बेल्थरारोड में त्रिकोणीय संघर्ष के आसार, भितरघात से प्रत्याशी है परेशान
संतोष द्विवेदी
नगरा, बलिया।बेल्थरारोड (सू) विधान सभा सीट पर जहां बसपा खाता खोलने की तैयारी में जी जान से जुटी हुई है, वहीं सपा गठबंधन 2012 के इतिहास को दोहराने के लिए दिन रात एक किए है। जबकि भाजपा इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखने के लिए मेहनत कर रही है। सूत्रों की माने तो बसपा प्रत्याशी के बढ़ते कारवां एवं भाजपा को आपसी भीतरघात से जूझना पड़ रहा है,क्योकि बसपा प्रत्याशी टिकट मिलने से पहले तक भाजपा के ही नेता थे और भाजपा कार्यकर्ताओं में इनकी अच्छी पकड़ रही है ।
कभी सीयर विधान सभा के नाम से प्रचलित बेल्थरारोड विधान सभा क्षेत्र नए परिसीमन के बाद सुरक्षित हो गया। सन 2012 में इस सीट पर सपा उम्मीदवार गोरख पासवान 57 हजार मत पाकर जीत दर्ज किए थे। उसके बाद मोदी लहर 2017 में इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी धनंजय कन्नौजिया 71 हजार वोट पाकर सदन में पहुंचे थे। जबकि सपा से गोरख पासवान 57 हजार वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे।
2022 के विधान सभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी की राह आसान नहीं दिख रही है। भाजपा प्रत्याशी छट्ठू राम इस सीट पर दुबारा भाजपा का कब्जा जमाने के लिए मैदान में हैं लेकिन पार्टी की आपसी भीतर घात से उन्हें जूझना पड़ रहा है । साथ ही कभी भाजपा में टिकट के दावेदार रहे प्रवीण प्रकाश के बसपा से मैदान में आ जाने से भाजपा प्रत्याशी की राह और कठिन हो गई है।
वर्तमान के जातीय व गठबंधन के समीकरणों पर ध्यान दे तो इस सुरक्षित विधान सभा सीट पर अंतिम समय में बसपा व सपा व भाजपा गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला होने वाला है । इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि बेल्थरारोड सीट पर दलित मतदाता सबसे अधिक तथा यादव मतदाता दूसरे स्थान पर है। बसपा उम्मीदवार प्रवीण प्रकाश के साथ दलित के साथ कुछ क्षत्रिय, धोबी व अन्य जातियों के मतदाता भी जुड़ रहे है। वहीं सपा गठबंधन के उम्मीदवार हंशु राम की तरफ यादव, मुसलमान,राजभर के अलावा गोड़ सहित लोहार, कोइरी, सहित कुछ ब्राह्मण मतदाताओ का भी रुझान बढ़ रहा है।
जबकि भाजपा उम्मीदवार को व्यापारियों, सवर्ण मतदाताओं के अलावा छोटी जातियों सहित दलित मतदाताओं के वोट मिलने की आस है। सूत्रों की माने तो बाहरी लोगों द्वारा चुनाव मैनेजमेंट एवं स्थानीय कार्यकर्ताओ से उम्मीदवार की संवाद की कमी का असर भी भाजपा को झेलना पड़ सकता है।