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एसडीएम बांसडीह के फैसले से भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ खिन्न, बुधवार को डीएम से होगी शिकायत

 



बलिया ।। एक तरफ सरकार प्रबुद्धवर्ग सम्मेलन कराकर ब्राह्मण समुदाय को अपनी तरफ खींचने की कोशिश में लगी हुई है । तो वही बलिया जनपद के बांसडीह तहसील में एक ब्राह्मण जयराम तिवारी अपने ही भूखण्ड पर कब्जे के लिये 2016 से जनपद के हर अधिकारी की चौखट पर अपना माथा पटक कर हार चुके है लेकिन एक दबंग की दबंगई,शातिराना चाल व प्रशासनिक अधिकारियों से मिली भगत के चलते न्याय के लिये भटक रहे है । मंगलवार को उप जिलाधिकारी बांसडीह द्वारा भी इस ब्राह्मण को न्याय के नाम पर अन्याय ही दिया गया है । क्या योगी जी के राज में भी अपने भूखण्ड पर कब्जे के लिये किसी ब्राह्मण को आत्मदाह करना आवश्यक है ?

भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के बांसडीह तहसील उपाध्यक्ष श्री जयराम तिवारी के जमीनी विवाद में मंगलवार को उप जिलाधिकारी बांसडीह द्वारा जिस तरह से जबरदस्ती सुलहनामा कराते हुए मणीन्द्र सिंह नामक व्यक्ति को फायदा पहुंचाया गया है और उसको एक जगह की जगह दो जगह भूमि दी गयी है,उसको भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के प्रांतीय महासचिव मधुसूदन सिंह ने अन्याय बताते हुए बुधवार को जिलाधिकारी बलिया से इसकी शिकायत करने की बात कही है । बता दे कि विवादित भूखण्ड के चौथाई भाग की कबालेदार सविता सिंह के पति मणीन्द्र सिंह की साजिश व क्षेत्रीय लेखपाल राजेश राम (विगत 5 साल से अधिक समय से एक क्षेत्र में कार्यरत) की मिलीभगत से विवादित भूखण्ड के आधे भाग के कबालेदार जयराम तिवारी विगत 2016 से कब्जा दखल के लिये दर दर की ठोकर खा रहे है लेकिन खाली जमीन पर कब्जा नही कर पा रहे है ।

बता दे कि इस भूखण्ड का सरकारी दस्तावेजों में रकबा 8 डिसमिल है । लेकिन इसमें से सीएचसी मनियर के लिये सड़क निकल जाने से इसमें सवा तीन डिसमिल की कमी हो गयी है । सविता सिंह ने मुख्य सड़क की तरफ से 2 डिसमिल ,उसके बाद जयराम तिवारी ने 4 डिसमिल और इनके बाद इस भूखण्ड के मूल खातेदार की 2 डिसमिल जमीन दस्तावेजो में दर्ज है । कानून कहता है कि अगर कोई भूखण्ड मौके पर कम पाया जाता है तो इसमें सभी खातेदारों को उनके हिस्सेदारी के अनुपात में जमीन पर कब्जा दिलाया जाएगा । जब जयराम तिवारी को तत्कालीन उप जिलाधिकारी बांसडीह अन्नपूर्णा गर्ग (आईएएस) के द्वारा उपरोक्त नियम के अनुसार  कब्जा दखल का आदेश भी काम नही आया (श्रीमती गर्ग का स्थानांतरण होने के कारण) तो जयराम तिवारी ने जिलाधिकारी बलिया को लिखित पत्र देकर 22 सितंबर 2021 तक समाधान कराने की बात कही गयी और यह भी कहा गया कि अगर इस तिथि तक न्याय नही मिला तो 23 सितंबर 2021 को जिलाधिकारी कार्यालय के सामने आत्मदाह कर लूंगा ।

जिलाधिकारी बलिया द्वारा पत्र का तुरंत संज्ञान लेते हुए उप जिलाधिकारी बांसडीह को मामले का निस्तारण करने का आदेश दिया गया । इसी के क्रम में उप जिलाधिकारी बांसडीह ने पहले भूखण्ड की पैमाइश करायी और मंगलवार को तीनों पक्षो को अपने चेम्बर में बुलाकर और न्याय के बदले अन्याय देकर जबरिया जयराम तिवारी को हस्ताक्षर करने पर मजबूर किया,वह कही से भी उचित नही है । इस भूखण्ड के आधे के हकदार जयराम तिवारी को 4 डिसमिल की जगह डेढ़ डिसमिल,2 डिसमिल के हकदार गामा को पौने दो डिसमिल और सारी खुराफात की जड़ मणीन्द्र सिंह को जो 2 डिसमिल के हकदार है को न सिर्फ सवा डिसमिल जमीन दी गयी बल्कि इसको एक जगह की जगह दो जगह दी गयी है । क्या यही उप जिलाधिकारी बांसडीह का न्याय है ?

