जब कानून का रक्षक ही कानून न माने तो किससे करे आमजन फरियाद ?
बलिया ।। हिंदी फिल्म अमर प्रेम का एक गाना -
चिंगारी कोई भड़के,तो सावन अगन बुझाये
सावन जब आग लगाये, तो उसे कौन बुझाये ।।
पतझड़ जो बाग उजाड़े, वो बाग बहार खिलाये
जो बाग बहार में उजड़े,उसे कौन खिलाये .....
थानाध्यक्ष चितबड़ागांव गांव राकेश सिंह की कार्यशैली पर सटीक बैठ रहा है । सरकार ने इनको यह सम्मानित ओहदा और बेहिसाब ताकत वाली वर्दी जनता मजलुमो महिलाओ पीड़ितों को सुरक्षा देने के लिये दी है लेकिन साहब इस शक्ति का राजनैतिक संरक्षण प्राप्त कर गलत उपयोग करने में लग गये है । पिछले 18 माह के इनके कार्यकाल पर नजर डाले तो यही दिखता है कि इन्होंने वर्दी की ताकत का दुरुपयोग ही ज्यादे किया है । बलिया एक्सप्रेस के पास 2020 के रक्षा बंधन से लेकर अबतक की कई घटनाओं का सिलसिलेवार रिकार्ड है जब थानेदार साहब ने वर्दी का दुरुपयोग करके पीड़ितों को ही मजबूर किया है ।
थाने पर कोई फरियाद लेकर आता है तो यह सोच कर आता है कि यह न्याय दिलाने वाला पहला मंदिर है । यहां न्याय के साथ सुरक्षा व सम्मान जरूर मिलेगा । यह हर्ष के साथ कहना पड़ रहा है कि साहब ने थाने को न्याय के मंदिर की जगह कलिकाल के भगवान का मंदिर बना दिया है । जहां बिना चढ़ावे के आशीर्वाद मिलना मुश्किल होता है ।यह कहने में भी संकोच नही है कि ये वर्दी पहनकर कानून की रक्षा करने की बजाय कानून को खुद ही तोड़ रहे है ।
अभी पिछले शनिवार को ही साहब के थाना क्षेत्र के किशोरी के साथ दुष्कर्म होने की दुखद व निंदनीय घटना घटित हुई है,जिसका मुकदमा भी पंजीकृत हो गया है । आरोपी युवक फरार हो गया है जो पुलिस की पकड़ से आज भी दूर है । लेकिन साहब ठहरे क्षेत्र के थानेदार ,आरोपी के घर से आरोपी के माता पिता को पूंछताछ के लिये शनिवार को दोपहर में बुलाये । किसी भी लड़के के माता पिता यह नही कहते है कि जाओ और किसी लड़की के साथ दुष्कर्म करके आओ ।
आरोपी के माता पिता भी थाने पहुंच गये और जो भी आरोपी से सम्बंधित सवाल पूंछे गये, उसका जितनी जानकारी थी,उसका जबाब दिये । लेकिन शाम तक बैठाने के बाद महिला को तो घर जाने दिये लेकिन आरोपी के पिता को शनिवार से आजतक थाने पर ही अघोषित रूप से हिरासत में रखे हुए है । यही नही सोमवार की दोपहर आरोपी की मां को भी घर से यह कहते हुए उठा लिये कि तुम भी चलो हवालात में,जब तक तुम्हारा लड़का नही मिलेगा,तुम दोनों को थाने में ही सड़ाएंगे । बलिया एक्सप्रेस ने इस घटना को प्रकाशित किया तो सोमवार की देरशाम 8 बजे महिला को तो छोड़ दिये लेकिन आरोपी के पिता की गैरकानूनी हिरासत अब भी जारी है ।
थाने में महिला के साथ जिन अपशब्दों का प्रयोग किया गया,उसको लिखा नही जा सकता है लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि साहब पर राजनैतिक संरक्षण का नशा इस कदर चढ़कर बोल रहा है कि इनको माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा चलाये जा रहे मिशन शक्ति-3 के माह में भी महिला को बार बार थाने बुलाकर अपमानित करने में मजा आ रहा है । इनको लगता है कि चाहे ये जैसा भी बर्ताव करें, इनका कोई बाल बांका नही कर सकता है ।
पुलिस लोगो को सुरक्षा देने के लिये होती है और दुष्टों को दंडित करने के लिये । लेकिन साहब की नजर में तो आरोपी के पूरे परिजन ,जानने वाले सभी दोषी है । ऐसे में इनके यहां न्याय मिलना उतना ही मुश्किल है जितना भगवान को पाना ।
अमर प्रेम का गाना साहब की कार्यशैली पर ठीक बैठ रहा है --
पतझड़ जो बाग उजाड़े, वो बाग बहार खिलाये
जो बाग बहार में उजड़े,उसे कौन खिलाये .....