बैंकाक की राह पर चल पड़ा बलिया : खुलेआम हो रही है जिस्मफरोशी, रोकने में नही दिलचस्पी दिखा रहे जिम्मेदार
सांकेतिक फोटो
मधुसूदन सिंह
बलिया ।। सैक्स टूरिज्म के नाम से मशहूर थाईलैंड की राजधानी बैंकाक की तर्ज पर बलिया शहर में भी सेक्स का व्यवसाय खुलेआम हो रहा है । पहले यह व्यवसाय शहर के एक सीमित एरिया जिसको रेड लाइट एरिया कहते थे,उसमे चलता था । लगभग 10 वर्ष से रेड लाइट एरिया पर पाबंदी लगने के बाद यह अब शहर के होटलों में पहुंच गया है । जो नजारा पहले रेड लाइट एरिया में जाने पर दिखता था, वो अब खुलेआम रेलवे स्टेशन के प्रवेश द्वारों पर देखने को मिल जा रहा है । चाहे आमजन हो या जिला प्रशासन सभी इस बात को जानते है लेकिन रोकने की कोशिश कोई नही कर रहा है ।
स्टेशन के आसपास के होटलों में सुबह 9 बजे शुरू हो जाता है जिस्मफरोशी का धंधा
बलिया रेलवे स्टेशन के आसपास के होटलों का कमाई का सबसे बड़ा जरिया जिस्मफरोशी का धंधा बन गया है । इन होटलों के लिये चिन्हित सेक्स वर्कर्स है । इन लाजो व होटलों में कमरा लेने जाएंगे तो मना कर दिया जायेगा लेकिन वही जब इनसे सम्बंधित सेक्स वर्कर अपने ग्राहक के साथ पहुंचेगी तो कमरा मौजूद है । सुबह 9 बजे से लेकर 3 बजे तक ग्रामीण क्षेत्रो की युवतियां इस जिस्मफरोशी के धंधे में देखी जा रही है । वही स्थानीय दिनभर धंधे में लगी मिलेंगी ।
लाज में 500 ,तो होटलों में 1000 लगता है चार्ज
ग्राहकों से सौदा तय करने के बाद सेक्स वर्कर ग्राहक के स्टैण्डर्ड के हिसाब से लाज या होटल में ले जाती है । सेक्स वर्कर्स भी कई तरह की है - जैसे हाई प्रोफाइल में दिखने वाली,टिन एजर्स,गृहणी जैसी या फिर रेड लाइट एरिया जैसी । हाई प्रोफाइल या टिन एजर्स सीधे मोबाइल से संपर्क के बाद आती है और स्थानीय अच्छे होटलों में अपने ग्राहक के साथ जाती है । अच्छे होटलों में 1 से डेढ़ घण्टे का चार्ज 1 से 2000 तक होटल वाले लेते है ।
अच्छे घरों की गृहणियों जैसी दिखने वाली सेक्स वर्कर भी अच्छे होटलों में ही जाती हुई देखी जाती है । जबकि रेड लाइट एरिया जैसी सेक्स वर्कर लाज में अपने ग्राहकों को लेकर जाती है जहां कमरे का 300 से 500 रुपये आधे घण्टे का चार्ज वसूल किया जाता है ।
मजदूर वर्ग व नौजवान सबसे ज्यादे संलिप्त
जिस्मफरोशी के इस धंधे के ग्राहकों में मजदूर वर्ग व नौजवानों की तादात ज्यादे है । स्टेशन पर घूमने वाली 1 सेक्स वर्कर्स कम से कम 10 से 15 ग्राहकों के साथ हमबिस्तर होती है । इनमें कुछ ऐसी भी है जिनकी उम्र 50 से कम नही होगी लेकिन ये 18 साल के बच्चों के साथ भी सेक्स करती है । ऐसी महिलाओं के मजदूर वर्ग के ग्राहक सर्वाधिक है । एक अनुमान के अनुसार ग्रामीण अंचलों से लगभग 100-150 और स्थानीय लगभग 100 सेक्स वर्कर्स प्रतिदिन लगभग 3 से 5 हजार ग्राहकों के साथ हमबिस्तर होती है । यह स्थिति कोरोना को देखते हुए भयावह है, साथ ही एड्स जैसे घातक रोगों के खतरे को भी बढ़ाने वाली है ।
प्रशासनिक उदासीनता धंधे की बढ़ोत्तरी में सहायक
बलिया शहर अगर सेक्स सिटी बैंकाक बनने की राह पर है तो इसमें प्रशासनिक अधिकारियों की उपेक्षा का योगदान कम नही है । रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ है, जीआरपी है और स्थानीय कोतवाली पुलिस है,बावजूद अगर सेक्स वर्कर्स खुलेआम स्टेशन के प्रवेश द्वार को ही अपना रेड लाइट एरिया बना दी है,तो निश्चित रूप से इसमें प्रशासनिक जिम्मेदारों की हिस्सेदारी से इंकार नही किया जा सकता है ।अगर इन लोगो की मौन स्वीकृति नही होती तो स्टेशन रेड लाइट एरिया जैसी जगह नही बन पाता । यही हाल होटलों का भी है । शहर के चाहे किसी कोने में होटल है,चल रहा है या बन्द जैसा है, अधिकतर जिस्मफरोशी के धंधे से मालामाल हो रहे है । प्रशासनिक छापेमारी न होना इस धंधे को फलने फूलने में सहायक बना हुआ है ।