स्वास्थ्य विभाग के एलटी व ठेकेदार के आगे एसडीएम भी झुके

स्वास्थ विभाग में एलटी के पद पर सिकंदरपुर में NACO संस्था का कर्मी मणीन्द्र सिंह एलटी कम ठेकेदार ज्यादे है ।यह सीएचसी सिकंदरपुर में कम और सीएमओ बंगला,सीएसटी स्टोर व सीएमओ कार्यालय में अधिकतर देखा जाता है ।अघोषित रूप से यह स्वास्थ्य विभाग के एमओआईसी लोगो का चहेता ठेकेदार भी है । इसकी हनक आज एसडीएम बांसडीह के चेम्बर में भी देखने को मिला जब इसकी पूरी जमीन को एक ही जगह दिये जाने का प्रयास होने लगा तो यह चेम्बर से उठकर तुरंत जाने लगा । जबकि एसडीएम महोदय इसकी हरकत पर इसको डांटने की बजाय इसी के मन के मुताबिक इसके रकबे को दो जगह आवंटित कर दिये । न जाने इस मे क्या खूबी है कि एसडीएम बांसडीह भी इसकी हां में हां मिलाते हुए जयराम तिवारी के साथ अन्याय करने पर विवश हो गये ।

एक आदमी,पर हर बार करता है भिन्न हस्ताक्षर

सविता सिंह का पति मणीन्द्र सिंह कितना शातिर खोपड़ी का आदमी है,इसको उप जिलाधिकारी बांसडीह भी नही समझ पाये है । इस व्यक्ति ने दो बार इनके समक्ष हस्ताक्षर किये है और दोनों बार दो हस्ताक्षर है । कानूनन रूप से किसी भी समझौते पर सविता सिंह को हस्ताक्षर करना चाहिये,क्योकि भूखण्ड की मालकिन वही है लेकिन हर बार मणीन्द्र सिंह ही हस्ताक्षर करता है । संभवतः यह सोचकर करता है कि कभी भी सविता सिंह अपना हस्ताक्षर न होने की बात कहकर कोर्ट का दरवाजा खटखटा सके ।

अपनी ही जमीन पर बिंदुवार ले रखा है स्टे, पूरे भूखण्ड पर बताता है लागू

बता दे कि मणीन्द्र सिंह ने अपने ही भूखण्ड पर भूखण्ड की स्वामिनी सविता सिंह से माननीय दीवानी न्यायालय में वाद दाखिल कर स्थगन आदेश अपने स्वामित्व वाले भूखण्ड पर ही बिंदुवार ले रखा है । स्थानीय लेखपाल राजेश राम को अपनी साजिश में शामिल कर उच्चाधिकारियों को गुमराह कर जयराम तिवारी को अपने भूखण्ड पर काबिज होने से रोकने में आजतक सफल हो रहा है । जबकि बिंदुवार स्थगन आदेश का मतलब ही होता है कि उस बिंदु के अंदर के भाग पर कोई भी निर्माण कार्य नही हो सकता है । यह अलग बात है की मणीन्द्र सिंह ने स्थानीय प्रशासन की मदद से स्टे के बावजूद भी अपना निर्माण कार्य कराते रहते है ।

जयराम तिवारी को मिलना चाहिये सवा दो डिसमिल, मिल रहा है डेढ़ डिसमिल

भूखण्ड का रकबा सवा तीन डिसमिल कम होने के कारण आधे के हिस्सेदार जयराम तिवारी में से अधिकतम पौने दो डिसमिल और शेष डेढ़ डिसमिल का आधा सविता सिंह में से और आधा गामा में से कम होना चाहिये । यानि कि जयराम तिवारी को सवा दो डिसमिल, गामा और सविता को सवा डिसमिल सवा डिसमिल मिलना चाहिये ।बंटवारे में यह भी देखा जाता है कि प्रत्येक का हिस्सा एक ही जगह मिले, लेकिन इस मामले में सविता सिंह को दो जगह क्यो दिया गया, यह समझ से परे है ।

वही तहसील के अधिकारियों का रवैया भी जयराम तिवारी के खिलाफ ही रहा है । जयराम तिवारी जब कब्जा दिलाने की बात कहते है तो दीवानी में मुकदमा चलने की बात कहकर मना कर देते है । जबकि सविता सिंह व गामा जब चाहे निर्माण शुरू कर दे ,कोई रोकने टोकने वाला नही है ।