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चुनाव में शराब की अवैध तस्करी रोकना जिलाधिकारी के सामने सबसे बड़ी चुनौती,ऐसे होती है तस्करी

 



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। नवागत जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह ने धीरे धीरे जनपद की लुंजपुंज हो चुकी प्रशासनिक व्यवस्था की पेंचे टाइट करना शुरू कर दिये है । एक तरफ जिलाधिकारी जनपद वासियो को कोरोना के नये वेरिएंट ओमिक्रोन/तीसरी लहर से बचाने के लिये शत प्रतिशत टीकाकरण के लिये खुद अभियान का नेतृत्व कर रहे है,तो वही जनपद की अन्य समस्याओं के प्रति भी काफी गंभीर व संवेदनशील दिख रहे है ।

एक तरफ जलभराव के नाम पर कैदियों से खाली जेल को पुनः शुरू कराने के प्रति काफी सख्त दिखे, तो वही मतदान से पहले 100 प्रतिशत टीकाकरण कराने के लिये भी कमर कसने के साथ ही सभी मतदान केंद्रों पर आवश्यक सुविधाओ को पूर्ण करने के लिये भी मातहतों के पेंच कसने से नही चूक रहे है ।

जिलाधिकारी के सामने सबसे बड़ी चुनौती इस चुनाव में अवैध शराब की तस्करी को रोकना है । क्योंकि आज जनपद में शराब की तस्करी बाहर से आयी शराब से नही बल्कि जनपद के अंदर के ही थोक लाइसेंसियों के द्वारा की जा रही है । एक तरफ बिहार में शराब बंदी,तो दूसरी तरफ यूपी में विधानसभा चुनाव,ये दोनों परिस्थितियों का भरपूर लाभ उठाने के लिये अवैध शराब के तस्कर तैयारी में लगे हुए है । बिहार में अवैध रूप से तस्करी का खेल तो पहले से ही चल रहा है,अब चुनाव ऐसे अपराधियो के लिये सोने पर सुहागा की तरह है ।

सूत्रों की माने तो 4400 रुपये पेटी की अंग्रेजी शराब ब्लैक में 5500 की बेची जा रही है, जिसकी बिहार में कीमत 7200 से 7500 रुपये पेटी हो जा रही है । महीने में ऐसा नही है कि अवैध शराब की खेप पकड़ी नही जाती है ,पकड़ी जाती है और आबकारी विभाग बारकोड के द्वारा थोक व्यवसायी को चिन्हित भी कर लेता है और नोटिस तक दे देता है लेकिन कार्यवाही न जाने क्यों नही करता है,यह चर्चा का विषय बना हुआ है । चर्चाओं की माने तो आबकारी विभाग द्वारा ऐसे व्यवसायियों पर कार्यवाही न करना,इस धंधे के फलने फूलने में सहायक है ।









पकड़ना आसान पर नही होती कार्यवाही,ऐसे होता है गोरखधंधा

किसी भी शराब के लाइसेंसी थोक व्यवसायी को पेटी के ऊपर लगे बारकोड के आधार पर पकड़ा जा सकता है । थोक व्यवसायी से अगर कड़ाई से पूंछताछ की जाय तो शराब की अवैध तस्करी पर अंकुश लग जाती, पर बलिया के आबकारी अधिकारी के अनुसार अगर पकड़ी गई शराब पर टैक्स पेड है तो हम कोई बड़ी कार्यवाही नही कर सकते है । हां, पकड़ी गई शराब की मात्रा के अनुपात में लाइसेंसी पर जुर्माना लगा देते है । 

जिला आबकारी अधिकारी के बयानों से साफ है कि विभागीय कानून ही थोक व्यवसायियों को अवैध रूप से तस्करी करने में सहायक है । जिलाधिकारी महोदय को आबकारी विभाग से पिछले एक साल के अंदर पकड़ी गई शराब का रिकॉर्ड मांगकर यह देखना चाहिये कि कौन कौन ऐसे थोक व्यवसायी है जिनके द्वारा सर्वाधिक शराब की अवैध तस्करी की गई है । इसका फैसला पकड़ी गई शराब खुद ही चीख चीख कर कर देगी ।

जिलाधिकारी महोदय को दूसरा रिकार्ड थोक व्यवसायियों का विक्रय रजिस्टर और फुटकर व्यवसायियों का क्रय रजिस्टर (स्टॉक बुक) मंगा कर चेक करना चाहिये । मैं इसको चेक करने के लिये इस लिये कह रहा हूँ कि थोक व्यवसायियों द्वारा फर्जी तौर पर फुटकर व्यवसायियों के नाम पर शराब की बिक्री दिखाकर तस्करी की गई है । थोक व्यवसायी और फुटकर व्यवसायियों के स्टॉक बुक इस गोरखधंधे का राज स्वतः खोल देंगे ।

अब देखना है कि आगामी चुनाव में प्रत्याशियों द्वारा शराब बांटने का खेल न हो पाये, अवैध तस्करी पर रोक लगे,जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह कैसे रोकते है ।