नकली राष्ट्रवादी है मोदी सरकार ,संवैधानिक मर्यादाओं का पालन नहीं कर रही है सरकार -डॉ मनमोहन सिंह
नईदिल्ली ।। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह हमारे सार्वजनिक जीवन की ऐसी शख्सियत हैं,जो हर बात नाप-तौल कर पूरी गंभीरता से कहते हैं और जिन्हें जमाना बड़े गौर से सुनता है।जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहने का रिकॉर्ड उनके नाम है।नेहरू के बाद वह एकमात्र प्रधानमंत्री हैं,जो पूरे कार्यकाल के बाद दूसरे कार्यकाल के लिए चुने गए और दूसरा कार्यकाल भी पूरा किया।उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की,पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्राध्यापक रहे, योजना आयोग के उपाध्यक्ष और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर भी रहे।1991 में जब देश गंभीर आर्थिक संकट में था,इसे उबारने में डॉ मनमोहन सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।एक प्रधानमंत्री के तौर पर सूचना का अधिकार,शिक्षा का अधिकार, भोजन का अधिकार,नरेगा जैसे प्रगतिशील कानूनों के वह भाष्यकार रहे हैं।वर्तमान में महज दो पूर्व प्रधानमंत्री जीवित हैं,और वह उनमें से एक हैं।दुनिया के हर कोने में एक आर्थिक विशेषज्ञ और सलाहकार के रूप में उनकी विशिष्ट अहमियत है।
5 राज्यों में हो रहे चुनाव,खासकर 20 फरवरी को पंजाब में हुए विधानसभा चुनाव प्रचार के संदर्भ में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने प्रभावशाली हस्तक्षेप किया है।महज 9 मिनट के वीडियो संदेश में उन्होंने मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया है।उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी बड़ी इच्छा थी कि वह पंजाब,उत्तराखंड,उत्तरप्रदेश, गोवा और मणिपुर के भाई-बहनों के साथ देश और राज्य के हालात के बारे में चर्चा करते,लेकिन अस्वस्थता की वजह से डॉक्टरों की सलाह पर वीडियो संदेश के माध्यम से संवाद स्थापित करना मजबूरी है।
गलत आर्थिक नीतियों से अर्थव्यवस्था में गिरावट,बढ़ी बेरोजगारी
उन्होंने देश की वर्तमान स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि कोरोना काल में सरकार की गलत नीतियों के कारण एक तरफ अर्थव्यवस्था गिरी है, महंगाई और बेरोजगारी से लोग परेशान हैं।दूसरी तरफ 7साल सरकार चलाने के बाद भी मोदी सरकार को अपनी गलतियों का एहसास ही नहीं है।वह हर समस्या के लिए जवाहरलाल नेहरू को जिम्मेदार ठहरा रही हैं।ऐसा कहकर डॉ सिंह आम-अवाम का ध्यान इस तथ्य की ओर आकृष्ट करते हैं कि देश की वर्तमान गंभीर चुनौतियों के प्रति मोदी सरकार गंभीर ही नहीं है,समस्या का समाधान ढूंढना उसकी प्राथमिकता में है ही नहीं।हर समस्या के लिए नेहरू पर दोष मढ़ने की प्रवृत्ति से मोदी सरकार के गुनाह कम नहीं हो सकते।
ज्यादे बोलने की जगह दी ज्यादे काम करने को तरजीह
प्रधानमंत्री पद के अपने कार्यकाल को याद करते हुए डॉ सिंह ने इस पद के महत्व को रेखांकित किया और बताया कि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने ज्यादा बोलने की जगह काम को तरजीह दी,सियासी लाभ के लिए देश और समाज को बांटने की कोशिश नहीं की,कभी सच पर पर्दा नहीं डाला।भारत और भारतीयता का मान बढ़ाया। डॉ मनमोहन सिंह के कार्यकाल के अंतिम दौर में मौनमोहन सिंह कहकर भाजपा उनका मजाक उड़ाती थी।इस दौर को याद करते हुए डॉ सिंह ने उन्हें चुप, और कमजोर होने का आरोप लगाने वाले बेनकाब हो चुके हैं।
