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आखिर कौन है जो बलिया में कर रहा है बड़े पैमाने पर शराब की अवैध तस्करी ? बड़े अपराधियो तक क्यो नही पहुंच रहा है पुलिस हो या आबकारी का हाथ

 


मधुसूदन सिंह

बलिया ।। चाहे तत्कालीन पुलिस अधीक्षक डॉ विपिन ताडा हो या वर्तमान पुलिस अधीक्षक राजकरन नय्यर हो, दोनों अधिकारियों ने बलिया में अवैध शराब की तस्करी रोकने के लिये कोई कोर कसर नही छोड़े है,बावजूद इसके आज भी बलिया में शराब की अवैध तस्करी जारी है । पहले हरियाणा निर्मित शराब आती थी तो उसको स्थानीय पुलिस अपमिश्रित दिखाकर तस्करो पर ऐसी दफाये लगा देती थी जिससे उसका कुछ माह जेल के अंदर रहना तय होता था ।इस स्थिति से बचने के लिये शराब के तस्करो ने अब स्तानीय दुकानों पर बिकने वाली अंग्रेजी शराब की ही तस्करी करनी शुरू कर दिया है । जिसका नतीजा यह हो रहा है कि अगर कोई पकड़ा भी जा रहा है तो अगले दिन जमानत पक्की है ।




यही खेल जनपद में धड़ल्ले से चल रहा है । पुलिस अगर बड़ी मछली को पकड़ना चाहे तो कोई बड़ी बात नही है । लेकिन ऐसा हो नही रहा है । आजकल पकड़े गये माल का यह पता लगाना कि यह किस गोदाम से निकला है और कहां जा रहा है,बाए हाथ छोड़िये चुटकियों का काम है । बता दे कि शराब की प्रत्येक पेटी पर एक बार -कोड होता है । इस बार-कोड को स्कैन करते ही आपको पता चल जायेगा किया यह शराब की खेप किस गोदाम से निकली है । जब आपको गोदाम का पता लग जायेगा तो गोदाम का लाइसेंसी खुद बताने को मजबूर हो जायेगा कि मैंने माल किसको बेची है । लेकिन न तो आबकारी विभाग, न ही पुलिस विभाग अवैध तस्करी की जड़ तक पहुंचने में कोई दिलचस्पी ले रहे है ।





बैरिया में 1 जनवरी को पकड़ी गई लगभग साढ़े पांच लाख की शराब किस गोदाम से भेजी गई थी,इसकी जानकारी लेने के लिये जब जिला आबकारी अधिकारी से बात की गई तो उनका जबाब था कि हमे यह पता लगाने की जरूरत ही नही है, हमे तो यह देखना है कि इस शराब का टैक्स पेड है कि नही । यानी जनपद में चाहे कितनी भी शराब की अवैध तस्करी करनी हो होल सेल लाइसेंसी कर सकता है और आबकारी विभाग उसका नाम भी उजागर नही करेगा ।

बिहार में शराबबंदी बलिया के तस्करो के लिये वरदान

बिहार के नीतीश सरकार द्वारा की गई शराबबंदी का अगर किसी को सबसे ज्यादे फायदा हुआ है तो वह है बलिया के तस्करो को । सूत्रों की माने तो यहां जो शराब 4400 पेटी बिकती है,तस्करो को 5500 में बेची जाती है और तस्कर बिहार में इसको 7200 से 7500 में बेच रहे है । इतनी बड़ी कमाई में कभी इनका माल पकड़ भी जाता है तो इनकी सेहत पर कोई असर नही पड़ता है । इस कमाई में उन सभी लोगो का हिस्सा शामिल है जो इनको संरक्षण देते है ।


बैरिया में पकड़ी गई शराब लदी पिकअप चली थी बलिया से

सूत्रों से मिली खबर के अनुसार बैरिया में पकड़ी गई शराब लदी पिकअप के ड्राइवर के अनुसार वह इसको चित्तू पांडेय चौराहे से लेकर बांसडीह रोड, सहतवार रेवती के रास्ते बैरिया पहुंचा था, जहां से वह बिहार लेकर चला जाता । उसने यह भी बताया है कि इसके लिये उसको 1000 हजार रुपये और खाने के लिये 1 हजार रुपये भी मिले थे । अब बैरिया पुलिस को यह पता तो लगाना ही चाहिये कि चित्तू पांडेय चौराहे तक यह गाड़ी किसने और किस गोदाम से लायी गयी थी । इतना तो तय है कि चित्तू पांडेय चौराहे के कुछ ही दूरी पर गोदाम होना चाहिये । सूत्रों ने यह भी बताया है कि इस पिकअप पर भरौली,मनियर,रेवती व बैरिया की 4 दुकानों का माल लदा था,जो एक ही डिपो से निकला था । पकड़े गये माल से आबकारी विभाग पूरी जानकारी जुटा चुका है लेकिन न जाने क्यों नाम को उजागर करने से आबकारी अधिकारी आनाकानी कर रहे है । सूत्रों ने यह भी बताया है कि यह वही डिपो है जिसका कई बार माल ऐसे ही पकड़ा जा चुका है ।

आखिर 4 थाना क्षेत्रों से कैसे निकल गयी पिकअप

सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि शराब लदी पिकअप कोतवाली थाना क्षेत्र से निकलती है जो बाँसडीहरोड ,सहतवार रेवती थाना क्षेत्रों से बिना किसी व्यवधान के निकल जाती है लेकिन बैरिया में पकड़ी जाती है । पुलिस अधीक्षक को यह जांच करानी चाहिये,इस बात से खुश नही होना चाहिये कि शराब पकड़ ली गयी । बल्कि यह पता लगाना चाहिये कि आखिर पिछलेथाना क्षेत्रों का मुखबिर तंत्र फेल हुआ या कुछ और खेल है ? यह तो पता लगना ही चाहिये कि अवैध तस्करी का मास्टरमाइंड कौन है ?