ईओ के भ्रष्टाचार की शिकायतों पर जांच की रिपोर्ट हो जाती है गुम,क्या है कारण ? क्यो नही होती है कार्यवाही ?
मधुसूदन सिंह
बलिया ।। भ्रष्टाचार की तमाम शिकायतों हो,उसकी अधिकारियों ने जांच भी की हो,तत्कालीन जिलाधिकारी भवानी सिंह खगरौता ने जिस ईओ के खिलाफ डीओ लेटर भी लिखा हो, आज भी तेजतर्रार उप जिलाधिकारी (आईएएस) जिसके कारनामो की जांच त्रिस्तरीय समिति के साथ किये हो और आरोपी ईओ के सेहत पर कोई असर न पड़े, तो यह साफ जाहिर होता है कि ईओ बलिया की शासन,सरकार व प्रशासन में कितनी मजबूत पकड़ है ।
बलिया में समरसेबल पम्पो के जमाने से पहले पम्प हाउसों को चलाने के लिये 8 बीटी मोटर्स लगाई गई थी । इन मोटर्स की आज की बाजारू कीमत लगभग 2 लाख/प्रति की है । नगर पालिका के स्टोर से ये सभी मोटर्स पिछले 2 -3 सालों से गायब है । न स्टॉक में है और न ही नीलामी हुई है इसका कही जिक्र है । इसकी शिकायत नगर पालिका कर्मी भारत भूषण मिश्र ने जिलाधिकारी को बहुत पहले की है । सूत्रों की माने तो इसकी जांच भी पूर्ण हो गयी है और जिलाधिकारी के यहां जांच रिपोर्ट कार्यवाही हेतु फाइलों में पड़ी हुई है ।
केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओ में से एक अमृत योजना है । इसके माध्यम से प्रत्येक घर तक पीने का पानी पहुंचाना है । ईओ बलिया दिनेश विश्वकर्मा के नेतृत्व में अवर अभियंता कहना गलत होगा,जबर अभियंता शमीम अहमद ने करोड़ो रूपये खर्च करके शहर में इतनी पाइप लाइन बिछाई है कि आजतक लोग पानी के लिये तरस रहे है । इसकी भी शिकायत जिलाधिकारी बलिया से करते हुए कहा गया है कि इन लोगो ने फर्जी तरीके से पाइप लाइन को बिछाना दिखाकर करोड़ो का भुगतान किया है । आरोप यह भी है कि इन लोगो ने पुरानी पाइप लाइन को ही नई बताकर भुगतान निकाल लिया है । इसकी भी जांच त्रिस्तरीय समिति ने पूर्ण कर ली है और गेंद अब जिलाधिकारी बलिया के पाले में है ।
शिकायत यह भी है कि शहर में स्व स्वचालित पम्प को दिखाकर इसके मरम्मत के नाम पर काफी गबन किया गया है जबकि कोई भी पम्प स्वचालित नही बल्कि मानव चालित है । मोटर्स के बार बार जलने और बाइंडिंग के नाम पर भी सरकारी धन की भारी लूट हुई है । इसकी भी जांच पूर्ण हो गयी है और जिलाधिकारी के पास लम्बित है ।
बलिया में स्वच्छ भारत के नाम पर साफसफाई में प्रयोग होने के लिये 25 ई रिक्शा खरीदे गये थे । 6 माह बाद इन रिक्शो में लाखों की बैट्री भी बदली गयी ,लेकिन आज ये ई रिक्शा किस हालत में है,इनके अवशेष कहां है,किसी को पता नही है । करोड़ो रूपये के ई रिक्शा गायब है लेकिन ईओ की सेहत पर कोई असर नही है क्योंकि सरकार शासन प्रशासन तीनो में मजबूत पकड़ जो है ।
डीडीओ का पावर होने के कारण बिना शासकीय नियमावली व अधिकार के अपनी पत्नी जो राज्य कर्मचारी है और नगर पालिका स्वशासी संस्था, से उत्तराधिकारी बनकर भी नही बल्कि सीधे अपनी पत्नी के मेडिकल क्लेम को अपनी ही कलम से पास ही नही करते है बल्कि खाते में ले भी लेते है लेकिन जब इसकी शिकायत होती है और ऑडिट की रिपोर्ट में गबन कहा जाता है तो पुनः नगर पालिका के खाते में वापस लाखो रुपये जमा करके भूल से हुआ बता देते है ।
यही नही 1 लाख अस्सी हजार की जगह 18 लाख का भुगतान मोटर की खरीद में ठेकेदार को कर देते है और जब लगभग 6 माह बाद ऑडिट में पकड़ा जाता है तो लिपिकीय त्रुटि बताते हुए नगद रूप से नगर पालिका के खाते में रकम जमा करा दी जाती है जबकि नियमतः यह रकम ठेकेदार के उसी खाते से नगर पालिका के खाते में आनी चाहिये थी जिसमे भुगतान पहुंचा था । एक अधिकारी अपने निजी स्वार्थ में बार बार अपने डीडीओ के पावर का दुरुपयोग करता है और उसके खिलाफ कार्यवाही जब नही होती है तो यह कहने में गुरेज नही है कि यह सरकार शासन व स्थानीय प्रशासन का सबसे चहेता अधिकारी है जिसके खिलाफ कार्यवाही होनी मुश्किल है । अगर कार्यवाही होनी होती तो 3 साल का कार्यकाल साढ़े चार साल तक पहुंच गया और तबादला भी नही हुआ है, जबकि कब का हो जाना चाहिये ।