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ज्ञान प्रभा गुप्ता , जिनका जीवन समर्पित है आदि शक्ति दुर्गा के नाम






बिल्थरारोड बलिया ।।  नगर के बाघ वाली गली स्थित आदि शक्ति दुर्गा मन्दिर पर शारदीय  नवरात्र के पहले दिन बृहस्पतिवार को श्रद्धालुओं ने पूजन अर्चन किया। इसके अलावा सोनाडीह स्थित भागेश्वरी मन्दिर, चन्दाडीह स्थित मातेश्वरी मन्दिर पर भी श्रद्धालुओं ने भारी संख्या पूजन कर मनोवांछित फल प्राप्ति की कामना की। आदिशक्ति दुर्गा मंदिर  बाघ वाली गली के बारे में बताया जाता है कि स्थानीय नगर के वार्ड नम्बर 10 श्याम सुंदरी बालिका इण्टर कालेज की सेवानिवृत्त शिक्षिका,स्थानीय  निवासिनी ज्ञानप्रभा  गुप्ता ने वर्ष 2001 में  मन्दिर का निर्माण कराकर माँ दुर्गा की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया है। सेवा काल से शुरू हुआ मां भगवती की सेवा का क्रम शिक्षिका पद से निवृत्त होने के बाद भी अनवरत जारी है । श्रीमती गुप्ता अपना पूरा समय और पेंशन मन्दिर की सेवा और पूजा में लगाती रहती है। 



ज्ञानप्रभा गुप्ता के बारे में बताया जाता है कि वर्ष 1966 में ज्ञानप्रभा गुप्ता की शादी मऊ जिले के दोहरीघाट में हुई थी किन्तु पति द्वारा दूसरी शादी करने के उपरांत सम्बन्ध विच्छेद हो गया। इसके बाद ज्ञानप्रभा अपने मायका बिल्थरारोड आकर रहने लगी। कुछ समय बाद माता और पिता दोनों का असामयिक निधन हो गया। पति की बेवफाई का दिल पर लगा जख्म अभी भरा भी नही था कि माता पिता दोनों का भी असामयिक निधन ज्ञान प्रभा को अंदर तक हिला कर रख दिया । ऐसी विषम परिस्थितियों में भी ज्ञान प्रभा ने हिम्मत नही हारी और अपने भाई व अन्य परिजनों के सहयोग से पहले बीए किया और फिर बीएड की भी पढ़ाई पूर्ण कर ली ।



 संकटों की श्रृंखला देने वाले ईश्वर को भी दृढ़ प्रतिज्ञ ज्ञान प्रभा के आगे झुकना पड़ा और सन 1972 में ज्ञान प्रभा की नियुक्ति श्यामसुन्दरी बालिका स्कूल में हो गयी। नियुक्ति के बाद ज्ञान प्रभा चाहती तो दूसरी शादी कर सकती थी लेकिन पहली शादी में दिल पर खाई चोट ने ज्ञान प्रभा को सांसारिक कर्मो से विरक्त सा कर दिया था,जिसके कारण अपनी दूसरी शादी नही की और अपना जीवन शिक्षण कार्य और पूजा पाठ लगा दिया। 

वर्ष 2001 में नगर के वार्ड न0 12 में अपने वेतन से आदि शक्ति दुर्गा माता के मन्दिर का निर्माण कराया और मन्दिर सेवा में लग गयी। मन्दिर पर हर वर्ष मुहल्ले वासियो के सहयोग से भगवती जागरण और विशाल भण्डारे का आयोजन करती आती है। आज यह मन्दिर श्रद्धालुओं के आस्था का केन्द्र बन चुका है। नवरात्र में भक्तो की भारी भीड़ पूजन अर्चन के लिए लग रही है। वर्ष 2017 में शिक्षिका पद से सेवा निवृत्त होने के बाद तो ये अपना पूरा समय मंदिर की सेवा में लग गयी है।