचार प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम का संचालन संकाय की छात्रा अंकिता सिंह एवं प्रीति द्वारा,स्वागत भाषण कुमार अभिषेक द्वारा, स्वागत गीत शालू सिंह द्वारा एवं धन्यवाद अ,षज्ञापन अनूप तिवारी किया गया। इस अवसर पर संकाय के सभी शिक्षक एवं शिक्षिकाएं तथा छात्र- छात्राएँ उपस्थित रहीं।