कुछ दिन पहले सुरक्षा में चूक के नाम पर पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी और किसान आंदोलन के संदर्भ में भी पंजाब और पंजाबियत को बदनाम करने की मोदी की कोशिश की तीखी आलोचना करते हुए डॉ सिंह ने कहा कि पंजाबियों की दिलेरी,बहादुरी, देशभक्ति और कुर्बानी को पूरी दुनिया सलाम करती है।पंजाब की धरती पर पैदा हुए एक सच्चे देशवासी के नाते इससे उन्हें बहुत दुख हुआ है।
सरकार के पास आर्थिक समझ नही
डॉ मनमोहन सिंह ने स्पष्ट किया कि वर्तमान सरकार में कोई आर्थिक समझ नहीं है।गलत नीतियों की वजह से देश आर्थिक मंदी की जकड़ में फंस गया है।किसान,व्यापारी, विद्यार्थी और औरतें परेशान हैं।देश के अन्नदाता-किसान-दाने-दाने को मोहताज हैं।देश में सामाजिक असमानता बढ़ी है।लोगों पर कर्जा बढ़ रहा है और कमाई घट रही है।अमीर और अमीर हो रहे और गरीब और गरीब हो रहे हैं।सरकार आंकड़ों में हेराफेरी कर सबकुछ ठीक बताने की कोशिश कर रही है।सरकार की नीति और नीयत में खोट है।हर नीति में स्वार्थ है,वहीं नीयत में नफरत और बंटवारा. अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए ब्रिटिश हुक्मरानों की तरह लोगों को जाति-धर्म और क्षेत्र के नाम पर बांटा जा रहा है,उन्हें आपस में लड़ाया जा रहा है.इस सरकार का नकली राष्ट्रवाद जितना खोखला है,उतना ही खतरनाक ।
सरकार का सामूहिक नेतृत्व, जिम्मेदारी व जबाबदेही में विश्वास नही
मोदीजी ने जिस प्रकार अचानक तीन काले कृषि कानूनों को वापस लेने की सार्वजनिक घोषणा की और मंत्रिमंडल ने बाद में उसकी पुष्टि की,यह इस बात का गवाह है कि सरकार का सामूहिक नेतृत्व, जिम्मेदारी और जवाबदेही में विश्वास नहीं है।आए दिन,अध्यादेशों के माध्यम से सरकार मनमानी करने की कोशिश करती है।लोकसभा/राज्यसभा में खुली चर्चा,जीवन्त बहस और सार्थक संवाद नहीं होते,आए दिन पुलिस एनकाउंटर में हत्याएं होती हैं,राजद्रोह/देशद्रोह के आरोप में लोग यातनाएं सहते हैं और सरकार आरोप साबित नहीं कर पाती।सीबीआई, ईडी और इन्कम टैक्स के छापों से महत्वपूर्ण लोगों को डराया-धमकाया जाता है।रामजन्म भूमि विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का श्रेय मोदी लूटते हैं, मीडिया घरानों को भ्रष्ट तरीकों से उपकृत करने की कोशिश होती है।इन तमाम मुद्दों पर ध्यान आकृष्ट करते हुए डॉ सिंह ने कहा कि संविधान हमारे लोकतंत्र का आधार है,लेकिन,मोदी सरकार का संविधान पर भरोसा नहीं,सांवैधानिक संस्थानों को कमजोर और खोखला किया जा रहा है।
विदेश नीति पूरी तरह फेल
आंतरिक मामलों में ही नहीं विदेश नीति में मोदी सरकार की विफलताओं की तीखी आलोचना करते हुए डॉ सिंह ने कहा कि चीन की फौज पिछले एक साल से हमारी पवित्र धरती पर बैठी हैं।इस मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है।पुराने दोस्त हमसे टूट रहे हैं।पड़ोसी देशों से भी हमारे संबंध बिगड़ रहे हैं। सत्ताधारियों को समझ आ गई होगी कि जबरन गले लगने,घुमाने या बिन बुलाए बिरयानी खाने पहुंचने से देश के रिश्ते नहीं सुधर सकते।सरकार को यह भी समझ लेना चाहिए कि अपनी सूरत बदलने से सीरत नहीं बदलती।बड़ी-बड़ी बातें करना बहुत आसान है,लेकिन उनको अमल में लाना बहुत मुश्किल होता है.जो सच है,वो किसी न किसी रूप में सामने आ ही जाता है.
हालांकि,डॉ मनमोहन सिंह का यह वीडियो संदेश पंजाब विधानसभा चुनाव के संदर्भ में पंजाब के आम मतदाताओं के नाम कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने की अपील के रूप में सामने आया है।तथापि,यह लगभग 8 साल पुरानी मोदी सरकार की नीतियों, सिद्धान्तों,कार्यक्रमों और कार्यशैली की बेहतरीन समीक्षा है और वर्तमान विधानसभा चुनावों के बाद भी इस समीक्षा की अहमियत बनी रहेगी।
(पंकज श्रीवास्तव की कलम से)