सर्दी के मौसम में बच्चों को निमोनिया से बचायें – डॉ सिद्धार्थ मणि दुबे
- छः माह तक बच्चे को करायें, सिर्फ स्तनपान
- बच्चों की साफ-सफाई और खान-पान का रखें, विशेष ख्याल
- पीसीवी टीका बच्चों को निमोनिया से बचाने में होता है सहायक
बलिया ।। जिला महिला अस्पताल स्थित प्रसवोत्तर केंद्र पर तैनात वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. सिद्धार्थ मणि दुबे का कहना है कि एक तरफ कोविड-19 के संक्रमण का डर है ,तो वही बच्चो को सर्दी से बचाना हर माता पिता के लिये अहम कार्य है । इस मौसम में सर्दी-जुकाम आम बात है, लेकिन यह स्थिति लम्बे समय तक बनी रहती है तो निमोनिया हो सकता है। सर्दी का प्रकोप फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने का प्रमुख कारक है। ऐसे में निमोनिया का जोखिम बढ़ जाता है ।
उन्होंने बताया कि निमोनिया एक संक्रामक रोग है । इस स्थिति में फेफड़े के वायु मार्ग में कफ या बलगम इकट्ठा हो जाता है, कभी-कभी यह रुकावट खतरनाक स्थिति में पहुंच जाती है। इससे बलगम वाली खांसी, बुखार, ठंड लगना और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। निमोनिया साधारण से जानलेवा भी हो सकता है। सर्दी के मौसम में शिशुओं को निमोनिया का ख़तरा अधिक होता है। इसलिए इस मौसम में शिशुओं को ठंड से बचाना चाहिए। इससे बचाव के लिए पीसीवी का टीका बच्चे को अवश्य लगवाना चाहिए।
बच्चों में निमोनिया के संकेत
अधिक समय तक चलने वाली खांसी, बुखार, सिरदर्द, ठंड लगना या शरीर में दर्द ,भूंख की कमी, छाती या पसली का तेज चलना/दर्द ,सांस लेने में दिक्कत इत्यादि।
निमोनिया के लक्षण
छोटे बच्चों में निमोनिया के लक्षण बड़ों से अलग होते हैं -
- सांस लेने में तकलीफ होना
- बच्चों का अधिक रोना, ठीक से दूध नहीं पीना एवं खाना नहीं खाना
- उल्टी होना
- निमोनिया के लक्षण गंभीर होने पर बच्चा बेहोश व सुस्त हो सकता है।
- बलगम वाली खांसी, कंपकपी वाला बुखार, सांस लेने में तकलीफ या तेजी से सांस चलना, सीने में दर्द या बेचैनी, भूख कम लगना, खांसी में खून आना, कम रक्तचाप
बचाव के लिए रखें इन चीजों का ध्यान
- पीसीवी टीका बच्चों को निमोनिया से बचाने में सहायक होता है। इसे तीन खुराकों में दिया जाता है तथा यह बच्चों को निमोनिया से बचाने में अहम् भूमिका अदा करता है।
- बच्चों की साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें।
- बच्चों के खान-पान का विशेष ख्याल रखें।
- छः माह तक बच्चे को सिर्फ स्तनपान कराएँ, उसके बाद स्तनपान के साथ पूरक आहार भी दें।
- बच्चों को जब भी कोई समस्या हो तो एक बार डॉक्टर को जरूर दिखा लें, बिना किसी डॉक्टर की परामर्श के बच्चों को कोई दवा नहीं देनी चाहिए।