प्रयागराज कवि महोत्सव में बही कविता की रसधार : भव्य समारोह में डा० उपाध्याय को मिला जीवनोपलब्धि सम्मान
भदोही के संदीप कुमार बालाजी को साहित्य वाचस्पति मानद उपाधि प्राप्त
प्रयागराज ।। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से ,वसेरा द्वारा आयोजित किया गया प्रयागराज लोक संगीत महोत्सव में संस्कार गीतों के बाद प्रयागराज कवि महोत्सव में देर रात तक श्रोताओं के लगते रहे ठहाके करछना तहसील के ख्यातिप्राप्त विद्यालय सरस्वती बाल मंदिर जू ० हा ० गंधियांव करछना प्रयागराज में आयोजित भव्य कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण किया गया ।
तत्पश्चात गांधी जयंती के अवसर पर महात्मागांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री के जन्मदिन पर मुख्य अतिथि के रुप में पधारे दिलीप जायसवाल अधिवक्ता उच्च न्यायालय एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रसिद्ध लोक गायक रामअवतार कुशवाहा , समाजसेवी महेश पांडे अधिवक्ता , पवनेश उपाध्याय (संपादक) साथ में उपस्थित वरिष्ठ कवि साहित्यकारों ने महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री के चित्र पर फूल चढ़ाते हुए बाबू फतेह बहादुर सिंह की अध्यक्षता में मंच संचालक गीतकार कवि राजेंद्र शुक्ला ने मां सरस्वती स्तुति वाणी वंदना कर कार्यक्रम की शुरुआत की ।
सबसे पहले संस्कार लोक गीतो की प्रस्तुति की गई लोक गायन क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का रंग बिखेर रही नवोदित लोक गायिका प्रकृति विश्वकर्मा ने धूम मचाई । कोरस मे काजल उपाध्याय एवं अंजलि तिवारी सहित हारमोनियम पर बृजेश तिवारी ढोलक पर मौजी लाल सिद्धार्थ श्रीवास्तव की प्रस्तुति सराहनीय रही । इस अवसर पर बसेरा द्वारा कलाकारों और साहित्यकारों का सास्वत अभिनंदन सम्मान प्रदान किया गया ।
भदोही से पधारे महेश्वर महाकाव्य के रचयिता संदीप कुमार बालाजी को साहित्यिक सांस्कृतिक कला संगम अकादमी, परियावां प्रतापगढ़ द्वारा साहित्य वाचस्पति मानद उपाधि प्रदान की गई । साथ ही वरिष्ठ साहित्यकार डॉ भगवान प्रसाद उपाध्याय को अकादमी द्वारा जीवनोपलब्धि सम्मान उनके साहित्यिक अवदान पर प्रदान किया गया । इस साथ ही अतिथि साहित्यकारों को तारिका विचार मंच प्रयाग द्वारा साहित्य विभूति सम्मान से अलंकृत किया गया ।
विराट कवि सम्मेलन बाबू फतेह बहादुर सिंह ऋषिराज की अध्यक्षता में आयोजित किया गया । कवि सम्मेलन का संचालन जगदंबा प्रसाद शुक्ल ने किया जिसमें सत्येंद्र कुमार शुक्ल सजग की पंक्तियां इस प्रकार रही - जुबां जुबां जब गाएगी वंदे मातरम गान, साहित्यकार कवि जगदंबा शुक्ल ने बापू जी के सपनों को इस प्रकार दिखाया - बापू तुम्हारे देश का क्या हाल हो गया, आतंकवाद ही यहां बवाल हो गया, हरि बहादुर सिंह हर्ष की पंक्तियों घर घर से अफजल निकलेगा ,खूब सराही गयी ।
चंद्रकांत भ्रमर भदोही ने अपनी पंक्तियों में इस प्रकार संदेश दिया -जहां लोग मिल सुख-दुख बांटत खटकत नहीं अभाव रे । सचिवालय से पधारे डॉ वीरेंद्र सिंह कुसुमाकर की पंक्तियां इस प्रकार रही -मातृभूमि के लिए जो प्राण दे दिए सपूत ऐसे राष्ट्र भक्तों का सम्मान होना चाहिए, संदीप कुमार बालाजी ने पंक्तियों में कहा- हवाएं तो निर्दोष है बोलता कोई और है , वरिष्ठ गीतकार कवि राजेंद्र कुमार शुक्ला ने गांधी जी के विचारों को इस प्रकार साझा किया -कर्मयोग सिद्धांत था गीता भी आदर्श, गांधी ने इसलिए ही किया शिखर स्पर्श ।
लोक प्रहरी रामलोचन सांवरिया जी ने गांधी जी लाल बहादुर शास्त्री के आदर्शो को पंक्तियों में इस प्रकार चित्रांकित किया -तोहइ धरे परी बापू का भेष बबुआ ,ना ही चला जाई दलदल में देश बबुआ ! ,वही डॉक्टर भगवान प्रसाद उपाध्याय ने श्रृंगार रस एवं राष्ट्रभक्ति के गीतों से उपस्थित श्रोताओं को सराबोर किया - युग नया निर्माण करने कर्म पथ पर चल पड़ा हूं ।
सबरेज अहमद की पंक्तियां इस प्रकार रही- कईसे दुखीयन और गरीबन के जीवन चल पाई , शमशेर अली ने अपनी पंक्तियां इस प्रकार बयां की - भारत की एकता को बचाना है जरूरी । कार्यक्रम संयोजक कवि कलाकार वेदानंद वेद ने अपनी हास्य पंक्तियों में कहा -कुछ पावई के होई अगर तउ सबसे पहिले लंठ बन सरस्वती माई के सुमिर बरम बबा के घंट बन ।
अध्यक्षीय उद्बोधन के बाद वीर रस एवं आज की अनेक रचनाओं से बाबू फतेह बहादुर सिंह ने मंच को ऊंचाई प्रदान की । दूरदराज से पधारे एवं क्षेत्रीय कवियों को अंग वस्त्र एवं प्रमाण पत्र देकर सबको कार्यक्रम आयोजक देवेंद्र कुमार शर्मा द्वारा सम्मानित किया गया ।
उपस्थित मातृशक्तियों में श्रीमती सरोज सिंह सहित गणमान्य व्यक्तियों में डा.दिनेश कुमार सोनी अवधेश श्रीवास्तव राम कैलाश यादव रामदयाल विश्वकर्मा, कृष्ण कुमार रजवर, बंटू यादव, वीरेंद्र सिंह यादव ,अर्जुन प्रसाद विश्वकर्मा, राम नरेश विश्वकर्मा, विश्वरूप सुभाष, प्रभात , उत्कर्ष उपाध्याय समरजीत यादव, स्वेविका ,स्वतंत्र कुमार, देवेंद्र यादव ,योगेश यादव ,राम शिरोमणि, इश्तियाक अहमद गिरजा प्रसाद सत्यानंद सहित ग्रामीण एवं क्षेत्रीय लोग मौजूद रहे ।
कार्यक्रम निदेशक सांवरिया ने बताया लोक कलाएं एवं उनकी लोक विधाएं ही भारत देश की पहचान है जिस को बचाना जरूरी है सब के प्रति आभार प्रकट करते हुए कार्यक्रम का समापन किया ।