शिशुओं के बेहतर देखभाल की घर-घर अलख जगा रहीं आशा कार्यकर्ता पुष्पा
- प्रसव के बाद 24 घंटे नवजात के लिए अति महत्वपूर्ण
- जन्म से 42 तक बच्चे का रखें खास ख्याल
- अब 15 माह तक के बच्चों की सेहत पर होती है आशा की नजर
बलिया।। बेलहरी ब्लॉक के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सोनवानी के गायघाट गाँव की मीरा देवी का बच्चा 14 दिन का था, गृह भ्रमण के दौरान जब आशा कार्यकर्ता पुष्पा ओझा ने देखा कि बच्चे को तेज़ बुखार है, वह ऐठन भी ले रहा है, साथ ही शरीर पर छोटे- छोटे दाने भी निकले थे। मीरा बताती हैं कि आशा ने बच्चे को देखने के बाद बताया कि वैक्टीरियल इन्फेक्शन हो गया है, इसके बाद आशा हमे आंगनवाडी केंद्र ले गयीं । ए.एन.एम ने देखा और सोनवानी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भेज दिया, जहाँ उसको इंजेक्शन लगाया गया, जिससे उसका बुखार उतरा और इन्फेक्शन भी कम हुआ। बच्चे की हालत सुधरने पर मीरा आशा दीदी की सराहना करते नहीं थकतीं |
एच0 बी0 एन0 सी0 का फायदा
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सोनवानी के अधीक्षक डॉ० मुकर्रम अहमद ने बताया कि इस गृह आधारित नवजात देखभाल (एचबीएनसी) कार्यक्रम की सफलता को देखते हुए अब आशा कार्यकर्ता 42 दिन के स्थान पर 15 माह तक शिशु की देखभाल कर रही हैं। इसके लिए आशा कार्यकर्ता को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर प्रशिक्षण भी दिया गया है।
15 माह तक मां व बच्चे की देखभाल
ब्लाक सामुदायिक प्रक्रिया प्रबन्धक (बीसीपीएम) संजय यादव ने बताया कि मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से नवजात और मां की सेहत संवारने को 15 माह तक मां व बच्चे की देखभाल करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा होम बेस्ड न्यू बॉर्न केयर फॉर यंग चाइल्ड (एचबीवाईसी) कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसके अंतर्गत शिशुओं का समुचित विकास एवं पोषण सुनिश्चित करने के लिए 42 दिन के पश्चात शिशु की आयु 3, 6, 9, 12 एवं 15 माह होने पर आशा द्वारा अतिरिक्त त्रैमासिक गृह भ्रमण की व्यवस्था की गयी है ।
गृह भ्रमण का मुख्य उद्देश्य छोटे बच्चों के पोषण स्तर में सुधार, समुचित विकास और बाल्यावस्था में होने वाली बीमारियों जैसे डायरिया , निमोनियासे बचाव करना है। इससे पहले होम बेस्ड न्यूबॉर्न केयर कार्यक्रम (एचबीएनसी) चलाया जा रहा था, जिसमें आशा द्वारा 42 दिन तक संस्थागत प्रसव में छह बार 3, 7, 14, 21, 28 एवं 42वें दिन और गृह प्रसव में 7 बार 1, 3, 7, 14, 21, 28 व 42वें दिन तक गृह भ्रमण कर नवजात शिशुओं और धात्री माताओं के स्वास्थ्य की घर में देखभाल कर स्वस्थ एवं सुरक्षित रखने की व्यवस्था की गई थी।
उन्होंने बताया कि आशा कार्यकर्ता द्वारा नवजात का शरीर ठंडा लगे तो उसे मां, पिता या घर के कोई अन्य सदस्य अपने सीने से लगाकर रखे | इसके साथ ही नाल पर कुछ न लगाना, नवजात को कंबल में लपेटने की सही जानकारी आशा कार्यकर्ता द्वारा दी जाती हैं। इन सभी गतिविधियों द्वारा एचबीएनसी कार्यक्रम के तहत नवजात की बेहतर देखभाल की जाती है | बच्चों को छूने से पहले साबुन से हाथ धोना चाहिए, हाथ धोने के बाद हाथ को हवा में सुखाना चाहिए । बच्चे को सूती कपड़ा में लपेट कर रखना चाहिए आदि जानकारी दी जाती है ।