गरीबी के लिये डायल हंड्रेड विधायक सुरेंद्र सिंह हुए वीआईपी की नाव पर सवार
मधुसूदन सिंह
बलिया ।। भारतीय जनता पार्टी के बैरिया विधायक सुरेंद्र सिंह ने कमल को छोड़कर नाव की सवारी कर ली है । गुरुवार को वीआईपी के यूपी प्रदेश उपाध्यक्ष राजा राम बिंद से सुरेंद्र सिंह के पैतृक आवास पहुंच कर पहले सदस्यता ग्रहण करायी , फिर श्री सिंह को अपना बैरिया प्रत्याशी घोषित करते हुए सिंबल भी प्रदान कर दिया । वीआईपी पार्टी में शामिल होने के बाद सुरेंद्र सिंह ने कहा कि इस दल की विचारधारा गरीबो मजलुमो शोषितों को सहारा देना है ,जो मेरा भी राजनैतिक मिशन है ।
कहा कि यह संजोग है कि वीआईपी पार्टी के नेतागण स्वयं चलकर मेरे लिये नाव चुनाव चिन्ह लाये है । मैं इस नाव पर सवारी करके नौका विहार करते हुए इस क्षेत्र के भू माफियाओं को खदेड़ने का काम लोकतांत्रिक तरीके से करूंगा और 10 मार्च को भाजपा सपा बसपा सबकी जमानतें जब्त कराने का काम करूंगा । कहा कि एक बार भगवान राम नाव पर सवार होकर लंका को जीतकर रावण को हराये थे । उसी तरह मैं नाव पर चढ़कर भू माफियाओं और रावणी संस्कृति वाले बलिया के सांसद को परास्त करके ,भाजपा सपा बसपा की जमानतें जब्त कराकर दिल्ली में बैठे अमित शाह व अन्य नेताओं को बताऊंगा कि जो जनता के दिलो में राज करता है, वही विधानसभा और संसद में भी राज करता है । सभी की जमानतें जब्त कराते हुए मुकेश साहनी के नेतृत्व में बैरिया का झंडा बुलंद करूँगा ।
वीआईपी के यूपी प्रदेश उपाध्यक्ष राजाराम बिंद ने कहा कि वीआईपी पूरे यूपी में 165 सीटों पर चुनाव लड़ रही है । अबतक 84 सीटों पर प्रत्याशियों को घोषित कर दिया गया है और शुक्रवार तक शेष पर भी घोषित कर दिया जायेगा ।
दबंगो का विरोध करने वाला विधायक ही यहां हुआ है सफल
बैरिया विधानसभा का इतिहास बड़ा ही क्रांतिकारी रहा है । अबतक सफल विधायको की सूची पर नजर डाले तो जिस विधायक ने बैरिया के दबंगो के खिलाफ आवाज बुलंद की, उसकी जगह स्थानीय लोगो के दिलो में बनती गयी । ऐसी फेहरिस्त में पहला नाम मैनेजर सिंह का आता है । श्री सिंह ने उस समय सूरजदेव सिंह का विरोध किया जब वो चढ़ते हुए सूरज थे और उनका विरोध करने की कोई सोच भी नही सकता था । नतीजन मैनेजर सिंह बैरिया की जनता के दिलो में घर कर गये और विधायक निर्दल रूप से भी जीत कर ऐतिहासिक कार्य किये ।
दूसरा नाम भोला पांडेय का आता है । इनकी भी राजनीति सूरजदेव सिंह,बिक्रम सिंह और बच्चा सिंह की खिलाफत से शुरू हुई और विधायक बनने में सहयोगी रही । बाद में बिक्रम सिंह के साथ दोस्ती तो हुई लेकिन फिर जनता ने विधायक या सांसद नही बनाया ।
तीसरा नाम भरत सिंह का आता है । श्री सिंह भी लाल वीरेंद्र विक्रम सिंह,विक्रम सिंह की मुखालफत करते हुए बैरिया से विधायक मंत्री और बाद में मोदी लहर में सांसद भी बन गये ।
गरीबो पीड़ितों के लिये डायल हंड्रेड है विधायक सुरेंद्र सिंह
वर्तमान विधायक सुरेंद्र सिंह बैरिया की जनता की यह कमजोरी कहे या नेताओ से अपेक्षा, उसको पढ़ चुके है और आम पीड़ित लाचार जनता के लिये डायल हंड्रेड हो गये है । कोई भी, कभी भी इनसे सहयोग मांगता है ये पीआरवी वैन की तरह हाजिर हो जाते है । इनके लिये जाति धर्म सम्प्रदाय कोई मायने नही रखता है । यही कारण है कि जब इनका टिकट कटा तो 3 किमी लम्बा समर्थको का हुजूम इनको सम्बल प्रदान करने के लिये सड़क पर उमड़ पड़ा । अब देखना है कि बैरिया की बगावती परंपरा का ध्वज सुरेंद्र सिंह आगे ले जा पाते है कि नही ।